December 27, 2021

केवल पॉलिसी चेंज करके ही नहीं, अधिकारियों की “चॉइस ट्रांसफर/पोस्टिंग” में भी रेलवे बोर्ड स्तर पर होता है भ्रष्टाचार

सुनीत शर्मा वैसे तो व्यवहारिक और मृदुभाषी अधिकारी हैं, मगर बतौर सीआरबी उन्होंने अपने पूरे एक साल के कार्यकाल में रेलवे के प्रशासनिक अथवा प्रबंधकीय सुधार का ऐसा एक भी काम नहीं किया जो उल्लेखनीय हो!

सुरेश त्रिपाठी

रेलवे बोर्ड स्तर पर भ्रष्टाचार केवल पॉलिसी चेंज करके ही नहीं होता, बल्कि अधिकारियों की ट्रांसफर/पोस्टिंग में भी खूब जमकर होता है। इसके दो ताजे उदाहरण यहां प्रस्तुत हैं –

पहला उदाहरण:

एक यांत्रिक अधिकारी, जिसका पहला ट्रांसफर मॉडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) से छह साल बाद पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर में किया गया, ने वहां जाने से रिफ्यूज (मना) कर दिया। उसका दूसरा ट्रांसफर आरडीएसओ में किया गया, वह वहां भी नहीं गया। तीसरी बार उसने दिल्ली में आरडीएसओ की पोस्टिंग मैनेज कर लिया!

यहां समझने वाली बात यह है कि आरडीएसओ में प्रत्येक पोस्टिंग के लिए सीआरबी की अप्रूवल (कंसेंट) लगती है। इस पोस्टिंग के संबंध में 25 नवंबर 2021 को रेलमंत्री को संबोधित एक व्हिसलब्लोअर का ईमेल #RailSamachar को मिला, जो इस प्रकार है –

“Dear Sri Ashwani Vaishnaw ji,

I am a whistleblower and want to bring certain misdeeds of Mr Suneet Sharma, who is chairman of Railway Board (Ministry of Railways). Sir, It is very surprising when high profile people like Sharma are involved in money earning by transfer and posting.

Recently, it has come to my notice that Mr Sharma has extracted “One Crore” for the posting of Mr … as ED/QA in RDSO at Delhi. He is in NF-HAG but was posted against the SAG post ignoring all terms and conditions of vacancy notification. When NF-HAG officer is to be preferred against SAG post then why it is advertised at all.What is the need of posting an NF-HAG officer, when the same work was being managed by a JAG rank officer? So, he will not have full tenure.

Earlier also, the officer concerned held some posts in QA in RDSO. Despite knowing all this CRB Mr Sharma favoured him. Earlier, also he has favoured him by giving lucrative posts in the Modern Coach Factory (MCF). The officer concerned has made enormous money from various postings in Railways.

Similarly, Railway Board advertised the post of EDME/Freight in SAG but filled with an officer who is about to get a principal head of department (PHOD) status on the secret money dealing done by CRB. It is a sheer waste of time and resources. Railway Board would have to conduct the selection again.

Again, ED/Vigilance of account in Railway Board was selected Mr Zaigham on the insistence of one of the MP of Gujrat, if post like vigilance are to be run by political people then how can Railway fraternity expect justice?

I am sending a blind copy to you so that I not targetted. Kindly get the checked all the facts and take necessary action against the Mr Suneet Sharma.”

उपरोक्त ईमेल में दिए गए तथ्य बहुत गंभीर हैं और विचारणीय भी। इस पर #RailSamachar ने जब फोन करके सीआरबी सुनीत शर्मा का पक्ष जानना चाहा, तो उन्होंने कहा कि “लोग कुछ भी लिखते रहते रहते हैं, वह इस सब पर कैसे ध्यान दे सकते हैं, उनके पास इन सब बेकार की बातों के लिए समय नहीं है।”

दूसरा उदाहरण:

दूसरा यांत्रिक अधिकारी, जो आरसीएफ कपूरथला में लगभग 7-8 साल रहा – हालांकि एक वरिष्ठ यांत्रिक अधिकारी के अनुसार 7-8 साल नहीं, पूरे 17 साल तक लगातार यह बंदा आरसीएफ में रहा – ने पहले तो आरसीएफ कपूरथला से सीधे एमसीएफ, रायबरेली में अपनी पोस्टिंग का जुगाड़ लगाना चाहा था। परंतु इसमें वह सफल नहीं हो पाया था।

रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि इसमें यह अधिकारी इसलिए सफल नहीं हो पाया था, क्योंकि छुट्टी पर गए मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक (एमटीआरएस) राहुल जैन इसके लिए तैयार नहीं थे। सूत्रों ने बताया कि श्री जैन का मानना था कि लगातार एक प्रोडक्शन यूनिट से दूसरी प्रोडक्शन यूनिट में अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं होना चाहिए, उन्हें ओपन लाइन में भी काम करना चाहिए, वरना आगे चलकर अर्थात ऊपर पहुंचकर वह प्रशासनिक तौर पर काम करने में सक्षम नहीं होंगे।

सूत्रों ने बताया कि इसके बाद श्री जैन ने इस यांत्रिक अधिकारी का ट्रांसफर पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर में उस जगह कर दिया था, जहां पहले वाले अधिकारी ने जाने से रिफ्यूज किया था। जहां यह मात्र डेढ़-दो महीने ही रहकर एमसीएफ में अपनी पोस्टिंग मैनेज करने में सफल हो गया!

बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि ऐसा इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि एमटीआरएस राहुल जैन छुट्टी पर हैं और एमटीआरएस का अतिरिक्त कार्यभार मेंबर इंफ्रा संजीव मित्तल संभाल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि चूंकि श्री मित्तल को इस सारी पूर्व जोड़-तोड़ की पृष्ठभूमि की जानकारी नहीं थी, इसलिए जैसा सीआरबी ने सुझाया, वैसा आर्डर उन्होंने जारी कर दिया।

इस पर #RailSamachar ने संजीव मित्तल से संपर्क करके उनका पक्ष जानने की कई बार कोशिश की, पर शायद अति-व्यस्तता के कारण उन्होंने एक भी कॉल रेस्पॉन्ड नहीं किया।

सुनीत शर्मा वैसे तो व्यवहारिक और मृदुभाषी अधिकारी हैं, मगर बतौर सीआरबी उन्होंने अपने पूरे एक साल के कार्यकाल में रेलवे के प्रशासनिक अथवा प्रबंधकीय सुधार का एक भी ऐसा काम नहीं किया जो उल्लेखनीय हो। जीएम पोस्टिंग में उन्होंने पूरे सात महीने का कीमती समय नष्ट किया। अप्रैल में होने वाली डीआरएम पोस्टिंग जुलाई में हो पाई। जबकि अक्टूबर में होने वाली दूसरी डीआरएम पोस्टिंग का अब तक अता-पता नहीं है। कैडर मर्जर और आईआरएमएस के नॉर्म्स आज तक तय नहीं हो पाए। 15-20-25 सालों से एक ही जगह एक ही शहर में जमे अधिकारियों को दर-बदर करने का उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया।

संवेदनशील पदों पर सालों से बैठे तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों को भी हटाने में वह सक्षम साबित नहीं हुए। सभी गाड़ियों का पूर्ववत संचालन भी शुरू नहीं करा पाए। रेलवे बोर्ड की बिगड़ी हुई प्रशासनिक व्यवस्था के सुधार में उनका कोई योगदान नजर नहीं आया। इस सब के विपरीत साल भर वह जो करते रहे, इस खबर – “Unethical changes in Policy, Procedural violation, Manipulation & Corruption at Railway Board level में वह सब पूरी तरह से एक्सपोज हो गया, जिसके लिए अब वह हर सक्षम अथॉरिटी के सामने स्वयं के बेकसूर होने की दुहाई देते हुए #RailSamachar पर कुछ भी लिख देने का दोषारोपण कर रहे हैं।

बहरहाल, उपरोक्त तमाम तथ्यों से स्पष्ट है कि रेलवे बोर्ड स्तर पर भ्रष्टाचार और जोड़-तोड़ केवल पॉलिसी चेंज करके ही नहीं होता, बल्कि अधिकारियों की “चॉइस ट्रांसफर/पोस्टिंग” में भी भरपूर मात्रा में होता है। इस पर भी रेलमंत्री को पर्याप्त ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा आवश्यकता इस बात की है कि अब अगला सीआरबी, सुनीत शर्मा जैसा अकर्मण्य और अक्षम तथा केवल व्यक्तिगत अथवा अपने दलालों, सप्लायरों के हित में निर्णय लेने वाला न हो, बल्कि रेलवे की उत्पादकता बढ़ाने वाला, परिणाम देने वाला, समय के अनुसार त्वरित निर्णय लेने वाला और कार्मिक कल्याण करने सहित कार्यवाही करने वाला निष्ठावान, कार्यक्षम अधिकारी होना चाहिए।