April 1, 2022

कार्यवाही का जूरिडिक्शन!

राज्य एसीबी अगर इस तरह काम करने लगी, तो केंद्र सरकार के लोगों का काम करना मुश्किल हो जाएगा! कोटा का उदाहरण एक बहुत ही गलत परंपरा की निशानी है, जो आने वाले समय में और बड़े संगठित भ्रष्टाचार का सबब बनेगा!

सुरेश त्रिपाठी

रेल मंत्रालय अर्थात केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को यह स्थिति तुरंत स्पष्ट करनी चाहिए कि केंद्र सरकार के दो कर्मचारियों से जुड़े भ्रष्टाचार के किसी मामले में क्या स्टेट एसीबी की वैसी भूमिका बनती है, जैसी कि गुरुवार, 31 मार्च 2022 को एसीबी की भरतपुर शाखा द्वारा केंद्र सरकार के मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, कोटा में की गई है?

यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि स्टेट एसीबी द्वारा केंद्र सरकार के जूरिडिक्शन में घुसकर कार्रवाई की गई है, जहां शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों ही केंद्र सरकार के कर्मचारी और अधिकारी हैं। स्टेट एसीबी की इस कार्रवाई ने रेल महकमे में एक दहशत पैदा कर दी है। इस परिप्रेक्ष्य में अधिकांश अधिकारियों का मानना है कि इस तरह तो उनका काम करना अत्यंत मुश्किल हो जाएगा।

उनका कहना है कि इस तरह के मामले में अगर केंद्र सरकार के कर्मचारी ने केंद्र सरकार के ही अधिकारी के विरुद्ध शिकायत की थी, और अगर राज्य की एसीबी को मामला सही लगा था, तो उसे इस बात को सीबीआई को बताते हुए सीबीआई से त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया जाता और सीबीआई से ही कार्यवाही कराई जाती, या फिर सीबीआई को साथ लेकर इस कार्यवाही को अंजाम दिया जाता।

उन्होंने यह भी कहा कि वैसे भी कोई कर्मचारी जिसे आरोप पत्र (चार्जशीट) मिलता है, और अगर वह समझता है कि वह सही है, तो इतना व्यग्र नहीं होता है कि सीधे पैसे देने की सोचने लगे, क्योंकि उसे भी पता होता है कि अनुशासनिक अधिकारी (डीए) किस तरह के मामले में अधिकतम कितना दंड दे सकता है। और बहुत ज्यादा अन्याय होने पर भी रेलवे में आमतौर पर इस तरह के केस रिविजन में जब अपीलेट अथॉरिटी (एडीआरएम) के पास जाते हैं, तो दंड काफी कम कर दिया जाता है, या पूरी तरह खत्म कर दिया जाता है, जब तक कि आरोपित कर्मचारी महादुष्ट न हो अथवा आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति का न हो।

उन्होंने कहा कि अगर इस तरह राज्य की एसीबी काम करने लगी तो केंद्र सरकार के लोगों का काम करना मुश्किल हो जाएगा। यहां पर इनमें से कौन गलत, या सही है, यह महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह उदाहरण एक बहुत ही गलत परंपरा की निशानी है, जो आने वाले समय में और बड़े संगठित भ्रष्टाचार, अन्याय, अत्याचार और प्रताड़ना का सबब बनेगा।

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