प्रयागराज मंडल: नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली तीरथ करने चली, भाग-4
#SrDCM/PRYJ का स्पष्टीकरण
सीनियर डीसीएम/प्रयागराज मंडल हिमांशु शुक्ला ने रविवार, 25 अगस्त 2024 को “प्रयागराज मंडल: नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली, भाग-3” शीर्षक से प्रकाशित सीरीज पर अपना स्पष्टीकरण व्हाट्सएप पर भेजा है। उनका कहना है – “विदित हो कि, मंडल कार्यालय द्वारा दिनांक 12.08.24 को ही श्री गजेन्द्र प्रसाद के ऑर्डर इश्यू कर दिए गए थे और तत्काल ही कंट्रोल मैसेज दे दिया गया था। कानपुर परिक्षेत्र कार्यालय द्वारा उनकी स्वीकृत छुट्टी दिनांक 05.08.24 से 17.08.24 तक एवं दिनांक 18.08.24 से 20.08.24 तक थी। दिनांक 21.08.24 को वह अपनी इंक्वायरी के संबंध में प्रधान कार्यालय आए थे और वहां से मंडल कार्यालय आए और अपनी माताजी की खराब तबीयत का हवाला देते हुए छुट्टी हेतु अनुरोध किया कि उन्हें माता जी के इलाज हेतु बिहार जाना अति आवश्यक है, जिसे SrDCM द्वारा माताजी के और मानवीय आधार पर ही स्वीकृत किया गया, न कि किसी प्रकार का प्रश्रय देने हेतु। मंडल के किसी भी स्टाफ की छुट्टी देने का अधिकार SrDCM को है, अतः छुट्टी अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत मानवीय आधार पर ही दी गई और जो पूर्णतः नियमसंगत है और साथ ही साथ उनके द्वारा HRMS पर अप्लाई करने पर भी अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए मानवीय आधार पर किया गया। प्रशासन द्वारा पूर्णतः नियमों के अनुरूप ही निर्णय लिए जाते हैं और किसी भी स्टाफ को नियम विरुद्ध प्रश्रय नहीं दिया जाता है। संलग्न : स्टाफ की माता जी का prescription.”
संपादक का प्रतिवेदन
सीनियर डीसीएम/प्रयागराज मंडल, उत्तर मध्य रेलवे, हिमांशु शुक्ला ने अपने स्पष्टीकरण में ऊपर जो कुछ भी कहा है, वह अपनी जगह सही हो सकता है, परंतु जब वह स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कर्मचारी की छुट्टी कानपुर परिक्षेत्र से स्वीकृत की गई थी, तो उन्होंने दूसरे अधिकारी के परिक्षेत्र में अनुचित हस्तक्षेप क्यों किया? माना कि #SrDCMPRYJ को किसी भी वाणिज्य कर्मचारी को छुट्टी देने का अधिकार है, परंतु यह अधिकार उन्हें एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत है, यह मनमाने तरीके से अथवा किसी भ्रष्ट कर्मचारी को प्रश्रय देने या फेवर करने के लिए नहीं है!
और हाँ, अपने स्पष्टीकरण के साथ “संलग्न: स्टाफ की माता जी के प्रेसक्रिप्शन” की जो बात उन्होंने लिखी है, वह उन्होंने रिमाइंड करने के बावजूद नहीं भेजा। इसके अलावा, जैसा कि उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में लिखा है, उनसे हमने उनके कथन के प्रमाण के तौर पर #HRMS पर दिए गए कर्मचारी के आवेदन की प्रति डेट/टाइम के साथ माँगी, जो उन्होंने नहीं दी।
SrDCM/PRYJ का कहना है कि “प्रशासन द्वारा पूर्णतः नियमों के अनुरूप ही निर्णय लिए जाते हैं”, मगर उन्होंने अपने स्पष्टीकरण में किसी रेलवे नियम का उल्लेख करना आवश्यक नहीं समझा कि उन्होंने किस नियम के तहत अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अंडर-ट्रांसफर स्टाफ की छुट्टी मैनुअल आवेदन पर स्वीकृत की?
