July 17, 2021

आक्रामक कंपनी ऑनर/ठेकेदार, कदाचारी रेल अधिकारी और रेल संरक्षा

Almost all Zones cancelled maximum trains' movement due to non available sufficient occupancy.

रेल अधिकारियों के भ्रष्टाचार और उनके द्वारा रेल संरक्षा के साथ किए जाने वाले समझौते का परिणाम!

लोको पायलट को जान से मारने की धमकी देने वाले कंपनी ऑनर का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल

सुरेश त्रिपाठी

एक कंपनी ऑनर की गाली-गलौजपूर्ण भाषा में एक लोको पायलट (#LP) को जान से मार देने की धमकी का ऑडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हो रहा है। यह घटना 29 जून को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, नागपुर मंडल के चिरईडोंगरी में रात को लगभग 22.18 बजे की घटित हुई।

कंपनी ऑनर लोको पायलट को लाइन नं.1 से गाड़ी को लाइन नं.2 पर लगाने को कह रहा है। जबकि लोको पायलट की ड्यूटी समाप्त हो चुकी है। वह उसे कह रहा है कि “यह बात उससे कहने का कोई औचित्य नहीं है। स्टेशन मास्टर से कहिए।”

इस पर कंपनी ऑनर उसे मां-बहन की गंदी-गंदी गालियां और जान से मारने की धमकी देने लगता है। जबकि लोको पायलट की ड्यूटी 10 घंटे से ज्यादा हो चुकी थी। उसे अपने मुख्यालय भी वापस जाना था। इसके अलावा वहां से वापस जाने का उसके पास कोई साधन भी नहीं था।

कंपनी ऑनर लोको पायलट को गालियां देते हुए आगे कहता है कि “दो नंबर लाइन पर गाड़ी लगाए बिना तुम गाड़ी से उतरकर बाहर आओ, तुम्हें जान से मार डालूंगा। डीसीएम से मेरी बात हो गई है। तुम काम करो, नहीं तो मैं गेट पर ही बैठा हूं, तुम कैसे जाते हो, मैं देखता हूं, अगर तुम काम पूरा किए बिना बाहर आए तो तुम्हें यहीं मारकर गाड़ दूंगा।”

अंततः लोको पायलट डर जाता है और अपनी जान की परवाह करते हुए वह गाड़ी को लाइन नं.2 पर लगाने के लिए तैयार हो जाता है, जब कंपनी ऑनर उसे अपनी व्यवस्था से उसके मुख्यालय नैनपुर पहुंचा देने की बात कहता है। इस तरह उससे वहां जबरदस्ती काम कराया जाता है।

यह एक अत्यंत गंभीर मामला है। 30 जून को संबंधित लोको पायलट (गुड्स) उमेश चंद्र, असिस्टेंट लोको पायलट घरडे और गुड्स गार्ड भगवान प्रसाद तिवारी ने वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता, परिचालन, नागपुर मंडल, द.पू.म.रे. को घटना की लिखित शिकायत की है।

लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट और गार्ड द्वारा की गई लिखित शिकायत

रेलकर्मियों में इस घटना से बहुत भयानक रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि “कुछ भ्रष्ट रेल अधिकारियों की कदाचारिता के कारण कंपनी ऑनर्स और ठेकेदारों के हौसले बहुत बुलंद हो गए हैं।”

उनका यह भी कहना है कि “यह रेल अधिकारियों के भ्रष्टाचार और उनके द्वारा रेल संरक्षा के साथ किए जाने वाले समझौते का परिणाम है। अगर रेल प्रशासन द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो निकट भविष्य में इसके परिणाम बहुत भयंकर हो सकते हैं।”

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