June 18, 2021

कोच पोजीशन में रेल अधिकारी थोड़ी तो उपयोग करें अपनी बुद्धिमत्ता

रेलवे को है केवल अपनी कमाई की चिंता, यात्रियों की कोई परवाह नहीं

गुरुवार, दि. 17.06.2021 को ट्रेन नं.  01079 लोकमान्य तिलक टर्मिनस से गोरखपुर के लिए चली स्पेशल ट्रेन में ए-1 कोच के यात्री लगातार ट्रेन कंडक्टर को शिकायत कर रहे हैं कि उनके कोच के साथ जुड़े जनरल कोच के यात्री उनका टॉयलेट गंदा कर रहे हैं, अतः दोनों कोचों के बीच खुला वेस्टिबुल बंद कराया जाए, क्योंकि इसके चलते न केवल एसी ए-1 कोच में बदबू आ रही है, बल्कि उनकी शांति भी भंग हो रही है और रेल की यह कोच व्यवस्था बिल्कुल गलत है।

गुरुवार को ए-1 कोच के यात्रियों की कोई सुनवाई ऑन बोर्ड ट्रेन स्टाफ ने नहीं की। ट्रेन में चल रहा कैटरिंग वेंडिंग स्टाफ बार-बार उक्त वेस्टिबुल को खोलकर अपना धंधा करता रहा। यात्रियों के मना करने पर उनका प्रतियुत्तर होता है कि “तुम्हारी शांति और कोच में होने वाली गंदगी के लिए हम अपना धंधा नहीं छोड़ सकते!”

शुक्रवार, 18.06.2021 की सुबह जब ट्रेन ललितपुर के आसपास पहुंच रही थी, तब फिर वही परिदृश्य उपस्थित हो गया जब वेंडिंग स्टाफ वेस्टिबुल खुला छोड़कर अपना धंधा करने गया, तो जनरल कोच के यात्री ए-1 कोच के टॉयलेट का उपयोग करके दोनों टॉयलेट पूरी तरह से गंदे कर चुके थे। इससे आई बदबू के चलते ए-1 कोच के गेट से लगे पहले कूपे में बर्थ नंबर एक से छह में बैठे सभी यात्री बिफर उठे।

कोच कंडक्टर (भोपाल मंडल स्टाफ) को बुलाया गया। वह उल्टे यात्रियों को ही यह कहकर समझाने लगा कि “कोच को यहां इसलिए लगाया गया है, क्योंकि स्टाफ कम है और इतने ही स्टाफ को ज्यादा से ज्यादा कैश/केस बनाने का दबाव रहता है। केस तो जनरल कोच में ही मिलते हैं।” अब स्टाफ की इस बेचारगी पर यात्री क्या कहें, क्योंकि यह उनकी समस्या नहीं है। तथापि कंडक्टर ने जो भी समझाया वह विषय अथवा यात्री समस्या से अलग था।

बहरहाल, कंडक्टर ने यह कहकर यात्रियों को शांत किया कि अब उक्त वेस्टिबुल नहीं खोला जाएगा। तथापि उपरोक्त यात्रियों ने कंडक्टर को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया पर रेल प्रशासन द्वारा की जाने वाली कोविड प्रोटोकॉल संबंधी बड़ी-बड़ी बातों का उल्लेख करके रेलवे की तमाम लानत-मलामत कर दी। यात्रियों ने यह भी कहा कि “इसी तरह की गतिविधियों के कारण रेलवे अपने स्थाई उपयोगकर्ताओं को गंवा रहा है। वह तो अब भविष्य में कभी रेल से यात्रा नहीं करेंगे।”

वास्तविकता यह है कि किसी भी ट्रेन में एसी कोचों को जनरल कोचों के साथ संलग्न नहीं किया जाता, और ऐसा लगभग अन्य सभी ट्रेनों में है भी, जिनमें सेकेंड एसी कोच के बाद थर्ड एसी, फिर स्लीपर, पैंट्री तथा बाकी कोचों की सीक्वेंस होती है। तथापि इस ट्रेन में एसी कोच, वह भी सेकेंड एसी कोच, को जनरल कोच के साथ अटैच किया गया है।

“अब यह बुद्धिमत्ता जिस किसी अधिकारी ने दर्शाई है, उसे पीयूष गोयल की जगह रेलमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जाना चाहिए, क्योंकि पीयूष गोयल की अपेक्षा उक्त अधिकारी ज्यादा तत्परता से रेलवे को बरबाद करेगा!” यह कहना था उपरोक्त रेलयात्रियों का।

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