June 17, 2023

डीआरएम बनाने का यह कौन-सा गणित और कहां का न्याय है प्रधानमंत्री जी और रेलमंत्री साहब!

53 साल 8 माह वाले अयोग्य लोगों को #DRM बनाया जाता है, लेकिन उनसे कम उम्र के योग्य अधिकारी ताकते रह जाते हैं, यह कौन-सा गणित है और कहां का न्याय है, प्रधानमंत्री जी और रेलमंत्री साहब?

माननीय प्रधानमंत्री जी, रेल भवन के गलियारों में यह चर्चा एक बार फिर चल रही है कि अगस्त में जो 33 #DRMs के पद खाली हो रहे हैं उन पर फिर से पोस्टिंग का खेल होने जा रहा है। अभी मार्च 2023 में जो #DRM की पोस्टिंग हुई थी, उसमें जुलाई 1969 की जन्मतिथि (#DOB) वाले को #DRM बनाया गया है। मतलब 52 साल की क्राइटेरिया से हटकर जो लोग 53 साल और उससे अधिक उम्र के हो गए थे, उनको भी #DRM बनाया गया – और लगभग एक साल के लंबे विलंबन के बाद अक्टूबर 2022 के पोस्टिंग ऑर्डर में भी ऐसे कई लोग थे – जिसका यह मानकर सर्वत्र स्वागत हुआ था कि इस तरह #DRM में पोस्टिंग के लिए आयु-सीमा का बैरियर हट रहा है।

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लेकिन अब लगता है कि कुछ विशेष लोगों को ही सुविधा देने या फेवर करने के लिए यह किया गया था, क्योंकि रेल भवन के गलियारों में चर्चा यह भी है कि अब 31 जुलाई 1970 के बाद के लोगों को ही #DRM में पोस्टिंग के लिए कंसिडर किया जाएगा। अगर ऐसा है, तो इससे बड़ा हतोत्साहित करने वाला अन्यायपूर्ण अन्य कोई निर्णय नहीं हो सकता। अगर रेलवे बोर्ड ने खुद अपनी अकर्मण्यता से और कोरोना की आड़ में एक/डेढ़ साल से अधिक समय पैनल बनाने में और पोस्टिंग करने में देरी नहीं की होती, तो जो अधिकारी अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित हो जाएंगे, वे वंचित नहीं होते। यह भी समझ से परे है कि अभी 3 माह पहले तक 53 साल 8 माह के होने के बावजूद लोगों को #DRM बनाया जा रहा था, तो अब जुलाई/ अगस्त 2023 में जिनको #DRM बनाएंगे, उसके लिए कौन सा तर्कहीन तर्क गढ़ा जाएगा?

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एक-दो माह के अंतर से जो खेल होता है, वह बड़ा ही गन्दा, अतार्किक, अहंकारपूर्ण और मूढ़ता से भरा होता है, और पूरी व्यवस्था को अंदर से तोड़ देता है। अगर #DRM के लिए अधिकारियों की उम्र का क्राइटेरिया रखना ही है, तो इस सारी प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाना चाहिए! अब जब 53 साल 8 माह के अधिकारी को #DRM बनाया जा रहा है, तो इसको सीधे 54 साल करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए! इससे सारा संशय ही खत्म हो जाएगा और जो 54 साल पूरा होने तक भी #DRM नहीं बन पाएंगे, वे अपने भाग्य को कोस लेंगे! लेकिन कम से कम तुगलकी तरीके और निर्णय से अपने को जीवन भर मर्माहत तो नहीं पाएंगे!

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स्मरण रहे कि रेलवे के बहुसंख्यक अधिकारियों और कर्मचारियों की निगाह में जन्मतिथि (#Date_of_birth) वाली योग्यता ही रेलवे की त्रासदी का सबसे बड़ा कारण है और आपकी सरकार ने अक्टूबर/नवंबर 2022 और मार्च 2023 में जो #DRM पोस्ट किए, उससे लगा कि यह जन्मतिथि वाला कोढ़ आपने खत्म कर दिया और इसी कारण से तमाम मोर्चों पर रेलमंत्री की घोर असफलता तथा उससे उत्पन्न आंतरिक और बाहरी असंतोष के बावजूद भी रेल अधिकारियों और कर्मचारियों का बड़ा तबका रेलमंत्री के समर्थन में रहा है, जो आशा भरी निगाह से देख रहा था कि शायद इस जन्मतिथि वाले क्राइटेरिया से रेल की मुक्ति का दौर शुरू हो चुका है और धीरे-धीरे ही सही, योग्य और अनुभवी लोगों को अब हर जगह अवसर मिलेगा और रेल फिर पटरी पर तेजी से दौड़ेगी।

