पीसीएससी/प.रे. पर लगा शारीरिक शोषण का आरोप – एक स्पष्टीकरण
पश्चिम रेलवे के पीसीएससी पर आरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल द्वारा अपर महाप्रबंधक (एजीएम) को एक पत्र लिखकर शारीरिक शोषण का जो आरोप लगाया गया था, उस पत्र में कुछ आरपीएफ इंस्पेक्टर एवं आरपीएफ स्टाफ का नाम भी आया था। इस संदर्भ में “रेलसमाचार” में “पश्चिम रेलवे के पीसीएससी पर महिला कांस्टेबल ने लगाया शारीरिक शोषण का आरोप” शीर्षक से एक खबर 10 जनवरी 2024 को प्रकाशित हुई थी। इस खबर पर पश्चिम रेलवे, मुंबई सेंट्रल मंडल पर अंधेरी एवं मालाड आरपीएफ पोस्ट पर तैनात दो आईपीएफ ने अपने एडवोकेट रमेश पांडेय एवं एडवोकेट बीना सिंह के माध्यम से “रेलसमाचार” को 25 जनवरी 2024 को लीगल नोटिस भेजा है और बिना शर्त माफी मांगने तथा स्पष्टीकरण जारी करने की माँग की है।
उक्त नोटिसों में दोनों आरपीएफ इंस्पेक्टर्स का कहना है कि उक्त पत्र में लिखी गई बातें झूठी पाई गई हैं। उनका कहना है कि उपरोक्त खबर से उनकी मानहानि हुई है, रेल व्यवस्था में उनकी छवि धूमिल हुई है, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और गरिमा को ठेस पहुँची है, तथा उनकी बदनामी हुई है। अतः #RailSamachar द्वारा बिना शर्त माफी माँगी जाए और स्पष्टीकरण जारी किया जाए।
संपादक का प्रतिवेदन/स्पष्टीकरण
उपरोक्त दोनों लीगल नोटिस के प्रत्युत्तर में हमारा यह स्पष्टीकरण है कि एजीएम/पश्चिम रेलवे को कथित महिला कांस्टेबल द्वारा लिखा गया उक्त पत्र हमारे द्वारा न तो क्रिएट किया गया था, न ही बनाया गया था। उक्त पत्र की जानकारी #RailSamachar को उसी दिन मिल गई थी जिस दिन #AGM/#WR द्वारा उसे प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी (#PCPO) को अग्रसारित किया गया था। तथापि हमने तत्काल उस पर कोई खबर प्रकाशित नहीं की। हमने लगातार एजीएम और पीसीएससी को उनका पक्ष जानने तथा पत्र प्राप्ति की पुष्टि करने के लिए उन्हें कई-कई बार कॉल किया। तथापि इन दोनों उच्च अधिकारियों ने न तो कॉल रिसीव की, और न ही कॉलबैक किया।
इस दरम्यान 9 जनवरी 2024 को उक्त पत्र के आधार पर एक दैनिक अखबार में एक खबर प्रकाशित हो गई, और सोशल मीडिया – व्हाट्सएप, ट्विटर (एक्स) – पर भी उक्त पत्र वायरल हो चुका था। इसके बाद ही रेलवे पर विशेष रूप से प्रकाशित “रेलसमाचार” ने पश्चिम रेलवे के एक कार्मिक अधिकारी से पत्र प्राप्ति की पुष्टि करने के पश्चात ही अपना सामाजिक दायित्व समझकर उपरोक्त शीर्षक से 10 जनवरी को उपरोक्त खबर प्रकाशित की। इस तथ्य का उल्लेख हमारी उपरोक्त खबर के पहले पैरा में ही किया गया है। तथापि हमारी खबर में उक्त पत्र में उल्लेखित पीसीएससी के अलावा अन्य किसी आरपीएफ स्टाफ का नाम नहीं लिखा गया, और न ही उक्त पत्र प्रकाशित किया गया। उक्त खबर में ‘एक्स’ पर प्रसारित ट्विट, सपोर्ट के तौर पर डाला गया है।
हमारा यह भी कहना है कि, ऐसा ज्ञात हुआ है कि #PCSC/#RPF #WesternRailway के विरुद्ध कथित महिला कांस्टेबल ने उसके द्वारा शिकायत किए जाने से इनकार किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त पत्र लिखने वाले आरपीएफ कर्मी की पहचान को चिन्हित किए बिना किसी एक महिला कांस्टेबल से जबरन या दबाव डालकर ऐसा लिखा लिए जाने से इस प्रक्रिया को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता, वह भी तब जब उसके द्वारा उक्त पत्र अथवा शिकायत भेजे जाने से मना किया गया हो! तथापि किसी अचिन्हित अथवा अप्रमाणित महिला कांस्टेबल के द्वारा उक्त पत्र लिखे जाने से इनकार किए जाने मात्र से पीसीएससी के विरुद्ध उक्त पत्र में लगाए गए आरोप मिथ्या साबित हो गए हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता। “रेलसमाचार” ने अपनी उपरोक्त खबर में उक्त पत्र और उसमें लगाए गए आरोपों की जाँच कराए जाने की बात कही है, और माँग की है कि उक्त पत्र किसने लिखा, और क्यों लिखा – पूरी रेल व्यवस्था, पूरे रेल प्रशासन और सभी प्रशासनिक अधिकारियों के हित में इसका पता लगाया जाना अत्यंत आवश्यक है। इससे उच्च रेल अधिकारियों के विरुद्ध – और विशेष रूप से महिला अधिकारियों के खिलाफ – इस प्रकार की कथित झूठी शिकायतों और साजिशों को नियंत्रित किया जा सकता है।
तथापि इस संदर्भ में #RailSamachar ने जो खबर प्रकाशित की, वह अपना सामाजिक दायित्व समझकर और के प्रशासनिक हित में प्रकाशित की, महिलाओं की सुरक्षा और उनकी गरिमा को बनाए रखने को ध्यान में रखकर प्रकाशित किया, उसमें किसी भी आरपीएफ कर्मी अथवा अधिकारी की मानहानि या बदनामी करने का उद्देश्य कदापि निहित नहीं था। उसमें किसी आरपीएफ स्टाफ की सामाजिक छवि धूमिल करने अथवा उसकी पद-प्रतिष्ठा या गरिमा को ठेस पहुँचाने की मंशा कदापि नहीं थी। तथापि, यदि किसी आरपीएफ स्टाफ को ऐसा प्रतीत हुआ है, तो उसके लिए हमें वास्तव में खेद है! -संपादक