August 4, 2023

पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ सुनिश्चित किए जाएं पीरियोडिकल ट्रांसफर एवं रोटेशनल पोस्टिंग्स

रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा उत्तर रेलवे मुख्यालय में जिस तरह से कुछ अधिकारियों की पोस्टिंग की जा रही है वह अपने आप में गंभीर जाँच का विषय है। ऐसा लगता है कि उत्तर रेलवे में पूरे #System को हर विभाग के गिने-चुने तीन-चार अधिकारियों ने हाइजैक कर लिया है। घुम-फिरकर सभी महत्वपूर्ण पोस्ट्स पर वे ही काबिज होते रहते हैं और कई तो बाहर बोलने से भी गुरेज नहीं करते कि #GM और #CRB भी उनके फैन हैं। उनका कहना है कि जिस पद पर उनकी निगाह रहती है, वह पद उनकी प्रतीक्षा करता है, न कि वे उस पर पोस्टिंग के लिए प्रतीक्षा करते हैं।

यहाँ तक कि #deputation भी लोग अपनी मर्जी से जाते हैं और जब भी मनपसंद पोस्ट खाली दिखती है तब अपनी मर्जी से #deputation से वापस #Zone में आ जाते हैं।

#GM, #CRB, #MOBD और अन्य #BoardMembers इसका संज्ञान लें और यह सुनिश्चित करें कि जो भी #Zones में हो रहा हो वह पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो, न कि मनमाने तरीके से!

और खासकर तब जब हर ग्रेड में 70% से ज्यादा अधिकारियों को #Sideline में रखकर सड़ाया जा रहा हो और कुछ खास #Privileged लोगों को ही महत्वपूर्ण पदों पर मंडलों और मुख्यालयों में पोस्ट किया जा रहा है।

यही हाल ग्रुप-बी अधिकारियों में भी है। उनमें जितने कर्मठ और योग्य हैं, वे हासिये पर हैं और जो भयंकर कदाचारी, लुटेरे और सेवादार हैं, वे महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं। उनमें कोई एक बार भी स्टेशन डायरेक्टर (#SD) नहीं बनता है, और कुछेक अपनी अति-विशिष्ट योग्यता के कारण 3/4, साल निर्बाध रूप से अपने साम्राज्य को चलाने की छूट पा लेने के बाद दुबारा-तिबारा फिर #SD बनाए जा रहे हैं।

इस तरह के माहौल में निराशा और आक्रोश पैदा होता है, किसी भी #Organization के लिए यह शुभ स्थिति नहीं होती है।

#RailSamachar बार-बार इसीलिए पूरी निष्पक्षता और न्यायपूर्ण पारदर्शिता के साथ #Periodical ट्रांसफर और #Rotational पोस्टिंग्स करने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाता रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर रेलवे के ट्रैफिक/कमर्शियल के कई प्रमोटी ऑफिसर, जैसे- Ashok Kumar, DyCCM, Devi Singh, DyCCM/Res, Minu Chopra, DyCCM, Navin Rawat, Secy/PCCM, Navika, SCM/Claims, Jyoti Bajetha, DyCCM/Claims हैं, जिन्होंने क्लास 3 से लेकर आजतक कभी दिल्ली छोड़ा ही नहीं। जानकारों का कहना है कि इन लोगों का दिल्ली से बाहर ट्रांसफर करने की हिम्मत भी कोई नहीं कर सकता है। ये लोग भी All India Delhi Service (#AIDS) वाले ही हैं।

उनका कहना है कि इसमें भी दो सबसे बड़े भ्रष्ट SD/NZM इरशाद अहमद और SD/DLI संजय घोष का नाम सबसे बड़ा है। वस्तुतः निजामुद्दीन, पुरानी दिल्ली और नई दिल्ली स्टेशन पर जो लोग भी स्टेशन डायरेक्टर (#SD) पद पर काम किए हैं उनकी कमाई और कृत्यों की जाँच #ED और #CBI ही कर सकती हैं, तभी यहाँ पर #SD की फर्जी पोस्ट पर जो फर्जीवाड़ा हो रहा है उसकी पोल खुलेगी।

उन्होंने बताया कि एक और शातिर #AIDS अजय नवलखा भी है, जो पूरे करिअर में मात्र 2/3 महीने ही दिल्ली से बाहर रहा है, दिल्ली में इसका अच्छा खासा धंधा बताया जाता है। अपने को रेलवे का बड़ा अधिकारी बताकर दिल्ली के बड़े-बड़े व्यावसाईयों/व्यापारियों और ऊपरी सर्कल में इसने अपनी पैठ बना रखी है।

जानकारों का कहना है कि #Railway के दलालों पर नवलखा का बड़ा वर्चस्व बताया गया है। बताते हैं कि अजय नवलखा अभी-भी #IRCA का जनरल सेक्रेटरी है, जिसे रेल मंत्रालय द्वारा कागज पर बहुत पहले बंद कर दिया गया था! इसको जारी रखने में किसका हितसाधन हो रहा है, यह जाँच का विषय है!

यहाँ कोई देखने वाला नहीं है, इसलिए जो काम करने वाले ग्रुप-बी अधिकारी हैं वे तो उठाकर दूसरे जोनों में फेंक दिए जा रहे हैं बिना किसी कारण के, क्योंकि यह कोई पूछने वाला नहीं है कि यही क्यों? क्या यह सबसे सीनियर था? या सबसे जूनियर? या सबसे निकम्मा? या इस पर कोई अनुशासनिक कार्यवाही हुई है, या कोई कार्रवाई अनुशंसित है? या फिर यह सबसे लंबे समय से उस पोस्ट अथवा उस स्थान पर पदस्थ था? आदि आदि! यह सारे तथ्य किसी भी न्यायपूर्ण अधिकारी द्वारा कोई अंतिम निर्णय करने से पहले देखे जाने चाहिए। क्या इन गंभीर सवालों पर रेलमंत्री और बोर्ड मेंबर भीरतापूर्वक विचार करेंगे!

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