यह रेल हित और सरकार के हित में भी होगा कि रेल भवन के गलियारों में चल रही चर्चाएं पलट जाएं और #DATE_OF_BIRTH का कोढ़ हमेशा के लिए रेल से समाप्त हो जाए, अथवा कम से कम पारदर्शिता के लिए एक न्यायपूर्ण आयुसीमा – जो कम से कम 54 साल हो – को ही रखा जाए। उस स्थिति में यह तब और अधिक सही हो जाता है जब आप दो-चार माह में ही 54 साल पूरा करने वाले लोगों को लगातार अपने 3 पोस्टिंग ऑर्डर में पोस्ट करते गए हैं।

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जब #GM के लिए और उसके ऊपर के पदों पर पोस्टिंग के लिए बने नियमों को आपने समाप्त कर दिया, तो फिर #DRM में यह जून/जुलाई वाला गणित क्यों लगाए रखा गया है? जो लोग ऐसी गणित बनाते हैं और बताते हैं, सरकार उनका इतिहास खंगाल कर देखे कि ये वे लोग हैं जिन्होंने पूरी जिंदगी रेल को कुछ दिया ही नहीं, लेकिन अपने सैडिस्टिक दंभ और दुनिया की सारी नकारात्मकता लिए ये लोग दुनिया और व्यवस्था को सुधारने का ढ़िंढ़ोरा पीटते रहते हैं, और जहां और जिसके साथ रहते हैं, उसके भाग्य का स्वयं उपभोग कर उसका सर्वनाश कर डालते हैं। आप भी यह सब खंगालकर देखिएगा रेलमंत्री जी!

प्रधानमंत्री जी, यहां यह बात भी स्मरण रहे कि बालासोर जैसे बड़े हादसे इसी #Date_of_birth जैसे पूर्वाग्रहों के परिणाम हैं, क्योंकि जिस संस्था में कार्मिकों के अनुभव, योग्यता, निष्ठा, समर्पण, परिश्रम और पसीने का सम्मान नहीं होता है, उसकी व्यवस्था आदमी का खून पीती है और उसकी बलि लेती है, वह भी बिना किसी पश्चाताप के!

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रेल में इस तरह से #DOB कट-ऑफ पर फिर से होने वाली सम्भावित कवायद से रेल कई बेह्तरीन आउटस्टैंडिंग ऑफिसर्स की सेवा से वंचित होती रही है। बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री और रेलमंत्री स्वयं इसका संज्ञान लेकर विवेकपूर्ण एवं न्यायपूर्ण निर्णय लें!

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब इमोशनल इंटेलिजेंस असेसमेंट लिस्ट बनी थी तब रेलवे बोर्ड के तत्कालीन शीर्षस्थ अधिकारियों ने यह कहा था कि यह नया प्रयोग है, इसमें जितने भी लोग जिस आधार पर लिए गए हैं, इनमें से सभी क्रमानुसार #DRM बनाए जाएंगे, जिसमें उम्र की क्राइटेरिया पार करने का कोई मसला नहीं होगा। यह एक तरह से सेलेक्शन लिस्ट का मसला हो गया। इस प्रयोग के रिजल्ट को देखने के बाद इसी तरह से दूसरी लिस्ट तैयार की जाएगी और फिर लिस्ट में शामिल सभी लोगों को पोस्ट करने के बाद आगे इसके हानि-लाभ का मूल्यांकन कर अगर कोई संभावित सुधार करना आवश्यक होगा तो वह भी किया जाएगा। यह बात विवेकपूर्ण, तर्कसंगत और न्यायोचित होने के साथ पारदर्शी भी थी, इसलिए लोगों को लगा कि यह एक बड़ी अच्छी शुरूआत है।

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ज्ञातव्य है कि रेलवे बोर्ड के पूर्व शीर्षस्थ अधिकारी (#CRB) ने तो #RailSamachar से एक बातचीत के दौरान यहां तक कहा था कि “क्या फर्क पड़ता है कि अगर कोई डिजर्विंग अधिकारी 57/58 साल में #DRM बनता है और #DRM से ही रिटायर कर जाता है, बनिस्बत कि जैसा अक्षम-अकर्मण्य लॉट 52 साल की एज-क्राइटेरिया के चलते मिल रहा है!”

