उ.म.रे.: इलेक्ट्रिक शेड में बदल रहा है झांसी डीजल शेड
झांसी डीजल लोको शेड ने राष्ट्र की सेवा में दिए हैं 46 गौरवशाली वर्ष
प्रयागराज ब्यूरो: भारतीय रेल को विश्व की प्रमुख हरित रेल बनाने के मिशन में उत्तर मध्य रेलवे अपने पूरे परिक्षेत्र का विद्युतीकरण करने की ओर अग्रसर है। इसी परिप्रेक्ष्य में झांसी स्थित डीजल लोको शेड को इलेक्ट्रिक लोको शेड में परिवर्तित करने की परिकल्पना की गई है।
भारतीय रेल द्वारा विद्युतीकरण में वृद्धि के साथ, जितनी संख्या में विद्युत इंजनों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है, उतनी ही संख्या में डीजल इंजनों को सेवा से हटाया जा रहा है। यह स्वाभाविक रूप से डीजल लोको शेड को इलेक्ट्रिक शेड में बदलने की आवश्यकता पैदा हो रही है।
डीजल लोको शेड झांसी उत्तर मध्य रेलवे का एकमात्र प्रमुख डीजल लोको शेड है, जो मेल/एक्सप्रेस, यात्री, माल और शंटिंग सेवाओं की यातायात आवश्यकताओं को पूरा करता है। झांसी डीजल लोको शेड ने राष्ट्र की सेवा में 46 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं।
वर्तमान में यह शेड 28 डब्ल्यूएजी-7 इलेक्ट्रिक लोको के अलावा 74 एल्को लोको, 13 शंटिंग लोको और 32 एचएचपी लोको का रखरखाव करता है।
यहां एक 140 टन बीडी क्रेन, दुर्घटना राहत ट्रेन और झांसी में तैनात दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन का अनुरक्षण भी किया जाता है। यह शेड रनिंग स्टाफ के लिए भी 100 प्रशिक्षुओं के लिए चार कक्षाओं और 80 बिस्तरों वाले छात्रावास के साथ एक कक्षा प्रशिक्षण प्रदान करता है।
डीजल से इलेक्ट्रिक में लोको शेड का रूपांतरण एक क्रमिक चरणबद्ध प्रक्रिया है, जिसकी शुरूआत पिछले साल जुलाई 2020 में पहले ही शुरू किया जा चुकी है। ओएचई परीक्षण सुविधा, परीक्षण शेड से ट्रिप शेड तक ओएचई बिछाने, पटरियों को ऊपर उठाने आदि जैसी अतिरिक्त सुविधाओं के प्रावधान के साथ तीन चरणों में रूपांतरण की योजना बनाई गई है।
परिकल्पना यह की गई है कि मार्च 2021 में 25 इलेक्ट्रिक इंजनों की तुलना में मार्च 2024 तक इस शेड की इलेक्ट्रिक लोको होल्डिंग क्षमता 100 तक बढ़ जाएगी। वर्तमान में डीजल इंजनों की होल्डिंग फ्रेट और कोचिंग सेवाओं के लिए क्रमशः 64 और 37 है, जो कि फ्रेट इंजनों के लिए घटकर 17 हो जाएगी। जबकि मार्च 2024 तक कोचिंग सेवाओं के लिए कोई डीजल लोकोमोटिव नहीं रहेगा। डीजल इंजन केवल शंटिंग के लिए और आपात स्थिति के लिए ही रहेंगे।
पीपीटी को एक वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रस्तुत करते हुए, उ.म.रे. के मुख्य मोटिव पावर इंजीनियर अनिल द्विवेदी ने बताया कि इस रूपांतरण अभ्यास की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि लोको शेड के समग्र लेआउट में कोई बड़ा बदलाव नहीं हो रहा है और जनशक्ति का सर्वोत्तम उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शेड में अधिकांश कर्मचारी इलेक्ट्रिक और डीजल दोनों सेवाओं के लिए समान रहेंगे जिससे पूरी योजना में किफायत आएगी।
श्री द्विवेदी ने आगे बताया कि विद्युत इंजनों के अनुरक्षण हेतु पर्यवेक्षकों, टेक्नीशियनों एवं अन्य ग्रुप डी स्टाफ सहित मैनपावर की वर्तमान आवश्यकता को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। इस प्रकार अगले तीन वर्षों के लिए किसी अतिरिक्त जनशक्ति की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से मौजूदा कर्मचारियों की क्षमता का निर्माण किया जा रहा है।
महाप्रबंधक/उ.म.रे. विनय कुमार त्रिपाठी ने कहा कि रेलवे को अधिक कुशल, आर्थिक और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन बनाने के लिए पूरी भारतीय रेल में एक एकीकृत योजना बनाई जा रही है। जैसे-जैसे एसी इंजनों की संख्या बढ़ेगी, हम इन लोकोमोटिव्स को त्वरित और सर्वोत्तम रखरखाव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वीडियो कांफ्रेंस में उ.म.रे. के अपर महाप्रबंधक रंजन यादव, प्रमुख मुख्य विद्युत अभियंता सतीश कोठारी, मंडल रेल प्रबंधक, झांसी संदीप माथुर सहित झाँसी मंडल के सभी संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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