रेलवे ने सामान्य यात्रियों को भरमाने के लिए बनाई अतिरिक्त कोच लगाने की योजना
सामान्य यात्रियों को ट्रेनों में जनरल कोचों की संख्या बढ़ने के लिए करनी होगी अभी एक साल तक प्रतीक्षा
नई दिल्ली: रेल प्रशासन ने मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में सामान्य श्रेणी कोच (जनरल कोच) की संख्या बढ़ाने का खर्चीला निर्णय लिया है। इसके तहत 2500 सामान्य कोचों का अतिरिक्त उत्पादन करने का फैसला किया गया है। इससे सामान्य कोचों में अतिरिक्त 18 करोड़ से अधिक यात्री सालाना यात्रा कर सकेंगे। ये कोच रेलवे के प्रति वर्ष कोच उत्पादन के अतिरिक्त होंगे।
इसका अर्थ यह है कि सामान्य यात्रियों को ट्रेनों में जनरल कोचों की संख्या बढ़ने के लिए अभी एक साल तक प्रतीक्षा करनी होगी। रेलवे ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सामान्यतः एक्सप्रेस एवं सुपरफास्ट ट्रेनों में जनरल कोच दो से चार के बीच में होते हैं। योजना के अनुसार जिन ट्रेनों में दो कोच हैं, उनमें इनकी संख्या बढ़ाकर चार कर दी जाएगी।
रेलवे का कहना है कि भारतीय रेल ने पिछले एक दशक में कोच उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2014-15 में 555 एलएचबी कोचों का उत्पादन किया गया, जबकि 2023-24 में 7,151 कोच का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रकार चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 8692 कोच उत्पादन किया जाएगा। इसमें 50 अमृत भारत ट्रेन (पुल-पुश तकनीक) के लिए कोच बनेंगे। वंदे भारत ट्रेन के लिए 1600 कोचों का उत्पादन किया जाएगा।
इस प्रकार दो कोच के हिसाब से मेल ट्रेनों में 1250 और एक्सप्रेस ट्रेनों में 2500 कोच लगाए जाएंगे। इससे सामान्य कोचों में अतिरिक्त 18 करोड़ 25 लाख से अधिक यात्री ले जाने की सालाना क्षमता बढ़ जाएगी। यह सभी कोच चालू वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएंगे।
संपादक की टिप्पणी: उपरोक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार उक्त सामान्य कोचों का चालू वित्त वर्ष में उत्पादन किया जाएगा, अर्थात् रेलवे ने मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल कोचों को कम किए जाने अथवा हटाए जाने के आरोपों से बचने और यात्रियों को भरमाने के लिए बड़ी चालाकी से यह तरीका निकाला है। इसका अर्थ यह है कि अगले एक साल तक सामान्य यात्रियों को इन कोचों को लगाए जाने की प्रतीक्षा करनी होगी। यहाँ प्रश्न यह है कि ट्रेनों से जो जनरल कोच हटाए गए थे, वह कहाँ हैं? क्या उन्हें स्क्रैप (कबाड़) कर दिया गया है? यदि नहीं, तो तत्काल प्रभाव से इन कोचों को सभी गाड़ियों में ज्यों का त्यों क्यों नहीं लगाया जा सकता?