पूर्व मध्य रेलवे – अँधेर नगरी चौपट राजा, भाग-3
“जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी उसको उतनी बड़ी जिम्मेदारी”
Vigilance Department is Godfather and Godmother of Corruption in Indian Railways!
S&T department of Indian Railways, specifically in ECR, is working on the principal of – “for the contractors, by the contractors, and of the contractors!”
अंतिम कलेक्शन फेयरवेल दौरों में व्यस्त पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अनुपम शर्मा उर्फ #नीरो साहब ने ठान लिया है कि “उन्होंने जो कमिटमेंट कर दिया वह कर दिया फिर वह अपने आपकी भी नहीं सुनेंगे!” बताते हैं कि इस बहुचर्चित फिल्मी डायलॉग को नीरो साहब ने अपने जीवन में साक्षात उतार लिया है। #DyCSTE वर्क्स हाजीपुर अजीत कुमार का रेलवे बोर्ड से आर्डर निकले दो महीने से ज्यादा हो गया, मेंबर इन्फ्रा ने अपने हाल ही के इंस्पेक्शन के दौरान भी अजीत कुमार को तुरंत रिलीज करने का निर्देश दिया था लेकिन “बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया” की तर्ज पर रेलवे का एक अहंमन्य महाप्रबंधक अगर अपने कमिटमेंट को तोड़ देगा, तो लोगों का बेईमानों की ईमानदारी पर से भरोसा उठ जाएगा।
तो “जो वादा किया है वो निभाना पड़ेगा” की तर्ज पर सरकारी जीवन के अंतिम दिन 30 सितंबर 2023 तक उस वादे को निभाने के लिए नीरो साहब ने जी-जान लगा दिया है। अजीत कुमार को अपने स्वार्थ में रोके रखने के लिए ही नीरो साहब ने रेलवे बोर्ड को डीओ लेटर लिखा। नीरो साहब के शीशमहल की जानकारी #RailSamachar में प्रकाशित होने एवं सार्वजनिक होने से वह काफी आगबबूला हैं और पगला बैताल टाइप स्टाइल में जानकारी देने वाले को उसका सिर कलम करने के लिए खोज रहे हैं। उनके गुर्गे इसका पता लगाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। नीरो साहब ने यह भी ठान लिया है कि अब बदनामी से क्या डरना, अंतिम जो भी माल मिले, समेट लेना है, इसलिए इंस्पेक्शन के नाम पर मंडल-मंडल झोली फैलाए हरदम तथाकथित इंस्पेक्शन की तैयारी में जुटे रहते हैं। यह उनकी निर्लज्जता की पराकाष्ठा इसलिए है, क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि रिटायरमेंट के बाद रेल में उन्हें कोई घास भी नहीं डालेगा।
पूर्व मध्य रेलवे का संकेत एवं दूरसंचार विभाग (एसएंडटी डिपार्टमेंट) कोलकाता या दिल्ली में ‘दूर’ बैठे ठेकेदारों/एजेंसियों के ‘संकेतों’ से ‘संचारित’ होता है। भारतीय रेल में, और विशेष रूप से पूर्व मध्य रेलवे में, यह विभाग – for the #contractors by the #contractors and of the #contractors – के सिद्धांत पर काम करता है। पूरी भारतीय रेल में इस विभाग को कुछ खास एसएंडटी ठेकेदार ही चलाते हैं। #RailSamachar बार-बार लगातार रोटेशन-रोटेशन की रट लगाए हुए है, लेकिन रेल के हुक्मरानों के कान पर जूँ तक नहीं रेंग रही, क्योंकि चोरी की मलाई सब खा रहे हैं।
राजेश कुमार जो हाल में ही ईसीआर एसएंडटी डिपार्टमेंट के मुखिया के पद से रिटायर हुए हैं, वह इस डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार के जनक के रूप में देखे-सुने और पूजे जाते रहे हैं। इन्होंने तीन दशक से ज्यादा की सरकारी नौकरी पटना-हाजीपुर के आसपास ही काट दी, तथापि इस पर किसी का भी ध्यान नहीं गया। अजीत कुमार भी भ्रष्टाचार के मामले में राजेश कुमार का गुरुभाई बताए जाते हैं। सम्बंधित मंडल में DyCSTE वर्क्स की पोस्ट होने के बावजूद ग्रैंड कोर्ड में #TCAS और ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग के कार्य के सुपरविजन और एक्जीक्यूशन का जिम्मा हाजीपुर में बैठे एक डिप्टी को क्यों दिया गया, ये कोई राकेट साइंस नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के फलने-फूलने का विज्ञान है। नीरो साहब और राजेश कुमार के “स्कूल ऑफ करप्शन मैनेजमेंट” का यह जीता-जागता उदहारण है।
