माल बुकिंग/लोडिंग/ओवर लोडिंग तथा गलत डिक्लेरेशन का कोटा में धड़ल्ले से चल रहा गोरखधंधा!
कोटा रेलवे माल गोदाम में बड़ा घोटाला, अधिक भाड़े का माल भेजा जा रहा कम किराए में, रेलवे को लग रही करोड़ों की चपत
कोटा रेलवे माल गोदाम में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां अधिक भाड़े के माल को कम किराए में भेजा जा रहा है। इससे रेलवे को अब तक करोड़ों रुपए की चपत लग चुकी है। सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार, 9 जुलाई को ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार व्यापारी द्वारा कोटा से गुवाहाटी स्थित चानसारी (सीजीएस) स्टेशन के लिए 20 डिब्बों की एक मालगाड़ी बुक कराई गई थी। बुकिंग के समय व्यापारी ने रेलवे को नॉन रिफाइंड ऑयल, ग्रोसरी तथा केमिकल पाउडर आदि सामान लोड करने की जानकारी दी थी।
सूत्रों ने बताया कि बुधवार, 7 जुलाई को की गई इस मांग में व्यापारी ने कोटा स्टोन का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया था। लेकिन इसके बाद भी व्यापारी ने 9 जुलाई को मालगाड़ी में कोटा स्टोन का लदान कर दिया दिया। लोड होकर मालगाड़ी शुक्रवार की रात को ही गुवाहाटी के लिए रवाना हो गई।
रवाना होने के बाद भी व्यापारी ने रेलवे को मालगाड़ी में कोटा स्टोन भरने की जानकारी नहीं दी। व्यापारी ने रेलवे को केवल एलम पाउडर, रिफाइंड ऑयल तथा ग्रोसरी इत्यादि सामान लोड करने की जानकारी दी। इसके बाद रेलवे ने व्यापारी को माल भाड़े का करीब ₹21.37 लाख का बिल पकड़ा दिया। सूत्रों के अनुसार अगर इसमें कोटा स्टोन का किराया जोड़ा जाता, तो यह बिल कई लाख रुपये और बढ़ जाता।
अन्य आइटम्स में भी होता है घोटाला
सूत्रों ने बताया कि कोटा स्टोन के अलावा व्यापारी अन्य कई आइटम्स में भी ऐसा ही घोटाला करते हैं। व्यापारी द्वारा कई बार चूना भेजा जाता है। लेकिन इसे पाउडर दर्शाया जाता है। चूने और पाउडर की किराया दर में बड़ा अंतर होने के कारण व्यापारियों द्वारा ऐसा किया जाता है। पाउडर बताने पर व्यापारियों को कम किराया देना पड़ता है। इससे भी रेलवे को लाखों रुपये का घाटा होता है।
हर माल का तय है अलग किराया
सूत्रों ने बताया कि रेलवे ने अलग-अलग माल का किराया अलग-अलग निर्धारित कर रखा है। रेलवे ने किराए को विभिन्न श्रेणियों में बांट रखा है। अधिक श्रेणी में शामिल माल का किराया रेलवे ने ज्यादा रखा है। जबकि कम श्रेणी में शामिल माल का किराया कम रखा गया है। कोटा स्टोन को रेलवे ने 150 की श्रेणी में रखा है। जबकि व्यापारी ने कोटा स्टोन को एलआर-3 श्रेणी में दर्शाया। इससे व्यापारी को किराया कम देना पड़ा।
ऑनलाइन के बाद भी नहीं रुकी गड़बड़ी
सूत्रों ने बताया कि यह गड़बड़ी पिछले कई सालों से लगातार चल रही है। इस गड़बड़ी को रोकने के लिए रेलवे ने करीब साल भर पहले माल बुकिंग की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया था। इसके तहत व्यापारी को मैनुअल की जगह ऑनलाइन मालगाड़ी की मांग कर लोड करने/भेजे जाने वाले माल की जानकारी ऑनलाइन ही देनी होती है। बाद में व्यापारी द्वारा इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन एक साल बाद भी कोटा में यह काम मैनुअल हो रहा है। रेलवे बोर्ड के मना करने के बाद भी कुछ व्यापारी ऑनलाइन की जगह मैनुअल ही माल बुक करा रहे हैं।
अधिकारियों को है पूरी जानकारी
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जानकारी अधिकारियों को भी है, क्योंकि बिना अधिकारियों की सहमति के व्यापारी रेक की मैनुअल डिमांड अथवा माल बुकिंग नहीं करा सकते।
सूत्रों ने बताया कि मांग (डिमांड) आने पर कर्मचारियों को मैनुअल बुकिंग की जानकारी अधिकारियों को देनी होती है। अधिकारियों की अनुमति मिलने के बाद कर्मचारी व्यापारियों से मैनुअल बुकिंग लेते हैं। गाड़ी में माल लोडिंग के समय भी वाणिज्य विभाग के पार्सल/गुड्स कर्मचारी उपस्थित रहते हैं। लेकिन इसके बाद भी यह गोरखधंधा धंधा बड़े आराम से चल रहा है। जाहिर है कि इस गोरखधंधे में सबकी मिलीभगत है।
सीनियर डीसीएम ने नहीं दिया जवाब
इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) कोटा मंडल, पश्चिम मध्य रेलवे अजय कुमार पाल से उनका पक्ष (स्पष्टीकरण) मांगा गया, लेकिन उन्होंने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।
अन्य रेलों में भी चल रहा है यह गोरखधंधा
सूत्रों के अनुसार माल बुकिंग/लोडिंग/ओवर लोडिंग तथा माल की गलत डिक्लेरेशन में अन्य रेलों में भी यह गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है। इससे रेलवे को हर साल करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है।
इसमें संबंधित वाणिज्य अधिकारियों के साथ कुछ यूनियन पदाधिकारियों की भी मिलीभगत है, क्योंकि पार्सल, गुड्स, लगेज डिपो में यूनियनों से जुड़े कर्मचारियों की लंबे समय से पोस्टिंग बनी हुई है। इसमें कुछ विजिलेंस इंस्पेक्टरों और अधिकारियों की भी भागीदारी रहती है।
पूर्व रेलवे के हावड़ा पार्सल जैसी जगहों पर तो एक रिटायर्ड पार्सल सुपरवाइजर के ही मार्गदर्शन अर्थात “ठेकेदारी” में आज भी सारा कामकाज और लेन-देन जारी है। सूत्रों के अनुसार इसमें उक्त रिटायर्ड पार्सल सुपरवाइजर के साथ उसके बैचमेट डिप्टी सीवीओ/ट्रैफिक और पीएस/पीसीसीएम/पूर्व रेलवे तथा सीनियर डीसीएम/हावड़ा की मिलीभगत जगजाहिर है। क्रमशः
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