केंद्रीय कैबिनेट ने दी तीन मल्टी-ट्रैकिंग रेल परियोजनाओं को मंजूरी
कनेक्टिविटी को बेहतर करने, यात्रा को आसान बनाने, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात और CO2 उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य से कैबिनेट ने भारतीय रेल की तीन मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को दी मंजूरी
परियोजनाओं से खंडों की मौजूदा लाइन क्षमता में वृद्धि होगी और परिवहन नेटवर्क को बढ़ाकर लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार होगा, जिसके परिणामस्वरूप सुव्यवस्थित आपूर्ति श्रृंखला और त्वरित आर्थिक विकास होगा
तीनों परियोजनाओं की लागत लगभग ₹7,927 करोड़ है और इन्हें चार वर्षों में पूरा किया जाएगा
निर्माण अवधि के दौरान परियोजनाओं से लगभग एक लाख मानव-दिवस के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होगा
नई दिल्ली (पीआईबी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने सोमवार, 25 नवंबर 2024 को लगभग ₹7,927 करोड़ की कुल लागत वाली रेल मंत्रालय की तीन मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
ये परियोजनाएँ हैं:
- जलगांव-मनमाड चौथी लाइन (160 किमी)
- भुसावल-खंडवा तीसरी और चौथी लाइन (131 किमी)
- प्रयागराज (इरादतगंज)-मानिकपुर तीसरी लाइन (84 किमी)
प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग रेल परियोजनाओं से परिचालन आसान होगा और भीड़ को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे मुंबई और प्रयागराज के बीच सबसे व्यस्त रेलखंडों पर बहुत जरूरी बुनियादी ढ़ाँचागत विकास होगा।
ये परियोजनाएँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएँगी, जिससे उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है और लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।
तीन राज्यों यानी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात जिलों को कवर करने वाली ये तीन परियोजनाएँ भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 639 किमी तक बढ़ा देंगी। प्रस्तावित मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएँ दो आकांक्षी जिलों (खंडवा और चित्रकूट) तक कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी, जो लगभग 1,319 गांवों और लगभग 38 लाख आबादी को सेवा प्रदान करेंगी।
प्रस्तावित परियोजनाओं से मुंबई-प्रयागराज-वाराणसी मार्ग पर अतिरिक्त यात्री ट्रेनों के संचालन को सक्षम करके कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे नासिक (त्र्यंबकेश्वर), खंडवा (ओंकारेश्वर) और वाराणसी (काशी विश्वनाथ) में ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ प्रयागराज, चित्रकूट, गया और शिरडी में धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को लाभ होगा।
इसके अतिरिक्त, ये परियोजनाएँ खजुराहो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, अजंता और एलोरा गुफाएँ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, देवगिरी किला, असीरगढ़ किला, रीवा किला, यावल वन्यजीव अभयारण्य, केवटी जलप्रपात और पुरवा जलप्रपात आदि जैसे विभिन्न आकर्षणों तक बेहतर पहुँच के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देंगी।
ये कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, इस्पात, सीमेंट, कंटेनर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 51 मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी।
रेलवे पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का साधन है, जिससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने में मदद मिलेगी, CO2 उत्सर्जन (271 करोड़ किलोग्राम) कम होगा, जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।