रेलगेट-१: MD/PRCL सेलेक्शन – हाई लेवल मैनीपुलेशन और फेवर
#RailSamachar और #Railwhispers ने हमेशा पारदर्शिता और नियमानुसार अधिकारियों/कर्मचारियों के रोटेशन, ट्रांसफर, पोस्टिंग, प्रमोशन और टेंडर निष्पादन की बात की है। रेल जैसा बड़ा मंत्रालय नियम और व्यवस्था प्रधान होना चाहिए, न कि व्यक्ति प्रधान, अन्यथा, इतना बड़ा तंत्र चल नहीं सकता। यहाँ हम यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के प्रति हमारा कोई व्यक्तिगत पूर्वाग्रह नहीं है। हम यहाँ जो बात करने जा रहे हैं वह तथ्यों और वस्तुस्थिति पर आधारित है।
- व्यक्ति प्रधानता के बारे में हमने रेल भवन के खान मार्केट गैंग अर्थात् #केएमजी के खुलासे से किया और बताया कि कैसे, #AIDS, अर्थात्, ऑल इंडिया दिल्ली सर्विस ने रेल को कैसे दीमक की तरह भीतर से खोखला कर दिया है।
- हमने रेल भवन और निचले स्तर पर इसकी विस्तृत कवरेज की है, जिसे रेल के आप सब स्टेकहोल्डर्स ने बहुत सराहा भी और समर्थन भी दिया।
- अधिकतर अराजक निर्णय लेवल-13/14 के अधिकारियों के स्तर पर होते हैं, जहां टेक्निशियन, जेई, इंस्पेक्टर इत्यादि के ट्रांसफर, पोस्टिंग, प्रमोशन इन्वाल्व्ड होते हैं। यदा-कदा ऐसे लेवल-15 के अधिकारी, लेवल-16 के जीएम और एडिशनल मेम्बर आपको मिल जाते हैं। लेकिन यदि मामला लेवल-17 का हो तो? क्योंकि लेवल-17 चयनित होता है तथाकथित #IRMS प्रक्रिया से, तथाकथित 360 डिग्री रिव्यू से, और उसमें रेलमंत्री की सीधी दखल होती है। इस स्तर पर हुई गड़बड़ी की जवाबदेही कहीं और नहीं डाली जा सकती।
- कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट किसी भी व्यवस्था की पारदर्शिता में सबसे बड़ा दोष मना जाता है, चाहे वह ऑडिटर, इंस्पेक्टर, अधिकारी, जज ही क्यों न हों। जजों का केस से अपना नाम रिक्यूज करना सिर्फ और सिर्फ इसी आधार पर होता है। यदि ये दृष्टिगत है, तो इसकी जानबूझकर अवहेलना करना, एक बड़ा क्रिमिनल एक्ट हो जाता है।
- हमने #KMG के सरगना के कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट के बारे में विस्तार से लिखा और शीघ्र इस पर इस चैनल से एक वीडियो आएगा। उन्हें रेल भवन से बाहर तो निकाल दिया गया, लेकिन, रेल भवन के इतने बड़े स्तर के मैनीपुलेशन, जिसमें रेल का शीर्षस्थ एग्जीक्यूटिव और पोलिटिकल लीडरशिप का सीधा इन्वॉल्वमेंट है, समाप्त नहीं हो रहा है।
#YouTube पर इस विषय से संबंधित वीडियो रिपोर्ट भी देखें!
पूरे मामले को समझें:
- प्रभाष धनसाना को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (#NFR) से इसी साल की 2 अप्रैल को रेलवे बोर्ड में ट्रैफिक की सबसे पावरफुल पोस्ट, PED/TT/M पर सीमा कुमार लाती हैं। बताते हैं कि प्रभाष धनसाना कुल छह-सात महीने पहले ही NFR अपनी ऑन-रिक्वेस्ट पर गए थे। हालाँकि दिल्ली में उनकी एक साल की पोस्टिंग को छोड़ दें, तो ये धनसाना साहब घूम-फिरकर कलकत्ता और भुवनेश्वर के बीच ही 2005 से डटे रहे हैं-क्योंकर ये NFR गए थे, यह उनका व्यक्तिगत मामला है।
- खैर, PED/TT/M की पोस्ट के चलते प्रभाष धनसाना, #PRCL, अर्थात्, Pipavav Railway Corporation Limited के बोर्ड पर coordinating डायरेक्टर बनकर आ गए।
- PRCL ने अपने फुल टाइम MD की वेकन्सी निकाल रखी थी।
- 06 मई को इंटरव्यू होता है जिसमें 13 अधिकारी अपियर होते हैं, जिनमें, सीमा कुमार #MOBD, रवींद्र गोयल #GMNCR, ए. के. चंद्रा #PCME/NR चर्चित नाम शामिल रहे।
- इंटरव्यू पैनल में तीन अधिकारी थे – प्रभाष धनसाना #PED/TT/M, रंधीर सहाय ED/FX और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड के डायरेक्टर पी. के. मिश्रा।
- आपको यह जानकर थोड़ा अजीब लगा होगा की PED/TT/माँ कैसे अपनी इमिडिएट/डायरेक्ट बॉस का इंटरव्यू ले सकता है? और वह भी जब उन्हें एक महीने पहले ही ट्रैफिक की सबसे पावरफुल #HAG की रेलवे बोर्ड की पोस्ट का कृपा-प्रसाद मिला अपनी इमिडिएट बॉस सीमा कुमार से ही? और प्रभाष धनसाना की #APAR भी तो यही मैडम लिखेंगी?
- क्या ये क्विड प्रो क्वो नहीं है?
ठहरिए, कहानी यहीं समाप्त नहीं होती..
- पता चला है कि इंटरव्यू के बाद, रंधीर सहाय जो रेलवे बोर्ड, फाइनेंस डायरेक्टरेट में ED/FX हैं, और पी. के. मिश्रा जो GPPL के डायरेक्टर हैं, इस पर आपत्ति उठाते हैं कि प्रभाष धनसाना अपनी ही इमिडिएट बॉस का इंटरव्यू कैसे ले सकते हैं? अतः दोनों सीमा कुमार के नाम पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हैं और उस पर साइन किए बिना ही उठकर चले जाते हैं। इससे पहले ये दोनों रवींद्र गोयल और ए. के. चंद्रा में से किसी एक का नाम सेलेक्ट करने की बात करते हैं।
- बात मैडम CRB जया वर्मा सिन्हा तक पहुँचती है और उनका फोन जाता है रूपा श्रीनिवासन, मेंबर फाइनेंस को-भरोसेमंद सूत्रों से ये ज्ञात हुआ कि मैडम CRB, मेंबर फाइनेंस मैडम को अपने चैंबर में बुलाती हैं और उन्हें बताती हैं कि “मंत्री जी चाहते हैं कि पीपावाव रेल कारपोरेशन की MD सीमा कुमार मैडम, जो MOBD हैं, वही MD बनें।” अब ये तो सभी जानते हैं कि पोर्ट संबंधी मामलों में मंत्री जी खासी दिलचस्पी रखते हैं।
- मेंबर फाइनेंस यानि मैडम रूपा श्रीनिवासन, अपने चैंबर में वापस जाती हैं और रंधीर सहाय को बुलाकर उन्हें समुचित समझाईश देती हैं, और रेल भवन में बैठे ED/FX अपनी डायरेक्ट सुपरबॉस की बात मानकर फाइल पर प्रभाष धनसाना की बात मानते हुए उनकी सुपरबॉस-इमिडिएट बॉस सीमा कुमार के नाम पर डॉटेट लाइन पर साइन कर देते हैं। अब पैनल में 2-1 से सीमा कुमार आगे हो गईं।
सवाल जो उठते हैं जिनका जवाब इस रेलवे बोर्ड और मंत्री को देना होगा:
- क्या प्रभाष धनसाना को रेल भवन में ट्रांसफर करके लाना, और एक महीने के भीतर ही उन्हें सेलेक्शन/इंटरव्यू पैनल में उसी अधिकारी को रिटायरमेंट के बाद सरकारी उपक्रम का एमडी बनाना, जो वर्तमान में उनका इमिडिएट बॉस है, ऐसा क्विड प्रो क्वो तो है ही, यह Prevention of Corruption Act के सेक्शन-21 का सीधा उल्लंघन भी है?
- MOBD कैसे अपने डायरेक्ट सबॉर्डिनेट के सामने position of profit के लिए बैठ गईं? उनके इस कृत्य को मैडम CRB और मंत्री महोदय ने कैसे अनदेखा कर दिया? क्या इससे MOBD की ऑफिसर लाइक क्वालिटी पर सीधा सवाल नहीं उठता? क्या सीमा कुमार का लेवल-17 में चयन किया जाना एक बड़ी गलती नहीं है?
- क्या मैडम #CRB और मैडम #MF द्वारा इंटरव्यू पैनल के सदस्य को प्रभावित करना #Prevention of #Corruption Act के सेक्शन-11A का उल्लंघन नहीं है?
- क्या मंत्री जी इसे स्पष्ट करेंगे कि उन्होंने इस प्रक्रिया में कोई मौखिक निर्देश नहीं दिए?
- क्या उम्मीद की जाए कि मैडम #CRB इस इंटरव्यू की blatant irregularity का संज्ञान लेंगी और कार्यवाही करेंगी, जबकि इंटरव्यू पैनल के प्रमुख सदस्य को प्रभावित करने में उनकी भी बड़ी भूमिका है? ये भी बात पता चली है कि मैडम CRB किसी ट्रिब्यूनल में शीघ्र ही बतौर सदस्य जा रही हैं। क्या ऐसी अनियमितता (#irregularity) में सहभागी होना उनकी प्रशासनिक क्षमता (#administrative-capability) पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता? स्मरण रहे कि मैडम सीआरबी रेलवे विजिलेंस की मुखिया भी हैं, जिसका पूरा सत्यानाश हुआ पड़ा है!
- एक बड़ा सवाल यह भी कि क्या रेल भवन सेलेक्शन कमेटी की नोटिंग सार्वजनिक करेगा? जब सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की प्रोसीडिंग सार्वजनिक हो गई, तो यह क्यों नहीं?
बाकी मैडम सीमा कुमार को बोर्ड मेंबर बनाए जाने के साथ उनकी पूरी पृष्ठभूमि नीचे दिए पूर्व प्रकाशित खबर के लिंक पर जाकर देखी जा सकती है-
Sept. 15, 2023: “सीमा कुमार: जो लेवल-16 में रिजेक्ट हुईं, वह लेवल-17 में फिट कैसे हुईं?”
जानकारों का कहना है कि सुश्री सीमा कुमार का यह ब्लाटेंट फेवर इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने मंत्री के मौखिक आदेश पर फाइल पर 24 कोच की वंदेभारत ट्रेन की आवश्यकता लिख दी है, क्योंकि निजी क्षेत्र के निर्माणकर्ता पिछले लगभग एक-डेढ़ साल में प्रोटोटाइप तक नहीं बना पाए हैं, इसलिए उनको भारी लिक्विडेटेड डैमेजेज ((#LD) से बचाना है! इस विषय पर जल्दी ही डीटेल वीडियो रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी!