पूर्वोत्तर रेलवे पर 101.93 किमी ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का आरंभ

गोरखपुर ब्यूरो: संरक्षित, सुरक्षित एवं यात्रियों की मांग के अनुरूप ट्रेनों के सुगम परिचालन हेतु भारतीय रेल पर इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे पर भी रेल खंडों का दोहरीकरण, तीसरी लाइन, नई रेल लाइन, स्टेशनों के पुनर्विकास के साथ ही ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का कार्य तीव्र गति से हो रहा है।
पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के बस्ती-गोविन्दनगर 6.20 रूट किलोमीटर की ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली की कमीशनिंग का कार्य 30 मार्च, 2025 को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। यह कार्य बहुत ही सुगम तरीके से बिना किसी ट्रेन परिचालन को प्रभावित किए सम्पन्न किया गया। मार्च, 2025 में पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा की गई ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली की यह तीसरी कमीशनिंग है।
इसके साथ ही, वर्ष 2024-25 के दौरान पूर्वोत्तर रेलवे पर अब तक 101.93 रूट किलोमीटर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है, जो इस रेलवे के लिए विशेष उपलब्धि है।
प्रमुख मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर, पूर्वोत्तर रेलवे राजेश कुमार पाण्डेय के कुशल नेतृत्व में मुख्य सिग्नल दूरसंचार इंजीनियर आर के सिंह, उपमुख्य सिग्नल एवं दूर संचार इंजीनियर परियोजना/लखनऊ सत्यदेव पाठक, वरिष्ठ मंडल सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर/लखनऊ वैभव श्रीवास्तव, स्टेशन निदेशक, गोरखपुर जे. पी. सिंह, सहायक मंडल सिग्नल दूरसंचार इंजीनियर वेद प्रकाश, सहायक सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर, परियोजना/लखनऊ सर्वदानंद पांडे और उनकी टीम ने इस ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली की कमीशनिंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
बस्ती-गोविन्दनगर खंड के ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का कार्य पूरा होने पर लखनऊ मंडल में गोविन्द नगर से डोमिनगढ़ तक 65.72 किमी. तथा वाराणसी मंडल में कुसम्ही से देवरिया सदर तक 36.21 किमी. ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का कार्य पूरा हो चुका है। इस कार्य के पूर्ण होने से अधिक ट्रेनों का संचालन सम्भव हुआ है, साथ ही लाइन क्षमता में वृद्धि के साथ-साथ गाड़ियों के समयपालन में भी सुधार होगा।
पूर्वोत्तर रेलवे पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम की शुरूआत वर्तमान वित्तवर्ष के आरम्भ में जगतबेला-मगहर (14.65 किमी.) खंड की कमीशनिंग के साथ हुई, जिसके बाद लगातार आगे बढ़ते हुए वित्तवर्ष के अन्त तक 100 किमी. पूरा करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त किया। ऑटोमेटिक खंडों पर ट्रेनें सुगमतापूर्वक एवं संरक्षित तरीके से चल रही हैं।