ट्रेनों को अनधिकृत वेंडरों से मुक्त कराया जाए!
देश में जितने भी गैरकानूनी, अवैध, अनधिकृत कारोबार चल रहे हैं, गतिविधियां हो रही हैं, उन सब के लिए प्रशासनिक दायित्व हीनता, लापरवाही और राजनीतिक संरक्षण, वरदहस्त एवं हस्तक्षेप जिम्मेदार है!
अहमदाबाद: जोनल रेलवे यूजर्स कंसल्टेटिव कमेटी, पश्चिम रेलवे के सदस्य योगेश मिश्रा एवं किंजन पटेल ने 12 अप्रैल 2022 को महाप्रबंधक, पश्चिम रेलवे को एक लिखित निवेदन भेजकर उनसे आग्रह किया है कि यात्री ट्रेनों/प्लेटफॉर्मों को अनधिकृत वेंडरों से मुक्त कराया जाए और इस भीषण गर्मी में यात्रियों को निर्धारित उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री तथा पीने का पानी उपलब्ध कराया जाए।
उन्होंने महाप्रबंधक को विदित कराते हुए लिखा है कि गर्मी की छुट्टियां विद्यालयों में परीक्षा पूर्ण होने से, वैवाहिक प्रसंगों, धार्मिक स्थलों पर जाने हेतु यात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है। ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। ऐसे में ट्रेनों में अनधिकृत वेंडरों की भरमार हो गई है।
उन्होंने कहा है कि ट्रेनों, प्लेटफार्मों और स्टेशन परिसरों में अवैध वेंडिंग के खिलाफ रेल प्रशासन द्वारा चलाई जाने वाली हर मुहिम लगभग फेल ही साबित होती है।
उनका कहना है कि यात्रियों को अवैध रूप से सामान बेचकर मोटी कमाई वाला अनधिकृत वेंडरों का कारोबार साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। यहां तक कि वीवीआईपी ट्रेनों में भी अवैध वेंडरों का गिरोह सक्रिय है।
उन्होंने लिखा है कि सभी छोटे-बड़े स्टेशनों और दर्जनों ट्रेनों में अनधिकृत वेंडर घूम-घूमकर मानकों के उलट, सस्ती चीजें महंगे दामों पर बेच रहे हैं। वेंडरों की कमाई इतनी ज्यादा है कि पकड़े जाने पर जुर्माना देने से भी परहेज नहीं करते।
उन्होंने कहा कि पश्चिम रेलवे की सभी यात्री ट्रेनों में अनधिकृत वेंडरों द्वारा अधिक कीमत पर निम्न गुणवत्ता की खाद्य सामग्री और रेलनीर के अतिरिक्त अवैध पानी की बोतलें खुलेआम बेची जाती हैं। जिसकी कोई रसीद नही होती, वस्तुओं पर प्रोडक्शन, पैकेजिंग की तिथि तथा वजन नहीं लिखा होता, वैधता तिथि का भी उल्लेख नहीं होता।
अंत में उन्होंने कहा कि इस तरह यात्रियों के स्वास्थ्य एवं पैसे के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यात्रियों के हित में उत्तरदाई रेलवे के सभी विभागों और अधिकारियों द्वारा शीघ्र अनधिकृत वेंडरों को रोकने का सामूहिक प्रयास किया जाए।
यह वस्तुस्थिति है जिसका उल्लेख उपरोक्त दोनों जागरूक एवं यात्री हितैषी व्यक्तियों द्वारा किया गया है। जबकि सच यह भी है कि रेल प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद भारतीय रेल की कोई भी ट्रेन अवैध अनधिकृत वेंडर्स से मुक्त नहीं है। इसके दो ही कारण प्रमुख हैं – एक, देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, और दो – आरपीएफ/जीआरपी के द्वारा इसके उन्मूलन के लिए दायित्वपूर्ण प्रयास नहीं किया जाना! देश में जितने भी गैरकानूनी, अवैध, अनधिकृत कारोबार चल रहे हैं, गतिविधियां हो रही हैं, उन सब के लिए प्रशासनिक दायित्व हीनता, लापरवाही और राजनीतिक संरक्षण, वरदहस्त एवं हस्तक्षेप जिम्मेदार है।