नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन म.रे./कों.रे. की 68वीं वार्षिक सर्वसाधारण सभा का आयोजन
कर्मचारियों की अपर्याप्त संख्या और अतिरिक्त परिसंपत्तियों के लिए पदों का सृजन न होने से मौजूदा कर्मचारियों पर काम का बेतहाशा बोझ पड़ता है!
कार्यजनित बाध्यकारी परिस्थितियों से बाध्य होकर रेलकर्मी अपने अत्यधिक संवेदनशील कर्तव्यों का निर्वहन करते समय शॉर्टकट तरीकों को अपनाने के लिए मजबूर हो रहे हैं, यह रेल संरक्षा और यात्री सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है!
मैचिंग सरेंडर, यार्डस्टिक्स में संशोधन, मानवबल में कमी, व्यय प्रबंधन और मानवबल की छंटाई के माध्यम से आउटसोर्सिंग और संविदाकरण की राह आसान बनाने के लिए सैकड़ों पद पहले से ही सरेंडर करने के लिए चिह्नित किए गए हैं, यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है!
नागपुर: मध्य रेलवे और कोंकण रेलवे के रेल कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन (मध्य रेलवे-कोंकण रेलवे) की 68वीं वार्षिक सर्वसाधारण सभा (#AGCM) का आयोजन 19 से 21 दिसंबर 2022 तक नागपुर में किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इस यूनियन को गुप्त मतदान के माध्यम से मध्य रेलवे की नम्बर वन यूनियन के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो देश भर में भारतीय रेल के लगभग 11 लाख कार्यरत रेलकर्मचारियों में से लगभग 9 लाख रेलकर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (#AIRF) से संलग्न है।
एआईआरएफ के महामंत्री कॉमरेड शिवगोपाल मिश्रा, फेडरेशन के प्रमुख राष्ट्रीय नेतागण, विभिन्न जोनल रेलों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य नेताओं और हजारों प्रतिनिधियों, आगंतुकों और यूनियन के कार्यकर्ताओं के तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में हमेशा की तरह पूरे जोश और उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं।
यूनियन की इस एजीसीएम में भारतीय रेल को सार्वजनिक यातायात सेवा से कॉर्पोरेट इकाई में बदलने, एनपीएस, नए अधिनियमित श्रम संहिता के कठोर प्रावधान, निजीकरण, आउटसोर्सिंग, उत्पादन और रखरखाव इकाईयों के निगमीकरण, रेलवे की सहायक कंपनियों के विनिवेश, एनएमपी नीति के माध्यम से भूमि, अवसंरचना, आवासीय कॉलोनियों, स्कूलों, स्टेडियमों, मनोरंजन अवसंरचनाओं और अन्य मूर्त और गैर-मूर्त परिसंपत्तियों सहित रेल परिसंपत्तियों की एकमुश्त विक्रय, लाखों रिक्त पदों को न भरना, पदों का मनमाना समर्पण और अन्य संवेदनशील कर्मचारी कल्याण के मामलों सहित प्रमुख मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श और चर्चा की जा रही है।
सरकारी सूत्रों द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि रेलवे में ढ़ाई लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। मध्य रेलवे में ही बताया जा रहा है कि 27,000 से अधिक रिक्तियां भरी जानी हैं। चिंता का विषय यह है कि इन रिक्त पदों की अधिकतम संख्या इंजीनियरिंग, रनिंग, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल, एसएंडटी और परिचालन विभागों की सेफ्टी केटेगरी में है, जो ट्रेन संचालन, रोलिंग स्टॉक की मरम्मत और रखरखाव गतिविधियों के सुरक्षित परिचालन के लिए बेहद आवश्यक है।
एनआरएमयू/मध्य रेलवे एवं कोंकण रेलवे के महामंत्री कॉमरेड वेणु पी. नायर का कहना है कि कर्मचारियों की अपर्याप्त संख्या और अतिरिक्त परिसंपत्तियों के लिए पदों का सृजन न होने से मौजूदा कर्मचारियों पर काम का बेतहाशा बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि कार्यजनित बाध्यकारी परिस्थितियों से मजबूर होकर रेलकर्मी अपने अत्यधिक संवेदनशील कर्तव्यों का निर्वहन करते समय शॉर्टकट तरीकों को अपनाने के लिए बाध्य हो रहे हैं। यह रेल संरक्षा और यात्री सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
