पीवीसी बिलिंग में हेराफेरी: सीबीआई ने एनएफआर के चार अधिकारियों को बुक किया
अतिरिक्त भुगतान के भ्रष्टाचार में चार रेल अधिकारी और कांट्रैक्ट कंपनी के दो पदाधिकारियों के विरुद्ध दर्ज हुई एफआईआर
Surresh Tripathi
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने एक कांटैक्ट कंपनी को भुगतान में की गई करोड़ों रुपये की हेराफेरी और रेल राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने के आरोप में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के चार अधिकारियों सहित कांट्रैक्ट कंपनी के भी दो बड़े पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
एफआईआर के अनुसार बुक किए गए अधिकारियों में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के पूर्व डिप्टी चीफ इंजीनियर एस. पी. देशमुख, असिस्टेंट एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, कंस्ट्रक्शन प्रदीप कुमार शर्मा, असिस्टेंट फाइनेंस एडवाइजर तपेश्वर राभा और एक अन्य बिमल डे शामिल हैं। जबकि कांट्रेक्ट कंपनी “नायक इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड” के मैनेजिंग डायरेक्टर अनंत चरन नायक एवं डायरेक्टर बिश्वजीत नायक को बुक किया गया है।
उपरोक्त रेल अधिकारियों और कंपनी पदाधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में सिलचर-सैरंग रेलवे लाइन के तहत किए गए निर्माण कार्यों के भुगतान हेतु प्राइस वेरिएशन कांट्रैक्ट (पीवीसी) बिलों में हेराफेरी की है।
ज्ञातव्य है कि उक्त रेल लाइन के अंतर्गत कांट्रैक्ट कंपनी नायक इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरंगों, पुलों और अन्य संबंधित निर्माण कार्यों का ठेका दिया गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिलचर कंस्ट्रक्शन यूनिट द्वारा पास किए गए पीवीसी बिलों की सैंपल जांच के दौरान वरिष्ठ रेल अधिकारियों को पता चला कि कुल सात कार्यों से संबंधित बिलों में बड़ी हेराफेरी की गई है।
आरोप है कि यह हेराफेरी और भ्रष्टाचार सिलचर एवं मालीगांव में बैठे इंजीनियरिंग (कंस्ट्रक्शन) और फाइनेंस (कंस्ट्रक्शन) डिपार्टमेंट के संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है।
विभागीय जांच में पहले ही यह साबित हो चुका था कि कंपनी ने अपने प्रत्येक वास्तविक बिल की राशि के पहले ‘1’ का आंकड़ा जोड़कर बिल सुपुर्द किया था। जैसे कि उसका एक बिल ₹1.80 करोड़ का था, उसके पीछे कंपनी ने ‘1’ जोड़कर यह राशि ₹11.80 करोड़ बना दी।
इसी प्रकार ₹2.92 करोड़ के वास्तविक बिल को कंपनी ने ₹12.92 करोड़ बना दिया। ऐसे कुल आठ बिलों की पहचान जांच के दौरान की गई थी। इस सब का विवरण सीबीआई की एफआईआर में दर्ज किया गया है।
हालांकि यह बताने को कोई अधिकारी तैयार नहीं है कि उपरोक्त सभी बिलों का भुगतान किया जा चुका था, या नहीं। तथापि एफआईआर में यह बात अवश्य दर्ज की गई है कि उपरोक्त आरोपी अधिकारियों ने इन बिलों का भुगतान कर देने की संस्तुति की थी।
बताते हैं कि पूर्व डिप्टी चीफ इंजीनियर ने इस भुगतान को अप्रूव कर दिया था, जिससे रेलवे को ₹7.81 करोड़ का चूना लगा और इसका पर्याप्त लाभ बतौर कमीशन आरोपी अधिकारियों को भी प्राप्त हुआ।
उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे की सिलचर कन्स्ट्रक्शन यूनिट में हुए इस फ़्रॉड की जांच रिपोर्ट प्रिंसिपल फाइनेंस एडवाइजर/एनएफआर तनवीर अहमद ने 17 सितंबर 2019 को रेलवे बोर्ड को भेजी थी।
इसके बाद रेलवे बोर्ड ने 23 सितंबर 2019 को इस पर सभी जोनल रेलों के पीएफए को निर्देश जारी करते हुए आंतरिक परीक्षण करने और ऐसे किसी फ़्रॉड अथवा हेराफेरी का पता लगाने को कहा था।
देखें- पीएफए/एनएफआर की जांच रिपोर्ट और रेलवे बोर्ड का निर्देश।
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