सब खेल हो रहा है आपसी जुगाड़ में!
हमें पैसा चाहिए, यात्री जाए भाड़ में!!
उपरोक्त शीर्षक से एक चेकिंग स्टाफ ने जो लिखकर भेजा है, वह वास्तव में रेल प्रशासन के साथ-साथ पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करने वाले चेकिंग स्टाफ की भी आंखें खोल देने वाला है कि किस प्रकार ये पैसा कमाने के लालच में रोबोट बन गए हैं!
देखें – क्या लिखकर भेजा है स्टाफ ने –
चेकिंग स्टाफ ने खुद ही अपने काम को तमाशा बनाकर रख दिया है। अपने थोड़े से स्वार्थ के लिए कम काम में पूरे टीए के मजे, गर्मी हो या सर्दी, रात भर घर के बिस्तर पर सोने और ऊपर के पैसे के लालच ने इनको एक महीने में 20-20-22-22 लाख की टिकटें बनाने वाले रोबोट बनाकर रख दिया है।
लुधियाना के एक टीटीई ने तो गत जनवरी माह में 25 लाख रुपये का कथित जुर्माना वसूल डाला।
हैरानी की बात तो यह है कि ये सभी टिकट रेलवे के नियमों को ताक पर रखकर गलत तरीके से बनाई गई हैं। इनकी किसी भी रसीद पर यात्री का सही नाम, कोई आईडी नंबर, गाड़ी संख्या, कोच नंबर और कहां से कहां तक की रसीद बनाई गई है, यह सब गायब होता है। अधिकारियों और खुद टीटीई स्टाफ को जबकि ये बहुत अच्छी तरह से पता होता है कि किसी भी यात्री को कोई भी टिकट केवल आगे पड़ने वाले अर्थात अगले स्टॉपेज तक की ही बनाकर देनी होती है।
इसमें नोट करने की खास बात यह है कि ज्यादातर चेकिंग स्टाफ स्टेशन पर ही टिकट बनाकर दे देता है।
20-20/25-25 लाख की टिकटें बनाने का सीधा सा मतलब लगभग एक लाख रुपये की टिकटें प्रति दिन बनाना, और इतने ही अमाउंट के लिए कम से कम एक दिन में 60 से 70 रसीद बनानी होंगी।
अगर विजिलेंस और अधिकारियों द्वारा इनकी बनाई हुई रसीद की सही तरीके से जांच की जाए, तो यही टीए का बहुत बड़ा फ्राड, गलत ढ़ंग से ड्यूटी, और रसीद जारी करने के मामले सामने आ जाएंगे।
परंतु इनकी सही जांच हो पाना बहुत ही मुश्किल लगता है, क्योंकि इस गंदे खेल में अधिकारी तो खुद अपनी पीठ थपथपा रहे हैं और बड़े गर्व के साथ ऐसी खबरें प्रकाशित करवाई जा रही हैं कि एक दिन में लाखों रुपये जुर्माना वसूला गया!
स्पष्टीकरण: उपरोक्त शीर्षक खबर हमारे ‘लुधियाना प्रतिनिधि’ द्वारा किए गए निजी प्रयासों, निजी स्रोतों और उत्तम प्रयासों से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्रकाशित की गई। इसमें किसी भी रेल कर्मचारी अथवा किसी टिकट चेकिंग स्टाफ की कोई भूमिका नहीं है। -संपादक