पीईडी/विजिलेंस और ईडीवी/इलेक्ट्रिकल में चल रही गहरी खटपट
ईडीवी/इलेक्ट्रिकल द्वारा की जा रही है पूर्व एमटीआर को सीबीआई और विजिलेंस जांच से बचाने की कोशिश
सुरेश त्रिपाठी
खबर है कि रेलवे बोर्ड के पूर्व मेंबर ट्रैक्शन (एमटीआर) घमासान सिंह द्वारा सिग्नल एंड टेलीकॉम (एस एंड टी) के कुछ टेंडर्स में की गई बड़ी घालमेल की सीबीआई जांच चल रही है।
बताते हैं कि घमासान सिंह जब रेलवे बोर्ड में मेंबर ट्रैक्शन थे, तब कुछ समय के लिए उनको एस एंड टी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि उसी दरम्यान एस एंड टी के कई हजार करोड़ के टेंडर जारी हुए थे, जिनमें घमासान सिंह द्वारा कुछ घालमेल किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि अब उसी घालमेल की सीबीआई सहित बोर्ड विजिलेंस द्वारा भी जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार इस जांच में कार्यकारी निदेशक/विजिलेंस, इलेक्ट्रिकल (ईडीवी/इले.) द्वारा पहले की ही भांति पूर्व मेंबर ट्रैक्शन (पूर्व एमटीआर) को बचाने की कोशिश की जा रही है, जिससे उनके साथ पीईडी/विजिलेंस, रेलवे बोर्ड की गहरी खटपट चल रही है।
उल्लेखनीय है कि ईडीवी/इलेक्ट्रिकल पिछले 6 साल से भी ज्यादा समय से इस पद पर जमे हुए हैं। उनको रेलवे बोर्ड विजिलेंस से अविलंब हटाने की मांग अधिकारियों की तरफ से जब-तब होती रही है।
इसके अलावा, सूत्रों का यह भी कहना है कि कम वजन के ओएचई मास्ट आपूर्ति करने वाली पंजाब की मंडी गोबिंदगढ़ स्थित कंपनी विशेष की पूरी जानकारी पूर्व एमटीआर को थी, क्योंकि सभी सीपीडी (चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर्स) की तत्संबंधी रिपोर्ट्स उनके पास मौजूद थीं, तथापि उन्होंने अपने रहते या अपने चलते उक्त कंपनी विशेष को ब्लैक लिस्ट नहीं होने दिया था।
यह काम अब हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे बोर्ड ने 11 अगस्त 2020 को पत्र सं.20119/आरई/240/1 (जैन स्टील) जारी करके ओएचई मास्ट सप्लाई करने वाली संबंधित कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में भी सीबीआई की जांच चल रही है, जिसके लिए पूर्व एमटीआर घमासान सिंह को दो-तीन बार जम्मू सीबीआई दफ्तर में जाकर बयान रिकॉर्ड करवाना पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि उपरोक्त मामले में ओएचई मास्ट की आपूर्ति लेने वाली कंपनी, जिसका उल्लेख रेलवे बोर्ड के उपरोक्त पत्र में स्पष्ट रूप से किया गया है, को फेवर करने के चक्कर में ही पूर्व एमटीआर ने मुंबई की क्वालिटी इंजीनियर्स एंड कांट्रेक्टर्स कंपनी को बरबाद कर दिया। उसी के द्वारा की गई लिखित शिकायतों के आधार पर न सिर्फ उपरोक्त स्टील सप्लाई कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया गया है, बल्कि उसी के द्वारा की गई शिकायतों पर सीवीसी और सीबीआई की जांच भी चल रही है।
इसके अतिरिक्त, बट्टेखाते में गई “स्ट्रेसलिट” कंपनी से संबंधित मामले में भी पूर्व एमटीआर का बड़ा हाथ बताया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि इसे टेक ओवर करने वाली कंपनी के फेवर में रेलवे बोर्ड लीगल सेल से 9 सितंबर 2019 को जो पत्र जारी किया गया था, उससे रेलवे को लगभग तीन-साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए का चूना लगा है।
अपुष्ट तौर पर बताया गया कि स्ट्रेसलिट को टेक ओवर करने वाली कंपनी ने दिल्ली के सफदरजंग एरिया में अपनी करीब सात करोड़ की एक बड़ी बेनामी प्रापर्टी पूर्व एमटीआर को गिफ्ट की है? क्रमशः
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खबर है कि ExMTR घमासानसिंह द्वारा S&T के कुछ टेंडर्स में की गई घालमेल की #CBI जांच चल रही है
इसमें EDV/EL द्वारा पूर्व की भांति #ExMTR को बचाने की कोशिश की जा रही है जिससे PED/Vig/RB की उससे गहरी खटपट चल रही है
6yr से जमे EDV/EL को रे.बो.विजिलेंस से अविलंब हटाया जाए@RailMinIndia pic.twitter.com/YoTtxaBQNJ— RAILWHISPERS (@Railwhispers) September 6, 2020