उन्होंने कहा कि मानवबल और सामग्री की कमी तथा अनुपयुक्त कार्यदशा रेलकर्मियों को रेल के संचालन और परिसंपत्तियों के रखरखाव, मरम्मत तथा देखरेख में निर्धारित सुरक्षा मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने और गुणात्मक सेवा प्रदान करने में असमर्थ कर रही है। परिस्थितिजन्य दबाव के फलस्वरूप उनसे अनजाने गलतियां हो रही हैं या जानबूझकर गलतियां करने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है, जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
उनका कहना है कि “मैचिंग सरेंडर, यार्डस्टिक्स में संशोधन, मानवबल में कमी, व्यय प्रबंधन और मानवबल की छंटाई” के माध्यम से आउटसोर्सिंग और संविदाकरण की राह आसान बनाने के लिए सैकड़ों पद पहले से ही सरेंडर करने के लिए चिह्नित किए गए हैं, यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।
उन्होंने बताया कि 01.01.2004 को या उसके बाद नियुक्त रेलवे युवा कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा गारंटीशुदा पेंशन से वंचित हैं, क्योंकि उन्हें एनपीएस की सदस्यता लेने के लिए मजबूर किया गया है। एनपीएस को खत्म करने का आंदोलन एआईआरएफ और एनआरएमयू (सीआर-केआर) द्वारा मांग-सूची (चार्टर-ऑफ-डिमांड्स) में इसे केंद्र बिंदु पर रखकर निरंतर जारी है। हालांकि राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, पंजाब और हाल ही में हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का फैसला किया है, लेकिन रेल प्रशासन अभी भी श्रमिकों की नाराजगी को नजरअंदाज करते हुए इस विषय पर निर्णायक रुख अपनाने से कतरा रहा है।
कॉमरेड वेणु पी नायर ने कहा कि रेलवे की गतिविधियों में लगे लाखों ठेका श्रमिकों को भी अपनी शोषणकारी कामकाजी परिस्थितियों से उपजी समस्याओं को उठाने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे। विचार-विमर्श के बाद, श्रमिकों, आम जनता और विशेष रूप से गरीब यात्रियों को सीधे प्रभावित करने वाले इन संवेदनशील मुद्दों के खिलाफ विरोध आंदोलनों और ट्रेड यूनियन कार्रवाई कार्यक्रमों को तैयार करने के लिए भी इस बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के प्रहरी के रूप में कार्य करने का हौसला और नैतिक उत्तरदायित्व को कायम रखते हुए, यह युनियन सरकार की संदिग्ध योजनाओं जैसे- आम आदमी की सस्ती ट्रेन यात्रा की सुविधा खत्म करना, विभिन्न प्रकार की रियायतों को समाप्त करना, किराया निर्धारण के कई मॉडल का उपयोग किया जाना, आरएलडीए और आईआरएसडीसी द्वारा प्रबंधित किए जा रहे स्टेशन परिसर में उच्च टिकट और सुविधाओं की अवहनीय उपयोगिता के साथ निजी ट्रेनों के संचालन का मार्ग प्रशस्त करना इत्यादि मुद्दे इस बैठक की चर्चा में शामिल हैं।
“उपरोक्त पृष्ठभूमि में 19 से 21 दिसंबर 2022 तक नागपुर में आयोजित की जा रही यूनियन की 68वीं वार्षिक सर्वसाधारण सभा, रेल उद्योग और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सम्मेलन के सभी सत्रों में चर्चा की सामूहिक और रचनात्मक भागीदारी के द्वारा एक अपरिहार्य जन आंदोलन करने की दिशा में तैयारियों के प्रति रेल कर्मचारियों की चेतना को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।” यह कहना है एनआरएमयू/मध्य रेलवे एवं कोंकण रेलवे के महामंत्री कॉमरेड वेणु पी. नायर का।