उत्तर रेलवे निर्माण संगठन: रिश्वत दिए बिना गति नहीं!

“I have no other option but to ‘Expose’ the Corruption in Railway System & harrasment to the Contractors” -Hemant Kumar, Prop. CSE Infra

“सीएओ/कंस्ट्रक्शन/उत्तर रेलवे, दिल्ली, साहब, अपना वाजिब भुगतान पाने के लिए क्या बिना रिश्वत दिए हमारी कोई सुनवाई नहीं होगी?”

ट्विटर पर 4 मई को उपरोक्त ट्वीट करके यह गुहार लगाई है सीएसई इंफ्रा के प्रोप्राइटर हेमंत कुमार ने!

उन्होंने ट्वीट में आगे लिखा है कि वर्ष 2013 में आठ साल पहले पुलों का निर्माण पूरा हो गया था। संबंधित अधिकारी भुगतान की फाइलें तब से लेकर अब तक लगातार इधर-उधर ही घुमा रहे हैं।

उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि “अधिकारीगण भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। इसकी जांच करने की आवश्यकता है।”

लगातार अपनी दूसरी ट्वीट में रेलमंत्री पीयूष गोयल, रेल मंत्रालय, उत्तर रेलवे, जीएम/उ.रे., डीआरएम/मुरादाबाद और डीआरएम/दिल्ली मंडल को टैग करते हुए हेमंत कुमार लिखते हैं, “क्या रिश्वत देने के सिवा कोई रास्ता नहीं है? आठ साल तक भुगतान न मिलने पर क्या कोई ईमानदार कांट्रैक्टर जिंदा रह सकता है? चेयरमैन सीईओ रेलवे बोर्ड और जीएम इस सबकी कोई मॉनिटरिंग क्यों नहीं करते?

उन्होंने अपनी ट्वीट्स को पीएमओ, रेलमंत्री पीयूष गोयल और जीएम/उ.रे. सहित सभी संबंधितों को भी टैग किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसके पहले उन्होंने डिप्टी सीई/कंस्ट्रक्शन, मुरादाबाद विकास गोयल को भी एक विस्तृत संदेश भेजकर कहा है कि “उनके पास अब रेलवे सिस्टम और इसमें बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार तथा कांट्रेक्टर्स के उत्पीड़न को ‘एक्सपोज’ करने के सिवा अन्य को विकल्प नहीं बचा है।”

अपने संदेश में उन्होंने आगे लिखा है, “फाइलें यहां-वहां घुमाई जा रही हैं.. ऑफिस-ऑफिस का खेल खेला जा रहा है.. और ईमानदार ठेकेदारों को कर्ज में डूबकर मरने अथवा रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”

उन्होंने लिखा है कि “वह सीएओ/कंस्ट्रक्शन/उत्तर रेलवे के इस करप्ट सिस्टम की बलि का बकरा नहीं बनेंगे।”

उन्होंने आगे लिखा है, “वह उन सभी अधिकारियों और बाबुओं का नाम उजागर करेंगे, जो इस अपराधिक कृत्य में संलिप्त हैं और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं।”

इस संदेश के अंत में उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा है कि “वह पहले ही एक-एक करके सबको चेता चुके हैं कि वह अपना भुगतान पाने के लिए कोई भी भ्रष्ट तरीका नहीं अपनाएंगे।”

उपरोक्त के अलावा सर्वसामान्य ठेकेदारों का कहना है कि “यदि रेलवे में कमीशनखोरी, रिश्वतखोरी और कांट्रेक्टर्स का उत्पीड़न बंद हो जाए और रेलमंत्री इसकी जिम्मेदारी लें, तो ठेकेदार 5% छूट देने के लिए तैयार हैं, परंतु उनका भुगतान यथोचित समय पर होना चाहिए!”

क्या रेलमंत्री पीयूष गोयल यह जिम्मेदारी स्वीकार करने को तैयार हैं? क्योंकि उपरोक्त केस केवल एक बानगी है, ऐसे सैंकड़ों मामले उत्तर रेलवे निर्माण संगठन में हैं, जहां भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं।

इस लगभग पूरी तरह सड़ चुके तंत्र को कमोबेश तभी सुधारा जा सकता है, जब तीन साल से ज्यादा यहां टिके सभी छोटे-बड़े अधिकारियों और बाबुओं को अन्य रेलों की ओपन लाइन में तत्काल दर-बदर किया जाए!

देखें, हेमंत कुमार का ओरिजनल मैसेज:

Dear Vikas Goyal ji,
Dy CE/MORADABAD/Construction,

I have no other choice but to expose the Railway system and corruption and harrasment.

Files are moved here n there.. playing office office.. forcing the Honest contractor to either die of debt or pay Bribe.

I will not bow down to corrupt System of CAO/Construction/Northern Railway.

I shall have to name the officers, Babu etc who are being criminally involved into delay to encourage Corruption.

I had already warned each one that I shall not resort to corrupt practices to get my Payment.

Jai Hind..
With due Regards
Hemant Kumar
For CSE INFRA
04 Jun 2021

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