अंधेर नगरी चौपट राजा अर्थात् पूर्व मध्य रेलवे का अहंमन्य नीरो!
“जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी, उसको उतनी बड़ी जिम्मेदारी” के फार्मूले पर रेलवे में हो रहा है काम!
“अंधेर नगरी चौपट राजा” की कहावत से भारतीय रेल की वर्तमान स्थिति को समझा जा सकता है। बात पूरी भारतीय रेल की हो या रेलवे बोर्ड की, या फिर किसी जोनल मुख्यालय की, अथवा किसी मंडल मुख्यालय की, यह कहावत सब जगह अक्षरश: लागू होती है। इस निराशाजनक माहौल में “रेलसमाचार” एक उम्मीद के सहारे रेलवे के महत्वपूर्ण मुद्दे, इसके कर्मयोगियों की समस्याओं के मुद्दे पूरे साहस, मजबूती और ईमानदारी से उठाता रहता है।
सेवा-विस्तार की चाहत में लगभग 300 बेकसूर रेलयात्रियों की असमय मौत और करीब 1200 लोगों को अंग-भंग करने के लिए जिम्मेदार एक भूतपूर्व चेयरमैन ने जनता की गाढ़ी कमाई के लगभग ₹100 करोड़ अमृत भारत स्टेशन स्कीम के उद्घाटन पर खर्च करवा दिए, जिससे कई हजार रेल कर्मचारियों के नारकीय जर्जर आवासों की मरम्मत की जा सकती थी। उद्घाटन के एक महीने बाद भी ये स्टेशन अपने परिवर्तन की राह देख रहे हैं। क्या किसी जन-प्रतिनिधि, जो इन उद्घाटन समारोहों के सहभागी रहे थे, ने कोई सवाल पूछे कि ये काम अभी तक शुरू क्यों नहीं हुए? प्रधानमंत्री को बरगलाने का ठेका रेल मंत्रालय और वहाँ बैठी केएमजी की टीम ने उठा रखा है। क्या इस नरभक्षी तंत्र ने ठान लिया है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की सोच को सच नहीं होने देना है!
जानकारों का मानना है कि #गतिशक्ति प्रकोष्ठ एक धोखा है, एक बड़ा छलावा है। कुछेक मंडलों में गति-शक्ति प्रकोष्ठ केवल टेंडर करने और कमीशनखोरी करने वाला तंत्र बनकर रह गया है I इसका सबसे बड़ा उदाहरण #दानापुर मंडल का गति-शक्ति प्रकोष्ठ है। अमृत भारत स्टेशन स्कीम के 250 करोड़ से ज्यादा के टेंडर एक ही #ठेकेदार को दे दिए गए, जिसकी वित्तीय क्षमता इतनी बड़ी राशि के टेंडर लेने की नहीं थी। पूरे मामले की जांच #सीबीआई या #प्रवर्तन निदेशालय से करा ली जाए, सारी कलई खुल जाएगी। अमृत भारत स्कीम कई लोगों के लिए वास्तव में ‘अमृत’ लेकर आया है, ये लोग झोला भर-भरकर अमृत-पान कर रहे हैं।
“अंधेर नगरी चौपट राजा” की कहावत अगर सबसे सटीक किसी एक रेल अधिकारी पर बैठती है, तो वह है पूर्व मध्य रेल का महा-अकर्मण्य महाप्रबंधक #अनुपमशर्मा उर्फ नीरो! इलेक्ट्रिकल विभाग में एक ट्रांसफर पोस्टिंग आदेश निकले हुए एक महीने से ज्यादा हो गया, लेकिन वह अभी तक लागू नहीं हो पाया है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इसके पीछे भी ‘नीरो’ का ही हाथ है। दिल्ली में बन रहे #नीरो जी के आलीशान शीशमहल की बिजली के कार्य का जिम्मा पूर्व मध्य रेल के बिजली अधिकारी ओम शंकर प्रसाद ने ले रखा है, जिसका नाम उपरोक्त आर्डर में है। इस बात में कितनी सच्चाई है, यह या तो ओम शंकर बता पाएंगे, या फिर महा-अकर्मण्य महाप्रबंधक अनुपम शर्मा बता सकते हैं। लेकिन यह बात पूरी तरह सच है कि ओम शंकर ने सिक लीव लेकर महानुभाव नीरो महोदय के शीशमहल को रोशन करने का जिम्मा ले रखा है।
सूत्रों का कहना है कि इस संदर्भ में #ओमशंकर के मोबाइल लोकेशन की जांच की जा सकती है। खैर, वह किसका मोबाइल लेकर घूम रहा होगा, यह कहना कठिन है, क्योंकि उसके खिलाफ सर्विलांस के बावजूद सीबीआई भी कुछ नहीं कर पाई। अनुपम शर्मा का रिटायरमेंट नजदीक है, इसी महीने है, इसलिए दिल्ली वाले शीशमहल का काम तीव्र गति पर जारी है। अधिकारिक ड्यूटी के नाम पर महाप्रबंधक शर्मा दिल्ली प्रवास का जुगाड़ कर लेते हैं। सैलून लगाकर दिल्ली जाने का क्या औचित्य हो सकता है, यह तो अनुपम शर्मा ही जानें, लेकिन ये ऐश जनता के पैसों पर की जा रही है, इसलिए सवाल पूछने का हक “रेलसमाचार” को भी है।