लेकिन बीच में ही उनकी इस बात का गला घोंटना एक बड़ी त्रासदी होगी क्योंकि इस तर्कहीन अविवेकी दंभ से भरे हुए अन्यायपूर्ण निर्णय से कुछ सर्विसेस का तो लगभग पूरा का पूरा समूह ही गायब हो जा रहा है जिसमें हकीकत में इस नूतन प्रयोग के सबसे अच्छे अधिकारी रेलवे को मिलने वाले थे, चाहे वह #IRSSE हों, #IRSEE हों, #IRTS हों, #IRSE हों, या फिर #IRAS आदि हों!

यह भी देखना बड़ा रोचक होगा कि जब ऐसा ही बेढ़ब खेल करना था, तब यह लिस्ट बनाई ही क्यों गई थी? और इसका आधार तथा औचित्य क्या था? वरना #DATE_OF_BIRTH की योग्यता वाले अधिकारी – जिनको शुरू से यह गुमान रहता है कि पैनल भले ही एक-दो साल की देरी से भी बने, तो भी उनका नाम तो उसमें आएगा ही – इसी लिस्ट में जिनकी पोस्टिंग हो चुकी है या जिनको ओवर-कॉन्फिडेंस है कि एज-कट-ऑफ अगर किसी भी सेलेक्शन में क्राइटेरिया होगा, तो वे कभी भी आ जाएंगे। रेलमंत्री जी, गौर से सुनें- इस तरह के अधिकांश अधिकारी काम छोड़कर अंग्रेजों के सारे शौक पाल रखे हैं – चाहे वह गोल्फ खेलना हो, या अपना काम छोड़कर मैराथन दौड़ने के बहाने देश-दुनिया घूमना हो! मीडिया में झूठी-अर्धसत्य खबरें छपवाकर सोशल मीडिया-वर्चुअल वर्ल्ड में अपनी इन कथित उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार करके झूठी वाहवाही लेकर अपने नंबर बढ़वाने हों, अथवा प्रतिनियुक्ति में रहकर सुरक्षित टाइम-पास करना हो, उस स्थिति में खुद रेलमंत्री को काम नहीं करना पड़ेगा और कोई दुर्घटना होने पर दुर्घटना स्थल पर खड़ा भी नहीं रहना पड़ेगा, तो क्या करना पड़ेगा? और तो और, खुद सफाई ऐसे देनी पड़ती है कि मानो रेलमंत्री या प्रधानमंत्री ही ट्रेन चला रहे थे और साइट पर मेंटेनेंस भी वही कर रहे थे?

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#RailSamachar न तो किसी भी पार्टी के रेलमंत्री के प्रति कोई गलत भावना रखता है, और न ही किसी भी अधिकारी के प्रति कोई पूर्वाग्रह ही रखता है। #RailSamachar सबकी बात से व्यवस्था को अवगत कराता है केवल इस नीयत के साथ कि व्यवस्था का और आम जनता का भला हो, और ऊपर बैठे लोग जाने-अनजाने में अगर कुछ गलत कर रहे हों, तो सचेत हो जाएं कि उन्हें सहस्रों आंखें देख रही हैं – आशा से और भरोसे से – जिसके टूटने पर बड़े से बड़े तिलिस्म का संसार भी उसी के सामने ढ़हकर भस्म हो जाता है।

#DRM/नांदेड़ की पोस्टिंग मार्च 2023 में हुई है, इनकी #DOB 24.07.1969 है। अक्टूबर 2022 में सरकार विरोधी #DRM/कोटा जैसे कुछ अधिकारियों की पोस्टिंग 53 साल 8 माह में, अर्थात् कथित सेट-क्राइटेरिया के बाद हुई है! इसमें और भी कई #DRM ऐसे हैं, जो #DRM बनने की योग्यता नहीं रखते, परंतु रेल प्रशासन की प्रशासनिक कमजोरियों के चलते अपनी अयोग्यता का भी सुख-भोग कर रहे हैं! अत: अब अगर रेल को बचाना है, संरक्षा/सुरक्षा और समयपालन को सुनिश्चित करना है, तो आवश्यकता इस बात की है कि #DRM – जो कि पहले से ही एक एक्स-कैडर पोस्ट है – में जन्मतिथि की क्राइटेरिया को समाप्त करके योग्य, अनुभवी अधिकारियों को ही पदस्थ करने पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए!

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी