पूर्व प्रिंसिपल की आस्तीन का साँप अब एसडीजीएम/मध्य रेल का पालतू-स्वान, भाग-3

Central Railway Head Quarters, Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus, Mumbai.

रेलवे स्कूल कल्याण का तिलंगा-नामा और विजिलेंस-बाजी

“रेल समाचार” ने पिछले दो लेखों में इस बात को स्थापित किया है कि कैसे तिलंगा उर्फ आस्तीन का सांप कई क्षेत्रों में रेलवे स्कूल कल्याण को विफल करने के बाद विजिलेंस का एक पालतू अंदरूनी व्यक्ति बन गया। मामले को बेहतर तरीके से समझने के लिए तिलंगे की विजिलेंस की पृष्ठभूमि और रेलवे स्कूल तथा प्रिंसिपल के खिलाफ उसके षड्यंत्रों को जानना भी आवश्यक है। इसके साथ ही पूर्व में प्रकाशित दोनों लेख भी पढ़ें-

April 7, 2024: “पूर्व प्रिंसिपल की आस्तीन का साँप अब एसडीजीएम/मध्य रेल का बना पालतू-स्वान

April 22, 2024: “पूर्व प्रिंसिपल की आस्तीन का साँप अब एसडीजीएम/मध्य रेल का बना पालतू-स्वान, भाग-2

तिलंगा अपनी कुछ गैरजिम्मेदाराना हरकतों के चलते हताश था, क्योंकि नवंबर 2019 में एनसीसी के कमांडिंग ऑफिसर द्वारा उसे उपयुक्त उम्मीदवार के साथ रिप्लेस करने के लिए एक पत्र जारी किया गया था। प्रिंसिपल के पास तिलंगे को बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि यह या तो तिलंगा या स्कूल की साख का सवाल था। एनसीसी कमांडर मुख्य रूप से इस बात से नाराज था कि तिलंगे ने एक बैच का गलत पंजीकरण किया था और इससे कैडेट्स का एक साल बर्बाद हो गया था।

एनसीसी कमांडर का पत्र

कमांडर के साथ समझदारीपूर्ण बातचीत करके प्रिंसिपल ने आश्वासन दिया कि ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी और इस तरह तिलंगे को बचा लिया। बाद में एनसीसी कैम्प के दौरान तिलंगा घूमने के लिए कैम्प छोड़ कर चला गया। अहंकार से ग्रस्त तिलंगे ने तब से प्रिंसिपल और स्कूल के खिलाफ एक दुर्भावनापूर्ण अभियान शुरू किया, जिसकी शुरुआत अगस्त 2020 में 15 पेज के वकील के नोटिस से हुई, जिसमें प्रिंसिपल को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी, जिसका प्रिंसिपल ने कोई जवाब नहीं दिया।

हाल के मानव इतिहास में यह सबसे चुनौतीपूर्ण समय था और प्रिंसिपल पूरी तरह से स्कूल के प्रबंधन और न्यूनतम मानव संसाधनों के साथ कक्षाएं संचालित करने में व्यस्त थे। उस समय कोरोना के चलते रेलवे के कई विभाग भी स्कूल से काम कर रहे थे। रेलवे की देख-रेख मुहिम, ऑनलाइन कक्षाएं और कई आवश्यक प्रतिबद्धताओं के साथ, प्रिंसिपल ने तिलंगे के कानूनी नोटिस को नजरअंदाज कर दिया, क्योंकि यह दुनिया भर में जीवन और मृत्यु की चुनौती थी।

घर बैठे वेतन मिलने का फायदा उठाकर तिलंगे ने अपनी नापाक हरकतों को और बढ़ा दिया। इस बार उसने फीस बढ़ाने को लेकर स्कूल के खिलाफ सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई। जबकि यह फीस वृद्धि रेल प्रशासन की तरफ से की गई थी और इस पर पैरेंट-टीचर एसोसिएशन (पीटीए) एवं स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक में भी सहमति जताई गई थी। तथापि तिलंगे ने इस पर प्रिंसिपल को निशाना बनाया और फीस बढ़ोतरी के लिए उनके खिलाफ अभियान चलाया। हालांकि तिलंगे ने कथित गरीबों, खासकर एक वर्ग विशेष का नायक बनने की कोशिश की और प्रिंसिपल को फीस वृद्धि का खलनायक बना दिया।

हालाँकि तिलंगे को इस मुहिम में भी सफलता नहीं मिली। इससे निराश तिलंगा और भी जहरीला हो गया। तत्पश्चात् उसने कुछ गैर-रेलवे अभिभावकों के साथ मिलकर फीस वृद्धि पर प्रिंसिपल के विरुद्ध अभियान चलाया। उसने प्रिंसिपल के खिलाफ महाराष्ट्र मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया। परिणाम यह हुआ कि महाराष्ट्र शिक्षा विभाग से प्रिंसिपल को तलब किया गया, लेकिन प्रिंसिपल इस पर भी टस से मस नहीं हुए। क्रोधित तिलंगे ने अब फीस वृद्धि और अपनी मनमानी के विषयों पर प्रिंसिपल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस थानों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। पुलिस ने प्रिंसिपल को थाने में उपस्थित होने के लिए बुलाना शुरू कर दिया, जिससे प्रिंसिपल को कोई फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि उनके लिए तिलंगे की चालों को काटने से कहीं अधिक आवश्यक अन्य प्राथमिकताएं थीं।