क्या रेलवे बोर्ड यह बता सकता है कि सैलून लेकर अनुपम शर्मा दिल्ली क्यों जाते हैं? क्या कोई चोरी की कमाई छुपाने की नीयत से इस तरह की गोपनीय यात्रा की जाती है? अनुपम शर्मा के दिल्ली वाले शीशमहल की आंतरिक साज-सज्जा किसके जिम्मे है? इसकी वित्त व्यवस्था की जिम्मेदारी किसकी है- सुजीत झा या आर. के. बादल? ये दोनों महानुभाव पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन के मुख्य अभियंता हैं। पूरी आंतरिक सज्जा और निर्माण लागत की जांच किसी स्पेशलिस्ट जाँच एजेंसी से कराई जाए! उसका भुगतान किसने किया है? किस माध्यम से किया गया है? सब पता चल जाएगा।
एक सरकारी अधिकारी के #शीशमहल की रंगाई-पुताई और आंतरिक साज-सज्जा का काम हो रहा है, इसके खर्च का सारा लेखा-जोखा तो विजिलेंस विभाग को दिया ही होगा, वहां से पता लगाया जा सकता है। यह भी सुनने में आया है कि #रिटायरमेंट से पहले नीरो महोदय ने अपना झोला भरकर निकलना चाहते हैं, इसलिए पूर्व मध्य रेल निर्माण संगठन और ट्रांसफर/पोस्टिंग को उन्होंने काफी समय से अपनी आय का जरिया बनाया हुआ है।
माननीय प्रधानमंत्री जी, रेलवे में आपकी नाक के नीचे एक और काण्ड को अंजाम दिया जा रहा है I “रिव्यु” के नाम पर, “जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी, उसको उतनी बड़ी जिम्मेदारी” के फार्मूले पर रेलवे में काम हो रहा है। आपको अगर इसकी सच्चाई का पता लगाना है तो #IB के माध्यम से जांच करा लें, 250 करोड़ रुपये के स्पेशल लिमिटेड टेंडर (#SLT) घोटाले का #मास्टरमाइंड कौन था? प्रधानमंत्री जी और मोहन भागवत जी सतर्क हो जाइए, क्योंकि यह महा-फ्रॉड अधिकारी #आरएसएस का नाम इस्तेमाल कर अपना उल्लू सीधा कर रहा है।
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि बिहार-झारखण्ड से सम्बन्ध रखने वाले आरएसएस के एक दो भूतपूर्व पदाधिकारी और बेगुसराय से सम्बन्ध रखने वाले आरएसएस की पृष्ठभूमि के एक राज्यसभा सांसद के सहयोग से यह अधिकारी अपने #भ्रष्टाचार और #जातिवाद की दूकान खोलने की तैयारी में है। #SLT घोटाले के कर्ता-धर्ता ने अमृत भारत स्कीम के उपरिगामी पथ के टेंडर में भी अपने स्वजातीय चीफ ब्रिज इंजीनियर के साथ मिलकर करोड़ों रुपये की बंदरबाँट किया है और उसी पाप की कमाई को एक स्वजातीय #कांट्रेक्टर के माध्यम से स्वजातीय आरएसएस के नेताओं और ऊपर के नेताओं को पहुंचा रहा है।
प्रधानमंत्री महोदय रेल के ये दीमक आपके अच्छे कार्यों को चाट रहे हैं। इतने बड़े भ्रष्ट अधिकारी की पोस्टिंग, वह भी प्रमोशन दिलवाकर किसने कराई, ये गंभीर जांच का विषय है। प्रधानमंत्री जी आपके नीचे का तंत्र पैसे के लालच में आपकी आँखों में धूल झोंक रहा है। जिस अधिकारी को रेल से बहार होना चाहिए था, उसको प्रमोशन देकर रेलवे बोर्ड में लाना किसकी साजिश है? आपकी करप्शन के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की पालिसी को कौन पलीता लगा रहा है? यह सब उच्च स्तरीय जांच का विषय है। इस निराश करने वाली व्यवस्था में नए CRB के चयन में आपके हस्तक्षेप ने एक उम्मीद की किरण जगाई है। बहुत आवश्यक है कि रेलवे के महाभ्रष्ट और जालसाज अधिकारियों पर नकेल कसी जाए! इनकी पहचान कर, इन्हें तुरंत बर्खास्त कर कानूनी कार्यवाही की जाए! क्रमशः जारी..