January 27, 2022

चुनाव के समय ही सुर्खियों में आती है सरकारी भर्तियों की चर्चा!

कमेटी की बात से याद आया कि रेलमंत्री को भी याद दिला दूं कि वह ट्विटर पर लोगों की टिप्पणियां जरा ध्यान से पढ़ लें, सब समझ में आ जाएगा!

यद्यपि बड़े-बड़े वायदे किए गए थे रेल में भर्ती के। बड़े गाजे-बाजे के साथ प्रचारित किया गया था कि रेलवे में रिक्तियों की संख्या बढ़ा दी गई थी। 70 साल में पहली बार चतुर्थ श्रेणी अर्थात क्लास-4 की रिक्तियों के विज्ञापन के साथ प्रधानमंत्री जी का उल्हासमय छवि वाला रंगीन चित्र भी चस्पा था।

धीरे-धीरे समय बीतता गया। पहले कहा गया कि लाखों आवेदन आए हैं उनकी छँटाई का काम चल रहा है, छंटनी में टाइम लग रहा है। फिर पता चला एक अघोषित पद समाप्ति की प्रक्रिया चल रही है। अत: विज्ञापन में जितने पद थे, उससे कहीं अधिक पद समाप्त कर दिए गए।

वेतन आयोग की सिफारिशों को काट-छाँटकर लुंज-पुंज कर दिया गया, और आगे कोई वेतन आयोग गठित नहीं होगा, यह घोषणा भी कर दी गई।

रेलवे की यूनियनों के नेता अपने निहितस्वार्थ के चलते खींसें निपोरते यह सब देखते रहे। उन्हें डर था कि विरोध करने पर उनकी छुट्टी कर दी जाएगी। सिर्फ एक लाइन का ऑर्डर जारी करना है, “तुरंत प्रभाव से सेवानिवृत्त कर्मचारी यूनियन का हिस्सा नहीं होंगे!”

बरसों-बरस क्लास-4 की अप्लीकेशन छँटाई का काम चलता रहा। जाहिर तौर पर यही बताया गया। परंतु अंदरखाने आरआरबी के सभी कर्मचारी मक्खी मार रहे थे, क्योंकि भर्ती बंद थी। धीरे-धीरे सभी आरआरबी में ताला लगाने की नौबत आ गई है।

अब तो सुना है ऑफिशियली सभी आरआरबी ताला लगने जा रहा है, कारण कि एक राष्ट्रीय भर्ती आयोग के गठन की घोषणा हो गई। सालों बाद भी क्या वह गठित हो गया? वह बात आप क्यूं पूछते हो जो बताने के काबिल नहीं। या फिर बताई नहीं जा सकती!

रेल भवन प्राय: समाप्त है। जितने भी लोग रिटायर हुए हैं, उनके पद भरे नहीं जा रहे, और कमरों को ताला लगाया जा रहा है। जल्द ही पूरा रेल भवन एक हाॅल नहीं, तो अधिक से अधिक बस एक फ्लोर पर सिमट जाएगा। वह भी रेल भवन में नहीं, बल्कि सेंट्रल विस्टा के किसी भवन में।

रेल भवन के कमरे सांसदों को बतौर ऑफिस आबंटित कर दिए जाने की योजना है, जहां वे देश हित के लिए जी-जान से काम करेंगे। अभी क्योंकि एक सुसज्जित ऑफिस तो है नहीं, इसलिए देशहित में वे अपना सर्वस्व नहीं लगा पाते, जिसके लिए वे सदैव आतुर हैं।

इधर चुनाव की नजदीकी देखते हुए भर्ती प्रक्रिया ने कुछ करवट ली, मगर दांव उल्टा पड़ गया, और विरोध के चलते अब कमेटी गठित किए जाने की बात हो रही है। कमेटी की बात से याद आया कि रेलमंत्री को भी याद दिला दूं कि वह ट्विटर पर लोगों की टिप्पणियां जरा ध्यान से पढ़ लें, सब समझ में आ जाएगा!

सो भैय्ये, अब एक सतत और शाश्वत प्रतीक्षा के लिए तैयार रहो, और खैर मनाओ कि ओवर क्वालीफाई तो हो ही, तब तक आप ओवर एज न हो जाओ। तब तक आप चाहो तो चाहो क्या? आप पर कोई विकल्प है भी कहां? आप अप्रेंटिसशिप करो, आज-कल हुनरमंदों में आपके हुनर के बड़े चर्चे हैं।

अतः यदि आप पकौड़े तलने से तंग आ गए हैं, या डायवर्सिफिकेशन चाहते हैं, तो वेल्डिंग करो। बकौल रेलमंत्री इसमें बड़ा मजा आता है। अब कोई देशद्रोही ही होगा, जिसे वेल्डिंग में मजा नहीं आएगा।

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी

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