September 8, 2023

पूर्व मध्य रेलवे – अँधेर नगरी चौपट राजा, भाग-2

मेंबर इंफ्रा कृपया “नीरो स्कूल ऑफ करप्शन मैनेजमेंट” द्वारा चलाए जा रहे करप्शन प्रोजेक्ट्स के पुनरीक्षण पर अपना ध्यान केंद्रित करें!

“जिस भी कर्मचारी/अधिकारी को अपनी मनचाही जगह पर ट्रांसफर पोस्टिंग चाहिए अथवा किसी समस्या का समाधान करवाना हो, वे सीधे जाकर मैडम को मिलें!”

एक ही ठेकेदार को ₹250 करोड़ से ज्यादा के 15 स्टेशन के 5 टेंडर दिए गए, उस ठेकेदार की वित्तीय हैसियत ₹250 करोड़ के टेंडर लेने की नहीं थी, फिर भी उसे ये दिए गए, इस बात की जांच सीबीआई से होनी चाहिए कि इतनी बड़ी लागत के काम 5 महीने में कैसे होंगे?

मेंबर इंफ्रा महोदय आप कम से कम चोपन पिट लाइन, रेनुकूट रनिंग रूम, ग्रैंड कोर्ड में हुए इंजीनियरिंग फेलियर, दानापुर मंडल अमृत भारत स्टेशन स्कीम के टेंडर और आगे के कार्य की योजना, निर्माण संगठन द्वारा किए जा रहे किसी भी कार्य की गुणवत्ता और रोटेशनल ट्रांसफर से सम्बंधित मुद्दों पर विशेष ध्यान दें!

पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अनुपम शर्मा उर्फ नीरो को पिछले एक साल से अपने शीशमहल की साज-सज्जा के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा है और इसका खामियाजा यह पूरा जोन भुगत रहा है। निर्माण संगठन के कुछ कलाकार अभियंताओ ने एक शीशमहल के रंग-रोगन साज-सज्जा के नाम पर अपने कई शीशमहल बना लिए और इसका नुकसान हुआ भारतीय रेल को और धोखा भारत की जनता को। मेम्बर इन्फ्रा अपने तीन दिवसीय दौरे पर पूर्व मध्य रेल की चौहद्दी नापेंगे। #RailSamachar को उम्मीद है कि उनका यह सघन निरीक्षण दौरा हवा-हवाई नहीं होगा। पूर्व मध्य रेल का निर्माण संगठन और इंजीनियरिंग विभाग भ्रष्टाचार, जात-पात, शोषण और स्वार्थपूर्ति का अड्डा बना हुआ है। #RailSamachar ने कई बार सुपरवाइजर इत्यादि के रोटेशनल ट्रांसफर की आवाज उठाई है, मेम्बर इन्फ्रा से आशा है कि रेलवे के असली कर्मयोगियों को वो रेलभोगियों से बचाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश देंगे।

मेंबर इंफ्रा धनबाद मंडल के सिंगरौली जाएंगे और वहां से लौटते समय सिंगरौली से सोननगर के मध्य चल रहे निर्माण कार्यों का जायजा लेंगे, मेम्बर इन्फ्रा से अनुरोध है कि वो #SLT घोटाले के मास्टरमाइंड पूर्व #CAO और #PCE के कारनामों का भी पुनरीक्षण करें। #SLT के माध्यम से एक निकट स्वजातीय ठेकेदार को दिए गए चोपन पिट लाइन के काम का निरीक्षण कर लें, सरिया के कट पीस से बनाए गए पिट लाइन और उसके ढ़हने की कहानी स्वयं देख लें तब पता चलेगा की भ्रष्टाचार की जडें कितनी गहरी हैं। बेहद ही खराब क्वालिटी और घटिया सामग्री से बना पिट लाइन एक बार जमींदोज हो चुका है, लेकिन पूर्व मध्य रेल का प्रशासन एकदम मौन रहा। नीरो महोदय को इससे कोई मतलब नहीं रहा, क्योंकि वह इस घोटाले के साझीदार रहे हैं और दवाब में विजिलेंस आर्गेनाईजेशन भी मामले की लीपापोती करने में लगा है।

मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर रेलवे बोर्ड का विस्तृत दौरा कार्यक्रम

पूर्व सीएओ के खासम-खास डिप्टी चीफ इंजीनियर को पूर्व मध्य रेल के प्रशासन के सर आँखों पर बैठाया। मेंबर इंफ्रा महोदय इस बात की खुद जांच कर लें उनको सब पता चल जाएगा। धनबाद मंडल के तत्कालीन मंडल रेल प्रबंधक से भी पूछकर संतुष्ट हो लें, क्योंकि वर्तमान मंडल रेल प्रबंधक तो अपनी मैडम के चप्पल के बदले गरीब कर्मचारी की इज्जत को तार-तार करने में व्यस्त हैं, और ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ की कहावत को सच करने में लगे हैं। मेंबर इंफ्रा साहब आप चोपन पिट लाइन के कार्य का पूरा व्योरा मंगाकर देखें, ‘बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुप्पैया’ की तर्ज पर इस जोनल रेलवे का सारा काला चिटठा खुल जाएगा I दोषी इंजीनियर को बचाने से लेकर मामले को रफा-दफा करने में सबकी भूमिका रही है। पूर्व मध्य रेल अहंमन्य नीरो के राज में एक आर्गनाइज्ड क्रिमिनल कार्टेल अर्थात् माफिया संगठन की तर्ज पर कार्य कर रहा है।

रेनुकूट में #SLT के माध्यम से बन रहे रनिंग रूम का ही जायजा मेंबर इंफ्रा महोदय ले लें। तारीख पर तारीख यानि एक्सटेंशन दर एक्सटेंशन, वह भी #urgency के नाम पर हाई रेट पर दिए गए इस स्पेशल टेंडर का क्या हाल है, यह अवश्य देखें। इंजीनियरिंग विभाग और निर्माण संगठन द्वारा किए जा रहे कार्य इंजीनियरिंग अधिकारियों की आपराधिक प्रवृति और माफिया मेंटालिटी को उजागर करते हैं। रेनुकूट के तत्कालीन डिप्टी चीफ इंजीनियर भी वरदहस्त-प्राप्त भाग्यशाली गुर्गों में शामिल हैं। लूट की छूट और लूटे गए माल की बंदरबांट में इस डिप्टी सीई का कोई सानी नहीं है। इसका इनाम भी तुरंत मिला रेनुकूट से बरकाखाना, बरकाखाना से धनबाद में मालदार पोस्टिंग, वह भी मात्र चार महीने के अन्तराल में।

#RailSamachar बार-बार रोटेशनल ट्रांसफर की बात कर रहा है। मेंबर इंफ्रा से अनुरोध हैं कि वह पूर्व मध्य रेल के निर्माण संगठन में पोस्टेड जूनियर स्केल अधिकारियों से लेकर डिप्टी लेवल के अधिकारियों तक की पोस्टिंग कुंडली मांग लें, अंतिम तीन-चार पोस्टिंग देख लें, घूम फिर कर वहीं दो का चार करने की नीयत से कंस्ट्रक्शन में पोस्टिंग और इस अव्यवस्था का सूत्रधार और संरक्षक नीरो शर्मा ही मिलेंगे।

पूर्व मध्य रेल के भ्रष्ट अधिकारियों, जिसमें से एक-दो आपके साथ इस दौरे में शामिल हैं, का चहेता चाँद और आँखों का तारा धनबाद मंडल का सबसे भ्रष्ट और नक्कारा अधिकारी सुरज कुमार तो किसी दिन सैकड़ों निर्दोष यात्रियों की जान और आप सब लोगों की नौकरी लेकर ही मानेगा, फिर भी नीरो साम्राज्य उसके अहसानों के बोझ के नीचे दबे होने के कारण उसको बचाने के लिए जी-जान लगा देगा। यह भी सुनने में आया है कि वर्तमान #PCE ने सूरज कुमार को वरिष्ठ मंडल अभियंता समन्वय न बनाकर नीरो शर्मा की दुश्मनी मोल ली है क्योंकि कमिटमेंट के तहत बयाना राशि का आदान-प्रदान हो चुका था। कोई आश्चर्य नहीं होगा कि जाते-जाते नीरो शर्मा सूरज कुमार को मंडल अभियंता समन्वय न बना दें। पैसे की ताकत और बिके हुए लोगों की निर्लज्जता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई बार #RailSamachar में खबर प्रकाशित होने के बाद भी सूरज कुमार पर कोई कारवाई नहीं की गई। ग्रैंड कोर्ड में बकलिंग, ट्रैक पर #JCB और मालगाड़ी की टक्कर होते-होते बचना, गुरपा में पॉइंट के ब्लाक को 12 घंटे तक जारी रखकर रेलवे को करोड़ों का चूना लगाने जैसे कई मामले पैसों की गर्मी के आगे सबके इमान ठण्डे पड़े हैं।

बुधवार, 6 सितंबर 2023 को फिर से गुरपा अप लाइन में पॉइंट में रेल फ्रैक्चर का मामला सामने आया है। भला हो उस पेट्रोलमैन का जिसने शालीमार गोरखपुर एक्सप्रेस को कोरोमंडल एक्सप्रेस बनने से बचा लिया। नीरो साम्राज्य में मलाई खाने और खिलाने वाले अधिकारियों का बोल बाला है। #CTE जैसे लोग सूरज को कोआर्डिनेशन अभियंता बनाने के लिए कमर कसे हुए थे, लेकिन #PCE ने उन लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। ये फेलियर बहुत ही सीरियस किस्म का है, ये सिर्फ लापरवाही नहीं है, बल्कि घोर लापरवाही है। सुरज कुमार ठेकेदारों का दोहन और स्टाफ का शोषण करता है, उसको ट्रैक, रेल सेफ्टी किसी बात की चिंता नहीं है। बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुप्पैया को चरितार्थ करने वाले सूरज कुमार ने सत्य साबित किया है।

स्थानीय अखबार में प्रकाशित खबर

जानकारों का कहना है कि वरिष्ठ इंजीनियरिंग अधिकारियों के घर का चूल्हा-चौका चलाने वाले सुरज कुमार को कोई हाथ भी नहीं लगा सकता। पूछिए #नीरो शर्मा से या उसके खास #CTE से, कितनी बार सूरज कुमार से जवाब माँगा गया? क्या कार्रवाई हुई उसके खिलाफ? जब पूरा रेल मंत्रालय संरक्षा को लेकर इतना सतर्क है, फिर ग्रैंड कोर्ड जैसे महत्वपूर्ण सेक्शन में इस तरह की लापरवाही एक आपराधिक कृत्य है, लेकिन पूर्व मध्य रेल प्रशासन ने ठान लिया है कि जब तक सूरज की ‘रोशनी’ उस पर पड़ रही है तब तक वह सूरज की चाकरी करता रहेगा, भले ही वह सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान ही ले ले।

सभी मंडलों में इंजीनियरिंग विभाग के ग्रुप डी कर्मचारियों से वसूली की जा रही है। उनको बंगले पर काम करने के लिए, मेमसाब के शॉपिंग और महिला समिति कार्यक्रमों के दौरान, गलती से पैदा हुए उनके नौनिहालों की देखभाल करने के लिए रखा जाता है। दूरदराज पोस्टेड अधिकारियों के सास-ससुर की सेवा हेतु भी गरीब कर्मचारियों को लगाया गया है मगर स्टाफ की कमी का रोना हमेशा रोया जाता है। कुछ खास मुंहलगे चमचों और दलालों का मैसेज है कि “जिस भी कर्मचारी/अधिकारी को अपनी मनचाही जगह पर ट्रांसफर पोस्टिंग चाहिए अथवा किसी समस्या का समाधान करवाना हो, वे सीधे जाकर मैडम को मिलें!”

मेंबर इंफ्रा साहब दानापुर, सोनपुर और समस्तीपुर मंडलों की जितनी बात की जाए उतनी ही कम है। इन मंडलों में इंजीनियरिंग अधिकारियों के आगे भ्रष्टाचार को भी शर्म आती होगी कि हम कहाँ आ गए! ये लोग जो करते हैं वह करप्शन की नहीं, बल्कि सीरियल क्राइम की श्रेणी में आता है। मेंबर इंफ्रा महोदय आप तीन दिन #ECR में रहेंगे, निर्माण संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता देख लें आपको इनके इंजीनियर होने पर शर्म आने लगेगी। इनका हमेशा एकसूत्री कार्यक्रम रहता है कि कैसे ठेकेदारों को फायदा पहुंचाकर अपनी झोली भरी जाए, भले ही रेल भाड़ में और देश रसातल में चला जाए। किस तरह से अर्थ-वर्क में घोटाला किया जाता है यह इन मंडलों के महान इंजीनियरिंग अधिकारियों से सीखा जा सकता हैं?

“सुधीर स्कूल ऑफ मिसमैनेजमेंट” से तो रेलवे बोर्ड को छुटकारा मिला, पर यहाँ “नीरो स्कूल ऑफ करप्शन मैनेजमेंट” स्थापित हो गया। दानापुर मंडल असेट्स फेलियर में पूरी भारतीय रेल में प्रथम स्थान पर है, लेकिन नीरो महोदय को किसी बात की चिंता नहीं है, क्योंकि सप्लाई चालू आहे। दानापुर के गतिशक्ति प्रकोष्ठ के अमृत भारत स्टेशन स्कीम के कार्यों का ही जायजा ले लें, मामला आईने की तरह साफ़ हो जाएगा। एक ही ठेकेदार को ₹250 करोड़ से ज्यादा के 15 स्टेशन के 5 टेंडर दिए गए, उस ठेकेदार की वित्तीय हैसियत ₹250 करोड़ के टेंडर लेने की नहीं थी, फिर भी उसे ये दिए गए, इस बात की जांच सीबीआई से होनी चाहिए। इतनी बड़ी लागत के काम 5 महीने में कैसे होंगे, और अगर लीपापोती हुई तो क्वालिटी का क्या होगा? अगर एक्सटेंशन हुआ तो प्रधानमंत्री के मिशन का क्या होगा?

मेंबर इंफ्रा महोदय आपसे फील्ड कर्मचारियों का अनुरोध है कि आप कम से कम चोपन पिट लाइन, रेनुकूट रनिंग रूम के SLT के माध्यम से कराए गए या कराए जा रहे कार्यों, ग्रैंड कोर्ड में पिछले एक साल में हुए सारे इंजीनियरिंग फेलियर, दानापुर मंडल की अमृत भारत स्टेशन स्कीम के टेंडर और आगे के कार्य की योजना, निर्माण संगठन द्वारा किए जा रहे किसी भी कार्य की गुणवत्ता और रोटेशनल ट्रांसफर से सम्बंधित मुद्दों पर विशेष ध्यान दें।

सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग के कुकृत्यों और कुरीतियों पर चर्चा अगले अंक में की जाएगी!

मेंबर इंफ्रा महोदय, आपके इतने विस्तृत दौरे से कर्मयोगियों में एक उम्मीद की किरण जगी है। वे पूर्व मध्य रेल के निर्माण संगठन और इंजीनियरिंग विभाग में जड़ तक फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास मान रहे हैं। उम्मीद है आप भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के करप्शन फ्री रेल सिस्टम की मुहिम को एक सकारात्मक पहल प्रदान करेंगे! क्रमशः जारी…