प्रयागराज मंडल: नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली, भाग-3
पिछले कई वर्षों से सीपीसी, मालगोदाम कानपुर में स्थान शुल्क की चोरी धड़ल्ले से की जा रही थी और बदले में मालगोदाम के प्रभारी को मोटी रकम अवैध कमाई के रूप में प्रतिमाह मिलती थी, तथा उसके बाद प्रभारी द्वारा अवैध कमाई की बंदरबांट स्थानीय अधिकारी से लेकर मंडल मुख्यालय सहित जोनल मुख्यालय के जिम्मेदारों तक की जाती थी, यही कारण है कि दोषी को बचाने की भरपूर कोशिश हर स्तर से की जा रही है, क्योंकि जिम्मेदारों को रेल राजस्व में वृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें तो केवल अपनी अवैध कमाई के नुकसान की चिंता सता रही है!
उमेश शर्मा, ब्यूरो चीफ/एनसीआर/प्रयागराज
जैसा कि #RailSamachar ने पिछली दो कड़ियों में प्रयागराज मंडल, उत्तर मध्य रेलवे के वाणिज्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और जोड़तोड़ को अधिकारियों द्वारा संरक्षण देने का संदेह जताया था, वह अब स्पष्ट अथवा प्रमाणित हो रहा है। केवल इस एक घटना से समझा जा सकता है कि जिन पर भ्रष्टाचार को रोकने की जिम्मेदारी है, वही इसे संरक्षण दे रहे हैं।
July 1, 2024: “प्रयागराज मंडल – नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली!”
तथाकथित नैतिकता, निष्ठा और शुचिता का दम भरने वाले अधिकारियों को अब अपने दामन पर लगे दाग अच्छे लगते हैं। नियम 14(ii) के अंतर्गत एक टीटीई को सर्विस से बर्खास्त करके भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का संदेश दिया, लेकिन जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि उत्तर मध्य रेलवे (#NCR) के सतर्कता विभाग ने कानपुर के #सीपीसी मालगोदाम की औचक जाँच के दौरान स्थान शुल्क में की जा रही चोरी को रंगेहाथों पकड़ा और दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध मेजर पेनाल्टी चार्जशीट के साथ-साथ फील्ड से बाहर करने का निर्देश भी मई, 2024 में ही दिया था, लेकिन उस निर्देश को जानबूझकर जिम्मेदार लोगों ने दबाए रखा। रेल मंत्रालय, पीसीसीएम और महाप्रबंधक/उ.म.रे. इस घटना का गंभीरता से संज्ञान लें!
August 10, 2024: “प्रयागराज मंडल : “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली” भाग-2”
#RailSamachar में प्रकाशित पिछली कड़ी के परिप्रेक्ष्य में दबाव बढ़ने पर एडीआरएम/जी द्वारा फाइल क्लीयर करके तत्काल कार्मिक विभाग को भेजी गई। तथापि उसी दिन जब कार्मिक विभाग ने ट्रांसफर ऑर्डर निकाला, तो उसकी भी काट ढूँढ ली गई। यहाँ पर जीरो टॉलरेंस को चलता कर दिया गया और अंडर-ट्रांसफर कर्मचारी को नियम विरुद्ध मंडल मुख्यालय से लंबी छुट्टी स्वीकृत कर दी गई, जबकि संबंधित कर्मचारी का मुख्यालय कानपुर है और वहाँ पर #DyCTM (#SrDCM के समकक्ष) अधिकारी पदस्थ है। इसके अलावा, छुट्टी का आवेदन भी #HRMS पोर्टल के माध्यम से नहीं दिया गया, बल्कि सादे कागज पर स्वीकृत कर दिया गया। इससे यह क्यों न माना जाए कि बंदरबांट में सब बराबर के भागीदार हैं?
पहले ट्रांसफर की फाइल वाणिज्य विभाग ने, और फिर #ADRM/G ने दबाई, फिर कारगुजारी उजागर होने पर कार्मिक विभाग को अप्रूवल दिया और अब जब स्पेयर करने की बारी आई तो अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उसकी छुट्टी स्वीकृत कर दी गई, जबकि नियमानुसार विजिलेंस केस में ट्रांसफर किए गए स्टाफ को यदि छुट्टी लेनी होती है, तो वह उसे अपने नए पोस्टिंग प्लेस पर रिपोर्ट करने के बाद वहीं से लेनी होती है।
जानकारों का कहना है कि संबंधित कर्मचारी की पोस्टिंग कानपुर में है, जहाँ पर #DyCTMCNB, कानपुर एरिया के वाणिज्य कर्मचारियों की छुट्टी स्वीकृत करते हैं, लेकिन कर्मचारी को पता था कि यहाँ से छुट्टी नहीं मिलेगी, तो उसने नियमों को ताक पर रखकर सादे कागज पर आवेदन देकर #SrDCMPRYJ से छुट्टी स्वीकृत करा ली, जो कि नियमानुसार अमान्य है। यही नहीं, छुट्टी का आवेदन #HRMS पोर्टल पर दिया जाना चाहिए था, उसका भी पालन नहीं किया गया।
उनका यह भी कहना है कि आखिर इतना याराना क्यों है? क्या इससे उन कर्मचारियों के आरोपों को बल नहीं मिलता जो आरोप लगा रहे हैं कि रेल राजस्व की चोरी और अवैध कमाई के बंटवारे में #DyCTMCNB और #SrDCMPRYJ बराबर के हिस्सेदार हैं? ज्ञातव्य है कि दोषी कर्मचारी अगस्त’24 से ही छुट्टी पर चल रहा है और इसी दौरान उसके खिलाफ जारी मेजर पेनाल्टी चार्जशीट की जाँच के लिए वह प्रयागराज मुख्यालय के विजिलेंस विभाग में उपस्थित भी हुआ। प्रश्न ये है कि क्या उसने अपने सक्षम अधिकारी की अनुमति और कानपुर मुख्यालय से स्पेयर मेमो लिया था? खबर है कि वह सीधे प्रयागराज मुख्यालय विजिलेंस में जाँच के लिए उपस्थित हुआ और वहीँ से SrDCM/PRYJ से लंबी छुट्टी लेकर चला गया। जबकि कार्यस्थल पर वह आज भी अनुपस्थित है। प्रश्न यह भी है कि पहले से ही छुट्टी पर चल रहा कर्मचारी विजिलेंस जाँच के लिए उपस्थित कैसे हुआ?
विश्वसनीय सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले कई वर्षों से सीपीसी, मालगोदाम कानपुर में स्थान शुल्क की चोरी धड़ल्ले से पार्टियों द्वारा की जा रही थी और बदले में मालगोदाम के प्रभारी को मोटी रकम अवैध कमाई के रूप में प्रतिमाह मिलती थी, तथा उसके बाद प्रभारी द्वारा अवैध कमाई की बंदरबांट स्थानीय अधिकारी से लेकर मंडल मुख्यालय सहित जोनल मुख्यालय के जिम्मेदारों तक की जाती थी, यही कारण है कि दोषी को बचाने की भरपूर कोशिश हर स्तर से की जा रही है, क्योंकि जिम्मेदारों को रेल राजस्व में वृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें तो केवल अपनी अवैध कमाई के नुकसान की चिंता सता रही है।
#RailSamachar का उद्देश्य किसी कर्मचारी या अधिकारी को टार्गेट करना नहीं है, बल्कि इस घटना को दर्शाकर यह स्पष्ट करना है कि रेल के जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार और जोड़तोड़ पर कितने संजीदा हैं! क्रमशः