October 18, 2022

रेलमंत्री जी! प्रधानमंत्री और आपके स्वच्छ प्रशासन का सपना ‘खान मार्केट गैंग’ पूरा होने नहीं देगा!

आदरणीय रेलमंत्री महोदय,
सादर नमस्कार !

आपके बोल्ड निर्णयों के हम प्रशंसक रहे हैं, और अब आपने एक और कारण दे दिया आपको साधुवाद देने का!

#RailSamachar और #Railwhispers, हम तथाकथित ‘ब्रेकिंग न्यूज’ विधा में नहीं विश्वास रखते हैं मंत्री जी। हमें यह समझ है कि बड़े सरकारी तंत्र की अपनी विवशताएं और सीमाएं होती हैं। इसीलिए जब भी कोई गलत बात पता चली, तो सबसे पहले सम्बंधित उच्च अधिकारी को सूचित करने और उन्हें उसका हल निकालने का पर्याप्त समय देने में विश्वास किया जाता रहा है।

आपके कार्यालय को भी पिछले 10-11 महीनों में समय-समय पर कई बार सूचित किया गया कि कहां गड़बड़ हो रही है, कहां गलत आदेश हो रहे हैं, और कहां क्या गलत संदेश जा रहा है, कहां आपके कार्यालय की छवि धूमिल हो रही है – आप चाहें तो पता कर सकते हैं।

आपके द्वारा वंदेभारत प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करना और उसकी टीम को अभय देना आपकी इन्टेंशन स्पष्ट करता है। आप अरुण कुमार सक्सेना जैसे कर्मठ और ईमानदार अधिकारी को लाए – यह भी आपके विचारों की स्पष्टता बताता है कि आप टैलेंट, कंटेंट, कर्मठता और निष्ठा के मिश्रण को पसंद करते हैं।

जब बार-बार बताने का प्रभाव नहीं पड़ता तो लिख कर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास रहता है, क्योंकि रेल प्रधानमंत्री के विजन का कितना बड़ा भाग है, यह सब जानते हैं। प्रधानमंत्री ने तो कुरुक्षेत्र में रेल शिविर को भी सम्बोधित किया था, जहां उन्होंने स्वयं रेल अधिकारियों और कर्मचारियों से सीधा संवाद करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया था।

हम यह भी जानते हैं कि किस तरह देश के लेफ्ट लिबरल वामपंथी ईको-सिस्टम वाले “खान मार्केट गैंग” के सदस्य उन्हें डिरेल करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। प्रधानमंत्री को इसरो के चीफ को गले लगाकर उन्हें प्रोत्साहित करते देख हमने भी स्वयं को काफी उत्साहित महसूस किया था। यही कारण है कि इस देश के करोड़ों लोग प्रधानमंत्री को अपने मिशन में सफल होते देखना चाहते हैं।

यही कारण रहा कि भुवन सोरेन के हस्तक्षेप के प्रति हमने आपसे पहले रेलमंत्री रहे पीयूष गोयल को भी चेताने का बहुत प्रयास किया था। लेकिन उन्होंने जब माना तब उनका नुकसान हो चुका था। रेल पीएसयू की समस्याओं में कहीं सोरेन और उनके उस साथी का नाम प्रमुख रहा, जिसे आपने बोर्ड से निकाल बाहर किया, लेकिन सलाहकार महोदय की अपरिपक्वता से आपको इसकी आलोचना मिली। वह आपके कार्यालय से जुड़े रहने की पावर चाहते हैं, लेकिन टेंडर्स के मामलों में हस्तक्षेप से अपने आपको आदतन रोक नहीं पाते।

आपके कार्यालय को भी हमने कई बार संवाद कर चेताया। लेकिन यह महसूस हुआ कि ये इनपुट आप तक नहीं पहुंच रहा है।

लालू के सुधीर और आपके सुधीर में यह अंतर विशेष रूप से रहा कि उन्हें रेल के उच्च अधिकारियों के साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं थी – उनके पास रीढ़ वाले अफसर थे, तथापि वह सुधीर उन सब से काम करवा लेते थे। वहीं कभी आपने सोचा कि आपके सलाहकार महोदय तभी काम कर सकते हैं जब पूरा रेलवे बोर्ड खाली हो, सब ओर लुक ऑफ्टर अरेंजमेंट हो! ऐसे में जब गलतियां होंगी, तो उनसे आपकी छवि को भी तो धक्का लगेगा। सलाहकार महोदय के न तो कहीं हस्ताक्षर हैं, न ही उनके कार्यक्षेत्र का कोई ऑफिस ऑर्डर! ऐसा कैसा सलाहकार कि जिसने आपकी छवि के बारे में कभी नहीं सोचा?

