वाशिंग/पिट लाइनों पर रेक अनुरक्षण हेतु 750 वोल्ट बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का स्वागतयोग्य निर्णय
गोरखपुर ब्यूरो: भारतीय रेल ने लिंक हॉफमैन बुश (#LHB) कोच वाले रेकों के अनुरक्षण के लिए देश भर में सभी 411 वाशिंग/पिट लाइनों पर 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है, जिससे रेलवे को वार्षिक ₹500 करोड़ से अधिक की बचत होगी।
भारतीय रेल द्वारा इसके लिए करीब ₹210 करोड़ का पूंजीगत निवेश व्यय किया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे पर हेड ऑन जनरेशन (#HOG) के लिए पिट लाइन में 750 वोल्ट बिजली आपूर्ति का कार्य वर्तमान में गोरखपुर, गोमती नगर, ऐशबाग, बनारस एवं मऊ स्टेशनों की 15 पिट लाइनों पर हो चुकी है। वाराणसी सिटी, छपरा, टनकपुर, काठगोदाम, रामनगर एवं लालकुआँ स्टेशनों की 6 पिट लाइनों का कार्य प्रगति पर है।
नवंबर 2016 में, रेलवे बोर्ड ने अप्रैल, 2018 से अपने पुराने #ICF कोचों का उत्पादन पूरी तरह बंद करने एवं एलएचबी कोचों में बदलने का नीतिगत निर्णय लिया था। ऊर्जा समीक्षा 2021-22 के आधार पर एलएचबी रेक के परीक्षण एवं रखरखाव के लिए 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करके वाशिंग/पिट लाइनों पर क्षमता वृद्धि करना बहुत महत्वपूर्ण है।
भारतीय रेल पर 411 वाशिंग/पिट लाइनों के ढ़ांचागत कार्यों के लिए लगभग ₹210 करोड़ कुल पूंजीगत व्यय की मंजूरी दी गई थी। यह एक वर्ष से भी कम समय में पूरे रेल नेटवर्क को कवर करते हुए 411 वाशिंग/पिट लाइनों पर बुनियादी ढ़ांचे के निर्माण कार्य शुरू कराए गए। जुलाई, 2023 के अंत तक 316 वाशिंग/पिट लाइनों पर काम पूरा कर लिया गया। शेष को 2023 की दूसरी तिमाही में पूरा करने का लक्ष्य है।
वाशिंग/पिट लाइनों पर बुनियादी क्षमता निर्माण में ₹210 करोड़ की पूंजी निवेश करके तैयार किए गए बुनियादी ढ़ांचे से प्रति वर्ष ₹500 करोड़ से अधिक की शुद्ध बचत होगी। रेलवे पर एचओजी के उपयोग से यह बचत और भी अधिक होगी। यह लागत कम करके तथा दक्षता में सुधार करके गैर-टैरिफ उपायों के माध्यम से यात्री सेवाओं, विशेष रूप से मेल/एक्स खंड के परिचालन में सुधार करना रेलवे के प्रयासों का एक हिस्सा है।
भारतीय रेल 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।