June 16, 2021

रेलकर्मियों का सामूहिक बीमा: तीन दशक बाद भी कायम है विडंबनापूर्ण स्थिति

Almost all Zones cancelled maximum trains' movement due to non available sufficient occupancy.

वर्तमान समय में प्रत्येक केंद्रीय/रेल कर्मचारी का कम से कम एक करोड़ का सामूहिक बीमा होना चाहिए, ताकि उनकी समाजिक सुरक्षा का उद्देश्य वास्तव में पूरा हो सके!

1989 के दौर में CGEGIS की मद में केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन से ₹30 प्रति माह कटते थे और केंद्रीय/रेलकर्मियों को ₹30000 का सामूहिक बीमा मिला करता था।

तीन दशक बीत जाने के बाद आज 2021 में भी यही स्थिति लगातार बनी हुई है।

₹30000 तो महीने के बारहवें दिन से पहले ही खत्म हो जाते हैं। इस राशि से रेल कर्मचारियों के परिवारों की सामाजिक सुरक्षा सोचना कितना दयनीय है।

आज जहां एक तरफ ₹330 प्रति वर्ष के निवेश पर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना में 2 लाख का सामूहिक बीमा मिलता है, वहीं ₹360 के निवेश पर CGEGIS में ₹30000 की आर्थिक सुरक्षा। क्या विचित्र स्थिति है।

आज जब ढ़ेरों निजी और सरकारी बीमा कंपनियां बाजार में उपलब्ध हैं और रेलवे के लगभग 12 लाख कर्मचारी हैं, तो कोई भी बीमा कंपनी इतने बड़े समूह को बहुत कम प्रीमियम पर अच्छी बीमा राशि (Sum assured) का लाभ आसानी से दे सकती है।

और यदि CGEGIS की भांति सारे केंद्रीय कर्मचारियों का सामूहिक बीमा करवाया जाए, तो और भी कम प्रीमियम पर अधिक बीमा राशि का लाभ सभी रेल कर्मचारियों/केंद्रीय कर्मचारियों को मिल सकता है।

वर्तमान समय में प्रत्येक केंद्रीय कर्मचारी का कम से कम एक करोड़ का सामूहिक बीमा होना चाहिए, ताकि उनकी समाजिक सुरक्षा का उद्देश्य वास्तव में पूरा हो सके।

इस कदम से न केवल केंद्रीय कर्मचारी अपने परिवारों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त हो पाएंगे, बल्कि पारिवारिक सुरक्षा की मद पर व्यक्तिगत बीमा के मंहगे प्रीमियम की भी उनकी बचत हो सकती है।

ऐसा “रेल समाचार” का मानना है!

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