November 24, 2020

बदल रहा है देश, अब रेल भी बदलेगी !

Think from the perspective of the people and take decision on time for the benefit of them.

देश को और जनता को यह समझाया गया है कि रेल कोरोना की वजह से बंद है!

अगर वह ऐसा सोचते या मानते हैं तो उन्हें अब यह समझ लेना चाहिए कि वह सच में ही मूर्ख हैं।

इसीलिए तो उन्हें पिछले 73-74 सालों से इस देश के नेताओं द्वारा मूर्ख बनाया जाता रहा है।

देश भर में जब हर तरह का ट्रांसपोर्ट खोल दिया गया है, तो रेल चलाने में क्या दिक्कत है? रेल क्यों बंद है?

मेट्रो रेल चल सकती है, गुड्स/पार्सल ट्रेनें चल रही हैं, लोकल ट्रेनें चल रही हैं, तो सामान्य रेलगाड़ियां क्यों नहीं चल सकतीं?

अब हो सकता है कि जब रेलगाड़ियां चलें, तो ये जनता की “भारतीय रेल” की न होकर “अडानी रेल” की रेलगाड़ियां हों?

अभी भी कुछ चल रही हैं अडानी रेलगाड़ियां।

कोरोना तो सिर्फ एक बहाना है। कभी जनता ने सोचा कि हर रेलवे स्टेशन के बाहर वाली दुकानों, ढ़ाबों, पार्किंग, बूट पॉलिश वालों का क्या हुआ?

स्टेशन के वेंडर कहां गए? कुली कहां गए? बुक स्टाल कहां गए? सब बेरोजगार हो गए।

कोई ऑटो चला रहा है, तो कोई ई-रिक्शा। कोई ईंट-गारा ढ़ो रहा है।

अब स्टेशन दोबारा ऐसे आबाद नहीं होंगे, जैसे कोरोना से पहले आबाद थे। इन पर कॉरपोरेट का कब्जा होगा।

चाय…चाय… समोसे वालों की आवाजें नहीं आएंगी।

अब टहलते हुए स्टेशन नहीं जा सकेंगे। सभी सुविधाएं पैसे करने पर मिलेंगी।

कॉरपोरेट तय करेगा, किस कीमत में जनता अथवा यात्रियों को क्या मिलेगा।

यात्रियों के मासिक पास बंद, सीनियर सिटीजन को मिलने वाली छूट खत्म। हर तरह की छूट खत्म।

रेलकर्मियों के पास-पीटीओ और तमाम तरह के अन्य भत्ते एवं सुविधाएं भी आज नहीं तो कल खत्म हो ही जाएंगे। वेतन कटौती होगी सो अलग।

एक निश्चित अवधि के लिए अब ठेके और बंधुआ मजदूरी पर कर्मचारी अनुबंधित किए जाएंगे।

देश बदल रहा है, रेल भी बदलेगी!

साभार: #सोशल_मीडिया

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