#TCAS और #ABS का टेंडर राजेश कुमार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में हुआ था, इसमें काफी गड़बड़ी की शिकायत थी, लेकिन आरोप है कि नीरो साहब को उनका हिस्सा देकर मामले को शांत करा दिया गया। इसके कई सौ करोड़ के टेंडर की जांच #CBI जैसी एजेंसी से कराने की नितांत आवश्यकता है।
तरुण प्रकाश, अपर महाप्रबंधक के कुछ दिन एसएंडटी डिपार्टमेंट के इंचार्ज रहने के दौरान अजीत कुमार के तिलिस्म को थोड़ा सा तोड़ा गया और एबीएस का काम क्षेत्रीय अधिकारियों को दिया गया।
अजीत कुमार बहुत लम्बे समय तक धनबाद मंडल में पोस्टेड थे और वहाँ करप्शन के बहुत सारे कीर्तिमान इनके नाम पर हैं। सारे भ्रष्ट अधिकारी ठेकेदारों का दोहन या शोषण करते हैं, लेकिन अजीत कुमार ठेकेदारों का पोषण करते हैं। उनके साथ भ्रष्टाचार के कथित पार्टनर हैं। ठेकेदारों का काम विभागीय कर्मचारियों से करवाकर उस लूट के मालिक बन जाते हैं। कई कर्मचारियों का कहना है इस लूट की कमाई को अजीत कुमार ने देश के बड़े शहरों के रियल एस्टेट में लगा रखा है। यह #ED की जाँच का विषय है।
कर्मचारियों की माँग है कि धनबाद में अजीत कुमार के कार्यकाल के दौरान हुए सारे बड़े टेंडर्स की जांच सीबीआई से कराई जाए। हर फाइल अजीत कुमार और उनके आकाओं के कुकृत्यों की चीख-चीख कर गवाही देगी। उनका कहना है कि अजीत कुमार के कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपये के केबल गायब कर दिए गए और उस पाप को छिपाने के लिए अग्निकांड का सहारा लिया गया। वह बताते हैं कि एसएंडटी डिपार्टमेंट का ठेकेदार केवल मटीरियल देता है, उसका पैसा लेता है, और चल देता है, बाकी काम विभाग में पोस्टेड उनके पार्टनर अधिकारी डिपार्टमेंटली कराते हैं और आपस में हिस्सा बाँट लेते हैं। जो भी कर्मचारी इसका विरोध करता है उसको प्रताड़ित किया जाता है।
कर्मचारियों का कहना है कि अधीनस्थ कर्मचारियों का शोषण करना अजीत कुमार का प्रिय शगल है। इसकी गवाही यूट्यूब के वीडियो भी देंगे। एक #RTI केस सं. CIC/ECRHJ/C/2017/17399 में इन पर सूचना न देने के लिए आर्थिक दंड भी लगाया गया था। अभी हाल ही में एसएंडटी डिपार्टमेंट के जूनियर और सीनियर स्केल के अधिकारियों की पोस्टिंग में भी खेल हुआ है, चहेते अधिकारियों को ग्रैंड कोर्ड में #TCAS के #करप्शन को छिपाने के लिए पोस्ट किया गया है।
मंडलों में पोस्टेड एसएंडटी डिपार्टमेंट के अधिकारियों में “सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी कौन” की रेस लगी हुई है। कभी समस्तीपुर का वरिष्ठ मंडल अधिकारी तो कभी दानापुर का वरिष्ठ मंडल अधिकारी प्रथम पायदान पर हो जाता है। भ्रष्टाचार की इस रेस में कोई अधिकारी पीछे नहीं है, “जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी, उसको उतनी बड़ी जिम्मेदारी” के रेलवे बोर्ड के फार्मूले को पूर्व मध्य रेलवे के एसएंडटी डिपार्टमेंट ने अक्षरशः अपना लिया है।
पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन के अलावा शराब, कबाब और शबाब का खेल कहीं और चलता है तो वह है ईसीआर का एसएंडटी डिपार्टमेंट। यहाँ के कुछ अधिकारी ठेकेदारों के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों के मनोरंजन और वासनाओं को तृप्त करने के लिए हर तरह की ‘प्रबंध विद्या’ में निपुण हैं। यह लिखने से पहले हालाँकि हाथों में कंपन हो रहा है, लेकिन यही आज का डरावना सच है, और इसके पीछे मुख्य कारण है – रोटेशन का न होना! सतर्कता विभाग का करप्शन में सहयोग! और नीरो जैसे भ्रष्ट महाप्रबंधक!
