June 17, 2021

मेडिकल इनवैलीडेशन: अक्षम रेलकर्मियों को मरने के लिए लावारिस छोड़ देता है रेल प्रशासन

Central Railway Head Quarters, Chhatrapati Shivaji Terminus, Mumbai.

ऐसे मामलों को सालों-साल लटकाकर अक्षम रेलकर्मियों को मरने के लिए अकेला छोड़ देना अत्यंत अमानवीय कृत्य है!

खबर है कि मध्य रेलवे में मेडिकल इनवैलीडेशन के बहुत से मामले लंबे समय से पेंडिंग हैं। इसके लिए प्रिंसिपल सीएमडी, मध्य रेलवे द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। यह पीसीएमडी की अकर्मण्यता है या लापरवाही? यह पूछ रहे हैं मेडिकली काम करने में अक्षम हो चुके रेलकर्मियों के तमाम परिजन।

बताते हैं कि पूरी भारतीय रेल में इस तरह के सैकड़ों-हजारों केस लंबित हैं। परिजनों के सामने उनके मरने की प्रतीक्षा करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।

उनका कहना है कि अपने एकमात्र कमाऊ व्यक्ति को मरते हुए देखना बहुत अमानवीय है, परंतु उनके सामने अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है। आर्थिक रूप से भी ऐसे सभी परिवार बुरी तरह टूट चुके हैं।

इस मामले में जानकारों का कहना है कि रेल प्रशासन को वैसे भी संबंधित रेलकर्मी के किसी न किसी परिजन को अनुकंपा नियुक्ति देनी है। ऐसे में अगर लंबे समय से असाध्य बीमारियों के चलते कर्मचारी काम करने में अक्षम और अयोग्य हो चुका है, तो मेडिकली इनवैलीड सर्टिफाई करके और उसके किसी परिजन को अनुकंपा नियुक्ति देकर उसके परिवार को आर्थिक रूप से कंगाल होने से बचाया जा सकता है।

उनका कहना है कि जब उनको नियमानुसार अनुकंपा नियुक्ति देनी ही है, तो रेलकर्मी के मरने का इंतजार किए बिना भी यह काम बहुत आसानी से और मानवता के आधार पर समय रहते किया जाना चाहिए।

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