September 20, 2023

पत्रकारिता में विश्वास बहाल करना पत्रकारों की नैतिक जिम्मेदारी!

सत्य के समर्थक और सत्यनिष्ठा के संरक्षक बनने की जिम्मेदारी स्वयं पत्रकारों की ही है। समाज एवं व्यवस्था के लिए इस जिम्मेदार पेशे के वही सबसे बड़े स्टेक होल्डर हैं। केवल नैतिक पत्रकारिता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता के माध्यम से ही यह पेशा लोकतंत्र की आधारशिला और जनता के लिए विश्वसनीय जानकारी के अमूल्य स्रोत के रूप में अपना दर्जा फिर से हासिल कर सकता है!

पत्रकारिता, जिसे अक्सर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, सूचना प्रसारित करने, जानकारी इकट्ठा करने, सच्चाई को उजागर करने और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाकर दुनिया भर के लोकतंत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि, इस महान पेशे की प्रतिष्ठा हाल के दिनों में फेक न्यूज और कुछ बिकाऊ पत्रकारों के अनर्गल कार्यों के कारण धूमिल हुई है, जो ईमानदारी पर सनसनी को प्राथमिकता देते हैं। इस चुनौती से पार पाने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को पत्रकारिता के सार को कमजोर करने वालों के खिलाफ खड़े होने की पहल करनी चाहिए। नैतिक प्रथाओं को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे पूरे पेशे की विश्वसनीयता की रक्षा कर सकते हैं।

सनसनीखेज और अनैतिक पत्रकारिता:

डिजिटल मीडिया और 24/7 समाचार चक्र के युग में, सनसनीखेज और क्लिकबेट रणनीति प्रचलित हो गई है। कुछ पत्रकार तथ्य-जाँच और गहन रिपोर्टिंग के बजाय आकर्षक सुर्खियाँ बनाने और चीख-चीखकर दर्शकों को आकर्षित करने को प्राथमिकता देते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल जनता को गुमराह करता है, बल्कि समग्र रूप से पत्रकारिता में विश्वास को भी खत्म करता है।

अनैतिक प्रथाएँ, जैसे मनगढ़ंत कहानियाँ, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और भुगतान की गई सामग्री, समस्या को और बढ़ा देती हैं। ये कार्रवाईयां न केवल पत्रकारिता की अखंडता को कमजोर करती हैं, बल्कि सूचना के भरोसेमंद स्रोत के रूप में कार्य करने की पत्रकारों की क्षमता को भी कम करती हैं।

पत्रकारों की भूमिका:

नैतिक पत्रकार सत्य और निष्पक्षता के संरक्षक होते हैं। उन्हें पत्रकारिता के मूल मूल्यों को बनाए रखने के लिए आगे आना चाहिए और अपने साथियों के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करना चाहिए। सटीक रिपोर्टिंग, संतुलित कवरेज और पेशेवर मानकों के पालन के लिए प्रतिबद्ध होकर, नैतिक पत्रकार खोए हुए विश्वास को फिर से बनाने में मदद कर सकते हैं।

तथ्य-जांच और सत्यापन पर जोर देना:

नैतिक पत्रकार गति से अधिक सटीकता को प्राथमिकता देते हैं। उन्हें जनता तक जानकारी प्रसारित करने से पहले कई स्रोतों से जानकारी सत्यापित करनी होगी। तथ्य-जाँच न केवल पत्रकार और पत्रकारिता के पेशे की विश्वसनीयता की रक्षा करती है, बल्कि पाठकों/दर्शकों तक गलत सूचना या जानकारी पहुँचने से भी बचाती है।

सनसनीखेज और क्लिकबेट से बचना:

जिम्मेदार पत्रकार सनसनीखेज और क्लिकबेट हेडलाइन के प्रलोभन का विरोध करते हैं। वे ठोस और सार्थक सामग्री प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो न केवल जनता की निष्पक्ष जानकारी की आवश्यकता को पूरा करती है, बल्कि सही जानकारी या सूचना पाने के उसके अधिकार की भी रक्षा करती है।

पारदर्शिता और जवाबदेही:

नैतिक पत्रकार अपने स्रोतों, कार्यप्रणाली और हितों के संभावित टकराव के बारे में पारदर्शी होते हैं। वे प्रतिक्रिया और सुधारों का स्वागत करते हैं, यह स्वीकार करते हुए कि कोई भी अचूक नहीं है।

साथियों को जवाबदेह बनाना:

अपने स्तर की समस्या का समाधान करने के लिए, नैतिक पत्रकारों को अपने साथी पेशेवरों को जवाबदेह ठहराने से नहीं कतराना चाहिए। पत्रकारिता समुदाय के भीतर रचनात्मक आलोचना और चर्चाएं सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं और जिम्मेदार रिपोर्टिंग के महत्व को सुदृढ़ कर सकती हैं।

मीडिया संगठनों का महत्व:

मीडिया संगठन नैतिक पत्रकारिता की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें सभी स्तरों पर पत्रकारिता की अखंडता को बढ़ावा देते हुए अपने कर्मचारियों के लिए सख्त आचार संहिता बनानी और लागू करनी चाहिए। न्यूजरूम में विविधता को प्रोत्साहित करने से व्यापक परिप्रेक्ष्य और अधिक संतुलित रिपोर्टिंग हो सकती है।

आज पत्रकारिता के सामने आने वाली चुनौतियों के लिए इस पेशे की प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने के लिए नैतिक पत्रकारों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्ष रिपोर्टिंग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देकर, वे जनता का विश्वास बहाल कर सकते हैं और सनसनीखेज तथा अनैतिक प्रथाओं के नकारात्मक प्रभाव का सामना कर सकते हैं। इसके अलावा, मीडिया संगठनों को मजबूत आंतरिक जांच और संतुलन लागू करके नैतिक पत्रकारिता का समर्थन करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

अंततः, सत्य के समर्थक और सत्यनिष्ठा के संरक्षक बनने की जिम्मेदारी स्वयं पत्रकारों की ही है। समाज एवं व्यवस्था के लिए इस जिम्मेदार पेशे के वही सबसे बड़े स्टेक होल्डर हैं। केवल नैतिक पत्रकारिता के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता के माध्यम से ही यह पेशा लोकतंत्र की आधारशिला और जनता के लिए विश्वसनीय जानकारी के अमूल्य स्रोत के रूप में अपना दर्जा फिर से हासिल कर सकता है।

साभार: द हरिश्चंद्र