त्रिपाठी जी! जाते-जाते ऐसा कोई अनैतिक काम न करें, जो अब तक आपने नहीं किया!
रेलवे में जोरों से चर्चा है कि आज 16 डीआरएम का डेढ़ साल विलंब से बने 52 साल आधारित पैनल से पोस्टिंग हो रही है। अक्टूबर में इसी पैनल से 54 साल में पहुंच चुके कई लोगों की आनन-फानन में पोस्टिंग कर दी गई थी बिना किसी फाइल को कनेक्ट किए, और अब फिर इसमें भी कई 52 साल से ऊपर वाले होंगे।
लेकिन अब इसके बाद जो डीआरएम पोस्ट होंगे वे नए साल के नए पैनल से पोस्ट होंगे, जिसमें सभी सर्विसेस से बहुत लोग डीआरएम बनने से वंचित हो जाएंगे, जिनका नाम पुराने पैनल में था, लेकिन नए पैनल में 52 साल के क्राइटेरिया के कारण बाहर हो जाएंगे, वह भी इसी पैनल में 54 साल तक में प्रवेश कर चुके लोगों को डीआरएम में पोस्ट करने के प्रेसीडेंस बनाने के बावजूद! इससे बड़ा अन्याय का उदाहरण और क्या हो सकता है?
अगर सही समय से डीआरएम पैनल बना रहता, और सही समय से डीआरएम की पोस्टिंग होती, तो शायद इस पैनल से प्रायः सभी लोग डीआरएम बन गए होते। रेल मंत्रालय की इस मनमानी की सजा बाकी भोगेंगे!
कायदे से या तो जो झुनझुना रेलमंत्री जी ने सबको दिखाया था कि 52 साल का क्राइटेरिया खत्म कर नए पारदर्शी तरीके से पूरे बैच को एलिजिबल मानते हुए डीआरएम का चयन किया जाएगा, वह करते जो “mother of all reforms” होता; या फिर जो देरी से बना पैनल था और उसमें भी देरी से डीआरएम की पोस्टिंग की गई ,उसके सभी लोगों की डीआरएम में पोस्टिंग करने के बाद ही नया पैनल बनाना चाहिए था।
इस बात का क्या कोई वाजिब जवाब है रेल मंत्रालय के पास कि मिस्टर या मिसेज ‘ए’ के डीआरएम पोस्टिंग ऑर्डर उनके 53-54 साल के होने पर भी निकाल दिए जाते हैं और वह भी 2 माह पहले; और फिर वहीं 2 माह बाद आज उसी पैनल में जो 53-54 साल के जो लोग हैं उन्हें बिना उनकी गलती के किस न्याय व्यवस्था या तर्क से बाहर निकाला जा रहा है? वंचित किया जा रहा है? मत्स्य राज वाली न्याय व्यवस्था से? या खान मार्केट वाली तिकड़मी न्याय व्यवस्था से?
अब क्या यह समझा जाए कि इस सरकार और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से बहुत न्याय और रेल हित की अपेक्षा थी, क्या उस अपेक्षा का अब अतार्किक और कबायली नीतियों में बदलाव के बिना इस डीआरएम पोस्टिंग के साथ पटाक्षेप हो जाएगा?
“क्या नए सीआरबी के डर से, डीआरएम और रेलवे बोर्ड में महत्वपूर्ण ट्रांसफर आउट गोइंग सीआरबी के कार्यकाल के आखिरी घंटों में होंगे? #AIDS और #KMG के संक्रमण का बढ़ना या घटना, समझने का समय आ गया है! #VKTripathi जी आपसे लोगों को बहुत उम्मीद है, कुछ काम नए सीआरबी के लिए भी छोड़ जाईए!” यह कहना है तमाम अधिकारियों का!
इसके साथ ही खबर यह भी है कि #KMG का इंटरनल एडजस्टमेंट होगा – उमेश बलौंदा को एमआर सेल में, जितेंद्र सिंह डीआरएम/दिल्ली और नवीन कुमार डीआरएम/लखनऊ होंगे! यह डीआरएम पोस्टिंग भी पुराने ढ़र्रे पर होने जा रही है और इसमें भी 53-54 साल वालों का फेवर किया जा रहा है, तो इस पैनल में जो छूट रहे हैं उनका दोष क्या है? यह पूछ रहे हैं तमाम अधिकारी!
अधिकारियों ने आउटगोइंग सीआरबी विनय कुमार त्रिपाठी से निवेदन किया है कि “जाते-जाते अपने से पहले वाले सीआरबी जैसा कोई काम न करें, जो हजारों आवश्यक फाइलें पेंडिंग छोड़कर अंतिम समय में केवल जुगाड़ पोस्टिंग्स के आर्डर करने में लगे थे, जिन्हें आपने आते-आते ही रद्द किया था, कम से कम अब आप तो जाते हुए वही अनैतिक काम न करें जो अब तक नहीं किया! लोगों की आपसे यही अंतिम अपेक्षा है!”
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