जैसा कि #RailSamachar पहले भी कई बार लिख चुका है कि “सतर्कता विभाग रेलवे में भ्रष्टाचार को संपोषित और पल्लवित करने वाला अग्रणी विभाग है!” अंग्रेजी में कहा जाए तो #Vigilance Department is #Godfather and #GodMother of #Corruption in #IndianRailways! रेलवे में अगर भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी है, तो रेलवे विजिलेंस में बाहरी डिपार्टमेंट्स और मंत्रालयों से अधिकारियों की पोस्टिंग करना आवश्यक है! यह बात बार-बार दोहराई जा रही है।
पूर्व मध्य रेलवे के दो महाभ्रष्ट अधिकारी इसी महीने सेवानिवृत हो रहे हैं। गंगा मईया को भी इनके भ्रष्टाचार से अब शायद मुक्ति मिलेगी। कार्मिक विभाग में “लाफिंग हायना” के नाम से कुख्यात दीमक इसी महीने रिटायर हो रहा है। मंडल में पोस्टिंग के 20-25 लाख रुपये लेने वाला बिहार सरकार के पुस्तक घोटाले का मुख्य आरोपी जातिवाद के इस प्रतीक से लोगों को छुटकारा मिलेगा। लोगों को नए #PCPO से काफी उम्मीदें हैं, वर्तमान के स्वजातीय होने के बावजूद नए #PCPO की अलग छवि है।
#RailSamachar मेंबर इन्फ्रा महोदय को साधुवाद देना चाहता है, उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान पखवाड़े में पूर्व मध्य रेल के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की कुछ गंदगी को साफ किया, लेकिन अभी भी सुजीत झा, आर. के. बादल, ए. के. राय, मुकेश कुमार, सूरज कुमार जैसे कुछ अधिकारी अभी भी यहाँ कुंडली मारकर बैठे हैं। लोग दबे स्वर में यह भी कहते सुने गए हैं कि #SLT की मलाई दिल्ली दरबार में भी खिलाई गई है। रेलमंत्री जी, आप भले ही इस स्कैम से अछूते हैं, लेकिन आपके नीचे के लोग रिव्यू के नाम पर काम में लगे हैं। वह दिन दूर नहीं, जब पूर्व मध्य रेल में ‘अमृत भारत’ का विषैला सच सामने आएगा और यह ‘स्कीम’ एक ‘स्कैम’ के रूप में जानी जाएगी। हिंदी शब्दकोष में यदि भ्रष्टाचार का कोई नया पर्यायवाची शब्द जुड़ेगा, तो वह निःसंदेह “पूर्व मध्य रेल” होगा।
आज एक ऐतिहासिक दिन है, मंत्री जी आपको भी आज से एक नई आदर्श रेल की संकल्पना, जो आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने की है, को साकार करने की दिशा में प्रयत्न करना चाहिए!