दो नई रेल लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली (पीआईबी): कैबिनेट ने भारतीय रेल में कनेक्टिविटी बढ़ाने, यात्रा को आसान बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत कम करने, तेल आयात और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी है।
परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग ₹6,456 करोड़ है और इसे 2028-29 तक पूरा किया जाएगा। इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 114 लाख मानव दिवसों का रोजगार पैदा होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने रेल मंत्रालय की लगभग ₹6,456 करोड़ की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
इन परियोजनाओं से दूर-दराज के क्षेत्रों को आपस में जोड़कर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, वर्तमान लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा, जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा।
नई लाइन के प्रस्तावों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी और आवागमन में सुधार होगा, तथा भारतीय रेल की दक्षता और सेवा संबंधी विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेल के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद आवश्यक बुनियादी ढ़ाँचे का विकास होगा।
ये परियोजनाएँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नए भारत की परिकल्पना के अनुरूप हैं, जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक विकास होगा और लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाया जा सकेगा और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
ये परियोजनाएँ मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना तैयार किए जाने से संभव हुआ है और यह लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली ये तीन परियोजनाएँ भारतीय रेल के वर्तमान नेटवर्क को लगभग 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।
इन परियोजनाओं के साथ 14 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे दो आकांक्षी जिलों (नुआपाड़ा और पूर्वी सिंहभूम) को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। नई लाइन परियोजनाओं से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 11 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी। मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से कनेक्टिविटी के साथ लगभग 19 लाख लोगों को विकास का लाभ मिलेगा।
ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर इत्यादि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 45 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल परिवहन साधन है और इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात (10 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (240 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो 9.7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।