विश्व अल्जाइमर दिवस-2024: डिमेंशिया और अल्जाइमर पर कार्य करने का समय
केंद्रीय रेलवे अस्पताल, प्रयागराज में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
प्रयागराज ब्यूरो : उत्तर मध्य रेलवे-केंद्रीय अस्पताल, प्रयागराज में विश्व अल्जाइमर दिवस-2024 के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन मुख्य अतिथि और मुख्य सम्माननीय अतिथि डॉ. एस.पी. शर्मा (#CMS/प्रयागराज) की उपस्थिति में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में डॉ. कल्पना मिश्रा (#ACHD/प्रशासन) की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रही, जिनके योगदान और उपस्थिति के प्रति अस्पताल और सभी उपस्थित लोगों ने गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। इस वर्ष की थीम, “डिमेंशिया और अल्जाइमर पर कार्य करने का समय”, के तहत अल्जाइमर रोगियों के प्रति संवेदनशीलता और देखभालकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष जोर दिया गया।
डॉ. मृत्युंजय कुमार ने अल्जाइमर रोग के महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए बताया कि यह एक प्रगतिशील न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस, जो स्मृति और स्थानिक जागरूकता से जुड़ा होता है, सबसे पहले क्षतिग्रस्त होता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मस्तिष्क के अन्य हिस्से भी प्रभावित होते हैं, जिससे रोगी की दैनंदिन जीवन की गतिविधियों में स्वतंत्रता कम होती जाती है। प्रारंभिक लक्षणों में साधारण भूलने की घटनाएं शामिल होती हैं, जो समय के साथ अधिक गंभीर हो जाती हैं, और रोगी की भाषा, ध्यान, और समस्या-समाधान क्षमता भी प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में अल्जाइमर का कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि डोनेपेज़िल, रिवास्टिग्माइन और मेमन्टाइन जैसी दवाओं के माध्यम से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। ये दवाएं न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन को सुधारने में मदद करती हैं, हालांकि ये रोग की प्रगति को रोकने में पूरी तरह सक्षम नहीं हैं।
रोकथाम के संदर्भ में, डॉ. कुमार ने मस्तिष्क की सक्रियता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। पहेलियाँ हल करना, संगीत सुनना, और योग जैसी गतिविधियाँ मस्तिष्क की प्लास्टिसिटी को बनाए रखने में सहायक हो सकती हैं। सामाजिक संपर्क और मानसिक रूप से उत्तेजक गतिविधियाँ भी रोग की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकती हैं।
उन्होंने बायोमार्कर्स, जैसे PET स्कैन और सीएसएफ विश्लेषण, के उपयोग से अल्जाइमर के प्रारंभिक निदान की क्षमता पर चर्चा की। साथ ही, जीन आधारित परीक्षण, जैसे APOE-e4, से जोखिम का पूर्वानुमान संभव है। भविष्य में जीनोम एडिटिंग (#CRISPR) और इम्यूनोथेरपी जैसे उन्नत उपचार विकल्पों से इस बीमारी के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद जताई गई।
इसके बाद डॉ. कल्पना मिश्रा (ACHD/प्रशासन) ने कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देखभालकर्ताओं के मानसिक और सामाजिक समर्थन की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों की देखभाल में देखभालकर्ताओं का समर्पण अत्यंत आवश्यक है और समाज को उनके समर्थन में कार्य करना चाहिए। डॉ. रोहित कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे, जिन्होंने देखभालकर्ताओं के समर्पण को प्रेरणादायक बताया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य फार्मासिस्ट राज कुमार, मुख्य नर्सिंग अधीक्षिकाएं मोडेस्टा सीता और सुमंती, तथा स्वास्थ्य शिक्षक श्रवण का विशेष योगदान रहा। उनके सामूहिक प्रयासों से यह कार्यक्रम न केवल अल्जाइमर रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश का प्रसार भी किया गया।
स्टेपलर सरकमसीजन कैंप का आयोजन
उत्तर मध्य रेलवे केंद्रीय अस्पताल प्रयागराज के चिकित्सा निदेशक डॉ संजीव कुमार हाण्डू और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ सत्य प्रकाश शर्मा की उपस्थिति में रेलवे केन्द्रीय चिकित्सालय प्रयागराज में स्टेपलर सरकमसीजन कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें बिना चीरे और टांके के स्टेपलर विधि द्वारा फीमोसिस का स्टेपलर सरकमसीजन किया गया। इस कैंप में दिल्ली से आए विशेषज्ञ द्वारा सरकमसीजन स्टेपलर का मरीजों पर सफल परीक्षण किया गया। इस विधि में दर्द भी नहीं होता है और न ही टांका काटने की जरूरत होती है। आजकल बच्चों और वृद्धों में विशेषतः मधूमेह रोग से पीडित व्यक्तियों में फीमोसिस नामक बीमारी आम बात है।
इस कैंप में रेलवे के वरिष्ठ सर्जन डॉ संजय कुमार, मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज सर्जरी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ सबी अहमद, शहर के प्रसिद्व निश्चेतक विशेषज्ञ डॉ एन पी मिश्रा, यूरोलाजिस्ट डॉ अभिषेक शुक्ला, मैट्रन मंजू सोनकर, सहायक असिस्टेंट मूल चन्द, राजेन्द्र तिवारी, लवकुश, श्रीमती आरती प्रसाद, अमित शुक्ला नर्सिंग स्टाफ बनवारी लाल और प्रीती उपस्थित रहे और कैंप को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।