पूर्वोत्तर रेलवे: फेमिली पेंशन की दावेदार महिलाओं का लेखा विभाग द्वारा उत्पीड़न
“अतिरिक्त भुगतान” की पहले रिकवरी के बहाने दावेदार महिलाओं को जारी नहीं की जा रही कई साल से फेमिली पेंशन
गोरखपुर ब्यूरो: पूर्वोत्तर रेलवे के लेखा विभाग द्वारा विधवा, तलाकशुदा और अविवाहित पुत्रियों की पारिवारिक पेंशन जारी करने के संबंध में अतिरिक्त भुगतान (#Excess_Payment) तथा पेंशन प्रपत्र बैंक से प्राप्त न होने का हवाला देकर फेमिली पेंशन जारी करने में नियम विरुद्ध जानबूझकर अनावश्यक विलंब किया जा रहा है।
इस संबंध में रेलवे बोर्ड का ऐसा कोई नियम नहीं है, कम से कम #RailSamachar के संज्ञान में अब तक रेलवे बोर्ड का ऐसा कोई प्रपत्र नहीं आया है, जिसमें यह कहा गया हो कि “मृतक माँ-बाप को बैंक अथवा लेखा विभाग की गलती से दिए गए ‘अतिरिक्त भुगतान’ की कटौती किए बिना पारिवारिक पेंशन नहीं दी जा सकती।”
ध्यान देने वाली बात यह है कि केवल पूर्वोत्तर रेलवे में ही ऐसा हो रहा है, जहां ऐसे मामले कई सालों से लटके हुए हैं। जबकि ज्यादातर मामलों में दावेदारों ने समय रहते बैंकों को सूचित कर दिया था। इन मामलों में बैंकों की गलती है, या लेखाधिकारियों की, जिन्होंने भुगतान को रोका नहीं। यह तय करना रेल प्रशासन का काम है।
जब हर साल पेंशन भोगियों को अपना जीवित प्रमाण-पत्र बैंकों को देना पड़ता है, और उनके न रहने पर उनके वारिसों द्वारा तत्काल बैंकों और रेलवे को सूचित किया जाता है, तब यह गलती किसकी है? यह सुनिश्चित करना भी रेल प्रशासन का काम है। तथापि गलती जिस किसी की भी हो, फेमिली पेंशन को किसी भी कारण या बहाने से नहीं रोका जा सकता है। जबकि पूर्वोत्तर रेलवे में इस बहाने दावेदार महिलाओं को न केवल प्रताड़ित होना पड़ रहा है, बल्कि वे बारगेनिंग और ब्लैकमेलिंग का भी शिकार हो रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा दिया है, जबकि पूर्वोत्तर रेलवे के लेखा विभाग द्वारा उनकी भावनाओं की अनदेखी करते हुए बेटियों को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। इस संदर्भ में रेलवे बोर्ड को अविलंब संज्ञान लेते हुए संबंधित लेखा अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए और दावेदार महिलाओं को अविलंब फेमिली पेंशन जारी करने की व्यवस्था करनी चाहिए।
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