इस पर तिलमिलाए तिलंगे ने अब उन्हीं विषयों पर रेलवे के मंडल और मुख्यालय के अधिकारियों को शिकायतें लिखनी शुरू कर दीं, यहां भी वह असफल रहा। अप्रैल 2020 में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने पर सबसे पहले तिलंगे ने ही आपत्ति जताई थी। जब उसे कक्षाओं से सीमित ऑनलाइन कार्यभार के साथ काम करने के लिए स्कूल बुलाया गया, तो उसने स्कूल की सभी मशीनरी का इस्तेमाल अपनी निजी गतिविधियों के लिए किया। उसका अधिकांश समय निजी इस्तेमाल के लिए इंटरनेट ब्राउज करने में व्यतीत होता था, जबकि उसे यह एक्सेस पढ़ाने के लिए दिया गया था। बच्चों की पढ़ाई को नुकसान पहुंचाने के लिए उसने हर तरह की तिकड़म की। “रेल समाचार” के पास तिलंगे की इन सभी नापाक हरकतों को साबित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं।

यह जानकर रेल प्रशासन के होश उड़ जाएंगे कि हर जगह गलत होने का रोना रोने वाले इस तिलंगे ने स्कूल का किंडल ई-रीडर और कोविड के समय में ऑनलाइन पढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाला एयरटेल डोंगल चुराकर छात्रों को बेरहमी से धोखा दिया है। आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त उसे इसके लिए गिरफ्तार करने वाले थे, लेकिन प्रिंसिपल ने हस्तक्षेप किया और स्कूल का नाम खराब न होने देने के लिए तिलंगे को गिरफ्तार होने से बचा लिया था।

इस तरह का यह घटिया व्यक्ति, जिसने पूरी गैरजिम्मेदारी से काम किया, वह कैसे रोना रो सकता है कि रेल प्रशासन उसे परेशान कर रहा है? अंततः 2021 में तिलंगे ने रिटायरमेंट से पहले प्रिंसिपल को डराने के लिए प्रॉक्सी के माध्यम से उनके खिलाफ विजिलेंस शिकायत दर्ज की। उसकी यह साजिश फिर विफल हो जाती है।

फिर इस तिलंगे के महान गुरु और मध्य रेलवे के एसडीजीएम का इस परिदृश्य में प्रवेश होता है। अगर आपको कुछ नहीं मिलता है तो कुछ ऐसा आविष्कार करें, जिससे कैसे भी करके प्रिंसिपल को फँसाया जा सके, यह इस जोड़ी का ध्येय बन गया। इस संदर्भ में यह याद रखना आवश्यक है कि यदि स्कूल के रिकॉर्ड से कुछ भी गायब है, तो इसे अनुभवी चोर तिलंगे द्वारा ही चुराया गया माना जाना चाहिए। बहुत योजनाबद्ध तरीके से दूसरी विजिलेंस शिकायत दर्ज की जाती है। समय के साथ जिस तरह से आगे के व्यवस्थागत बदलाव किए जाते हैं, वे सभी एक बहुत सोची-समझी कोरियोग्राफी की ओर इशारा करते हैं।

लेकिन आखिरकार इस तिलंगानामे ने स्कूल को ठप कर दिया। पिछले दो साल से कोई सार्थक काम नहीं हुआ। हर हितधारक को यही कहा जाता है कि हम कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि विजिलेंस की शिकायत है। तुगलकबाजी कर शिक्षकों की भर्ती की गई और उन्हें निकाल दिया गया। स्कूल को हंसी का पात्र बना दिया गया। स्कूल का रिजल्ट अब तक का सबसे खराब रिजल्ट रहा है।

तिलंगा जो अपने बच्चे को पास नहीं करा सका, उसने अपने बच्चे का नाम इंस्टाग्राम पर मेरिट लिस्ट में डाल दिया। 38% अंक पाने वाले बच्चे को 46% अंक देकर मेरिट में दिखाया गया। स्कूल के सभी शिक्षक यह जानते हैं। गणित में मात्र 28% अंक पाने वाला छात्र मेरिट में कैसे आ सकता है? तिलंगा स्टाइल झूठ की बुनियाद पर खड़ी है। बेशर्मी से किसी भी झूठ को सच की तरह प्रचारित करना तिलंगे की स्टाइल है। जोड़-तोड़ के मास्टर और झूठ के दलाल, तिलंगे जैसे लोग स्कूलों और शिक्षा क्षेत्र के लिए एक बदनुमा धब्बे की तरह हैं। क्रमशः

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