कर्मचारी ट्रांसफर से बचने के लिए जानबूझकर छुट्टी पर छुट्टी लेता रहा और SrDCM/PRYJ नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं! शातिर कर्मचारी 15 दिन की छुट्टी लेकर अपने गाँव चला गया, बाद में वहीं से तीन दिन की छुट्टी और बढ़वा ली, और अपना ट्रांसफर रुकवाने की जुगाड़ में लगा रहा तथा छुट्टी खत्म होने के बाद विजिलेंस जाँच में अपने कार्यस्थल से स्पेयर मेमो न लेकर सीधे गाँव से मुख्यालय पहुँचा। छुट्टी के दौरान ही कार्यस्थल के प्रभारी को दबाव में लेकर 14.08.24 को ही ड्यूटी पास जारी करा लिया, जबकि जाँच में उपस्थित होने की तारीख 21.08.24 थी, अर्थात् केवल 200 किमी की दूरी के लिए ड्यूटी पास इतना एडवांस कैसे जारी हो गया? यह भी जांच का विषय है।
कर्मचारी लंबी छुट्टी के बाद जाँच में आता है और वापस अपने कार्यस्थल पर इसलिए नहीं जाता, क्योंकि वहाँ से उसको मैसेज मिल रहा था कि “सतर्कता विभाग की अनुशंसा के अनुपालन में उसका ट्रांसफर इटावा कर दिया गया है और यहां आकर स्पेयर मेमो ले लो।” क्या ये बात SrDCM/PRYJ को नहीं पता थी कि कर्मचारी अंडर-ट्रांसफर है? अगर मानवीय आधार की ही बात थी, तो कर्मचारी जांच के बाद अपने कार्यस्थल कानपुर में उपस्थित होता और ड्यूटी पास जमा करता, फिर HRMS पोर्टल पर छुट्टी के लिए आवेदन करता। यदि प्रशासन को मानवीय कारण समझ में आता तो उसे स्वीकृत करता! स्टाफ द्वारा माता जी की बीमारी का हवाला देना गलत नहीं कहा जा सकता – हालाँकि जिन परिस्थितियों में यह हवाला दिया गया – उससे इसके सच होने में संदेह है। तथापि तमाम सारी मानवता दिखाने और सहानुभूति रखने के बाद भी SrDCM/PRYJ को उसे निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने हेतु कानपुर मुख्यालय जाने के लिए कहना चाहिए था। अतः SrDCM/PRYJ का यह कहना कि ‘उनका छुट्टी देना पूर्णतः नियमसंगत है’, यह पूर्णतः सच और नियमसंगत नहीं है।
रेलवे बोर्ड के परिपत्र (RBE No. 94/2023, दिनांक 27.07.2023) के अनुसार रेल अधिकारियों/कर्मचारियों को छुट्टी के आवेदन 01.08.2023 से केवल HRMS पोर्टल से ही देना होगा। मैनुअल छुट्टी का आवेदन देने की पद्धति दिनांक 01.08.23 से अप्रभावी हो जाएगी। क्या SrDCM/PRYJ को रेलवे बोर्ड के इस निर्देश की जानकारी नहीं थी?
