मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग और ध्यान का नियमित अभ्यास करें रेल कर्मचारी -वी. के. त्रिपाठी, सीआरबी
रेलकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी अब काम करेगा एआईआरएफ
एआईआरएफ द्वारा टी. एन. वाजपेई हाल, नई दिल्ली में किया गया रेलकर्मियों के लिए वेल बीइंग सेमिनार का आयोजन
नई दिल्ली: ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) भारतीय रेल के कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर न केवल चिंतित है, बल्कि आईटीएफ के साथ मिलकर रेलकर्मियों को पूरी तरह स्वस्थ रखने का बीडा भी उठाया है। इसके लिए एआईआरएफ द्वारा देश भर में एक खास ट्रेनिंग के जरिए 125 फर्स्ट रिस्पांडर तैयार किए गए हैं, जो कर्मचारियों के साथ उनके तनाव के कारणों को तो तलाशेंगे, साथ ही उन्हें मानसिक स्वास्थ्य काउंसलर तक पहुंचाने में भी मदद करेंगे।
इस अवसर पर एआईआरएफ ने 6 से 7 सितंबर 2022 तक एक राष्ट्रीय वेल बीइंग सेमिनार का आयोजन टीएन वाजपेयी सभागार नई दिल्ली में आयोजित किया।
वेल बीइंग कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी. के. त्रिपाठी ने कहाकि दवा तो ठीक है, परंतु रेलकर्मियों को स्वयं भी तनाव के कारणों पर विचार करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें तनाव के कारणों को पहले ही समाप्त करने पर भी विचार करना आवश्यक है। इसके लिए रेलकर्मियों को योग और ध्यान का नियमित अभ्यास करना चाहिए।
एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि मेरा मानना है कि रेलकर्मचारी का काम बहुत ही संवेदनशील है, ऐसे में अगर वह किसी तरह भी तनाव में रहेगा तो निश्चित ही इसका प्रभाव उसके काम पर भी पड़ेगा।
एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज जब रेल कर्मचारी काम पर जाता है तो काफी खुशी मन से जाता है लेकिन वापस आता है तो वो चिड़चिड़ा सा रहता है। ऐसे में हो सकता है कि वह काम के घंटे या फिर कार्यस्थल की दिक्कतों से परेशान हो।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जब रेल कर्मचारी ट्रेन लेकर जाया करते थे, उस समय उनका पूरा परिवार परेशान रहता था। वैसे भी उस दौरान आए दिन बुरी खबरें मिला करतीं थी। ऐसे में न सिर्फ रेलकर्मचारी बल्कि पूरा परिवार तनाव में रहता था। कई जगह तो आत्महत्या जैसी भी घटनाएं हुई हैं।
यही कारण है कि एआईआरएफ ने तय किया है कि वह अब कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी काम करेगा। उन्होंने कहा कि हमने देश को चार हिस्सों में बांटकर खास प्रशिक्षण के द्वारा 125 फर्स्ट रिस्पांडर तैयार किए हैं। अब उनके जरिए हम तनाव में रहने वाले हर रेलकर्मचारी तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। इसके लिए जल्दी ही एक टोल फ्री नंबर की शुरुआत भी की जाएगी जिसके जरिए भी हम सीधे कर्मचारियों और उनके परिवार की काउंसलिँग कर सकेंगे।
आईटीएफ में वेल बीइंग कार्यक्रम के कोआर्डिनेटर डॉ सैय्यद आसिफ अलताफ ने अपने तमाम अनुभवों को शेयर करते हुए मानसिक स्वास्थ्य पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आप शारीरिक रुप से कितने भी स्वस्थ रहें, कितनी भी सुविधाएं हों, वर्किग कंडीशन भी अच्छी हो, लेकिन अगर आप मानसिक रुप से स्वस्थ नहीं हैं तो इसका बुरा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि यह समस्या केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में देखने को मिलती है। एआईआरएफ ने इस मसले को गंभीरता से लिया है, यह बहुत अच्छी बात है।
आईटीएफ की लीजा हजारिका, जिन्होंने फर्स्ट रिस्पांडर तैयार करने में एआईआरएफ की पूरी मदद की, ने कहा कि जब तक हम अपने समस्याओं को स्वीकार नहीं करेंगे, इस समस्या का निदान संभव नहीं होगा। मानसिक स्वास्थ्य की समस्या जल्दी हमें समझ नहीं आती है। जब तक हम इसके लिए तैयार होते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। अच्छी बात ये है कि इस पर आज एआईआरएफ न केवल चर्चा कर रहा है, बल्कि काम करने को भी तैयार है।
रेलवे बोर्ड में डीजी आरएचएस डॉ प्रसन्न कुमार ने कहा कि मैं कई जगह रहा हूं, ऐसा प्रयास मैं पहली बार देख रहा हूं। यह सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि सच्चाई ये है कि आज 20 प्रतिशत जनसंख्या इस बीमारी से प्रभावित है। ऐसे में इसकी पहचान और उचित काउंसलिंग की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फर्स्ट रिस्पांडर के फीडबैक के आधार पर हम भी इस दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे।
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने कहा कि चूंकि बड़ी संख्या में रेलकर्मचारी संरक्षा से जुड़े कार्य करते हैं, खासतौर पर रनिंग के कर्मचारी, ऐसे में उनका तनाव स्वाभाविक लगता है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस कार्यक्रम के जरिए ऐसे कर्मचारियों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एआईआरएफ के अध्यक्ष डॉ एन कन्हैया ने की। उन्होंने कहा कि फेडरेशन ने इस कार्यक्रम को एक चैंलेंज के रुप मे स्वीकार किया है। हम सभी इसे सफल बनाने के लिए पूरी ताकत से लगेंगे।
कार्यक्रम को कार्यकारी अध्यक्ष जेआर भोसले, कोषाध्यक्ष शंकरराव ने भी संबोधित किया। वेल बीइंग कार्यक्रम में मुख्य रुप से पीईडी दीपक पीटर, सीएमडी सुगंधा राहा, डॉ आशीष सीनियर डीएमओ बीएन तिवारी, पीसीपीओ प्रमिला एच भार्गव, जोन के महामंत्री मुकेश गालव, मुकेश माथुर, पी. के. पाटसानी, आशीष विश्वास, अमित घोष, महिला कन्वेनर प्रवीना सिंह, यूथ कोऑर्डिनेटर प्रीति सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन में एनआरएमयू दिल्ली मंडल का विशेष योगदान रहा।
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