आपको साधुवाद कि आपने SOS में दी गई अर्जेंट अपील को सुना और सर्दियां शुरू होने से पहले 20 डीआरएम के आदेश तुरंत निकालने का आदेश दिया। ये उचित है कि जब तक नए नियम न बनें, पुराने नियम, जिससे काम हो रहा है, उन्हें ही प्रयोग में लाया जाए। परंतु इस बहाने एक साल का कीमती समय जाया करके जो आर्डर किए गए, उनमें एजेंडा सलाहकार महोदय का फॉलो हुआ, और आलोचना के भागीदार आप बने! हम हमेशा मेरिट के पक्षधर रहे हैं और हर बार 52 साल की लिमिट पर सवाल किया है। आशा है सही समय पर आप इसे भी इम्प्लीमेंट करेंगे।

आपने एक बहुत बड़े रोलिंग स्टॉक टेंडर पर हमारी अपील पर विचार किया – धन्यवाद! एक्स्पर्ट केवल वह नहीं, जो रेलवे बोर्ड में लम्बे समय से बैठे हैं – एक्स्पर्ट्स बुलवाएं, आपको पता चलेगा कि कैसे आपको गलत सलाह दी जा रही है!

आपने इस खान मार्केट गैंग द्वारा नियम विरूद्ध किए सीवीओ/आरडीएसओ पर तुरंत विचार करते हुए ठीक किया – ये दर्शाता है कि कैसे आपसे तथ्य छिपाए गए – आपकी जानकारी में आते ही आपने कार्यवाही कर अपने विश्वास से हो रहे कपट को पहचाना। पूरा सिस्टम आज इस आदेश पर उठाए गए इस बोल्ड स्टेप पर आपको साधुवाद दे रहा है।

आपसे निवेदन है कि इन छुपे हुए खान मार्केट वालों को आप तभी पहचान पाएंगे जब आप पांच साल से अधिक रेलवे बोर्ड में बैठे अधिकारियों की लिस्ट मंगवाएंगे। आप पाएंगे कि कई तो वहां 10-15-20 साल वाले भी हैं।

इसे भी SOS समझें कि रेलवे बोर्ड में कोई सिविल इंजीनियर नहीं है। ये गलती न करें, जल्द से जल्द सिविल विभाग पर ध्यान दें। स्लीपर्स की खरीद में विकेंद्रीयकरण एक और ऐसी भूल है जिसका भयावह परिणाम 2024 तक आपको दिखेगा, और तब आप कुछ नहीं कर पाएंगे। यह प्रधानमंत्री का ‘इकॉनमी ऑफ स्केल’ के कॉन्सेप्ट से मेल नहीं खाता। हां, जिनको आपने मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर का चार्ज दिया है, उन्हें तो अच्छा है कि निर्णय नहीं लेना पड़ेगा और जब तक नुकसान दिखेगा तब तक वह रिटायर हो चुके होंगे। यह भी बात होती रही है बोर्ड में कि आप स्वयं उनको एफिसियंट नहीं मानते हैं। लेकिन ऐसे भीरु और बिना रीढ़ वाले ही आपके सलाहकार को अच्छे लगते हैं कि उनसे कोई सवाल नहीं होगा – बोर्ड सदस्यों की तरफ से!

आईआरएफसी, एनएचआरसीएल की समस्याओं से तो आपको लग ही गया होगा कि आपको इनपुट रेल से अलग किसी और एजेंसी से लेना चाहिए!

इसे भी निवेदन समझें कि आप अपनी कोर टीम का पुनर्गठन करें, नियम स्पष्ट हैं। जिन्हें सीईओ के कार्यालय से अलग कर दिया था, उन्हें वापस लाएं, तुरंत रेल से बाहर की एजेंसी से महाप्रबंधकों के बारे में इनपुट लेकर बोर्ड का पुनर्गठन करें – इस बोर्ड को निर्देशित करें कि रोटेशन करते हुए मुख्य कार्य स्थलों में मेरिट और इंटीग्रिटी का सिद्धांत लागू करते हुए तुरंत सभी स्तरों पर प्रशासन और प्रबंधन में यथोचित परिवर्तन लाया जाए।

आज बोर्ड की विश्वसनीयता इसी पर खत्म हो गई है, क्योंकि चार में से तीन बोर्ड सदस्य वह हैं जो महाप्रबंधक नहीं रहे और महाप्रबंधकों के ऊपर बैठा दिए गए हैं। आज प्रॉपर सदस्य और महाप्रबंधक इसीलिए नहीं आ पा रहे, क्योंकि वे आपको सही सलाह देंगे और इस तरह की गलतियां, जो पीयूष गोयल से करवाई गईं, वह आपसे नहीं होंगी। हां, सलाहकार के रूप में बैठे सेवानिवृत्त अधिकारी का ईगो आहत अवश्य होगा, लेकिन प्रधानमंत्री और आपके स्वच्छ प्रशासन का सपना यह ‘खान मार्केट गैंग’ नहीं पूरा होने देगा, यह बात सही है। अतः हमारी आपसे जो गुहार है उसकी स्वतंत्र जांच करवाएं। यही पूरे रेल तंत्र के लिए बेहतर होगा!

धन्यवाद!
सुरेश त्रिपाठी, संपादक
www.railsamachar.com
www.railwhispers.com

#AshwiniVaishnaw #RailMinister #RailMinIndia #IndianRailways #PMOIndia #NarendraModi #SOS