मंडल के किसी भी वाणिज्य स्टाफ को छुट्टी देने का अधिकार SrDCM/PRYJ को है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन जब कर्मचारी की छुट्टी कानपुर मुख्यालय से स्वीकृत होती है तो फिर उचित माध्यम का उपयोग संबंधित कर्मचारी द्वारा क्यों नहीं किया गया? अथवा SrDCM/PRYJ द्वारा उससे इस प्रक्रिया का पालन करने के लिए क्यों नहीं कहा गया? यहाँ नियम और प्रक्रिया के सामने कथित मानवीय आधार का कोई औचित्य नहीं है, और SrDCM/PRYJ को जो भी अधिकार है, वह एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत है, मनमाने आधार पर नहीं। संबंधित कर्मचारी ने HRMS पोर्टल पर अपने इंचार्ज CGS के माध्यम से अपनी छुट्टी का आवेदन देना चाहिए था, जो कि उचित माध्यम है। यदि वहाँ से उसकी छुट्टी किसी कारणवश अस्वीकृत होती, तब SrDCM/PRYJ को तथाकथित मानवीय आधार बनाकर छुट्टी स्वीकृत करने का अधिकार था, लेकिन यहां तो नियमों की ऐसी धज्जियाँ उड़ाई गईं, मानो सर्वाधिकार SrDCM/PRYJ को ही है! क्या SrDCM/PRYJ को ये नहीं पता था कि 01.08.23 से छुट्टी का आवेदन मैनुअल नहीं, बल्कि HRMS पोर्टल के माध्यम से ही दिया जाता है? फिलहाल जैसी स्थिति है, उससे स्पष्ट है कि कर्मचारी को बचाने और उसे फेवर करने के लिए SrDCM/PRYJ द्वारा झूठ पर झूठ बोला जा रहा है।
शुचिता का दम भरने वाले ऐसे कुछ अधिकारियों को पता होना चाहिए कि उनके बहुत सारे राज और अनियमितताएँ उजागर होनी बाकी हैं। बताया गया कि पिछले दो सालों से भी अधिक समय से कानपुर में एक अधिकारी के एक करीबी रिश्तेदार के घर पर दो चतुर्थ श्रेणी रेल कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि इन दोनों कर्मचारियों का पे-रोल कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर है। कितने शर्म की बात है कि ईमानदारी का ढ़ोल पीटने वाले लोग अपनी अंतरात्मा तक बेंच चुके हैं, और सही बात कहने से उनकी तथाकथित भावनाएँ आहत हो जाती हैं! रेलमंत्री और जीएम/उ.म.रे. से अनुरोध है कि इसकी प्रॉपर विजिलेंस जाँच करवाएँ और उक्त दोनों रेलकर्मियों को उक्त अवधि में रेलवे से हुए कुल भुगतान की रिकवरी संबंधित अधिकारी के वेतन से करवाना सुनिश्चित करें!
यह भी जानकारी मिली है कि मानवीय आधार वाला SrDCM/PRYJ का होनहार सेवक, जिसे उन्होंने माताजी की कथित बीमारी के आधार पर नियम विरुद्ध 25 दिन की छुट्टी दूसरे के अधिकार क्षेत्र में जाकर दिया था, वह अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए इन छुट्टियों का इस्तेमाल प्रयागराज में ही रहकर स्टे लेने के लिए कोर्ट का चक्कर लगा रहा है। बताते हैं कि यह एडवाइस भी उसे नियमों के साथ अधिकार का हवाला देने सहित नैतिकता और शुचिता का दम भरने वाले अधिकारी ने ही दी है!
प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार DyCTM/CNB ने SrDCM/PRYJ द्वारा दी गई मैनुअल छुट्टी को अमान्य करते हुए स्टाफ को तत्काल उसी दिन इटावा के लिए स्पेयर करा दिया था। यदि SrDCM/PRYJ का यह कहना कि “मैनुअल छुट्टी देना पूर्णतः नियमसंगत है” तो एक तरफ यह रेलवे बोर्ड के उपरोक्त निर्देश की खुली अवहेलना है, तो दूसरी तरफ प्रश्न यह उठता है कि SrDCM/PRYJ के अनुसार यदि मैनुअल छुट्टी देना नियमसंगत है तो DyCTM/CNB ने स्टाफ को स्पेयर क्यों कर दिया? और अगर स्टाफ ने HRMS पर छुट्टी का आवेदन दिया था – जैसा कि SrDCM/PRYJ ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है – तो SrDCM/PRYJ उसकी प्रति #RailSamachar को उपलब्ध कराने से क्यों कतरा गए? क्या ये कोई गोपनीय दस्तावेज है?
हर महीने की 5-6 तारीख को सीपीसी मालगोदाम/कानपुर का संबंधित स्टाफ “झोला” लेकर प्रयागराज मंडल और उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय के कुछ अफसरों के कार्यालयों में क्यों उपस्थित होता है? ऐसे और भी बहुत सारे प्रश्न तथा अनियमितताएँ हैं, जो समयानुसार उजागर होंगी!