अहमदाबाद स्टेशन पर संरक्षा एवं सुरक्षा के मानकों की अनदेखी
जेडआरयुसीसी सदस्यों के आग्रह पर कान नहीं दे रहा रेल प्रशासन
अहमदाबाद : अति-व्यस्त अहमदाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन पर इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन द्वारा साबरमती की ओर लगेज लिफ्ट को तोड़ने और हटाने का काम किया जा रहा है. प्लेटफार्म पर यात्रियों के आवागमन भी जारी रहता है. इसके बावजूद सुरक्षा के दृष्टिकोण से बनाए गए किसी भी मानक का उपयोग नहीं किया जा रहा है. तोड़क कार्य करने वाले मजदूर भी संरक्षा एवं सुरक्षा के किसी भी संसाधन का उपयोग किए बिना ही कार्य कर रहे हैं. इस संदर्भ में क्षेत्रीय रेलवे उपभोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (जेडआरयुसीसी), पश्चिम रेलवे के सदस्य योगेश मिश्रा, किंजन पटेल और शमी शेख ने कई बार स्थानीय रेल प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया, परंतु उनके आग्रह पर उचित कार्रवाई नहीं की जा रही है.
प्रस्तुत तस्वीर में अहमदाबाद स्टेशन के प्लेटफार्म नं. 2/3 पर बने पादचारी पुल (एफओबी) के ऊपर रेलिंग पर चढ़कर किसी मानक संरक्षा/सुरक्षा के बिना लगेज लिफ्ट के ढ़ांचे को गैस कटर से काट रहे ठेका मजदूर को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिसकी चिंगारियां नीचे प्लेटफार्म पर गिर रही हैं. जबकि प्लेटफार्म पर उक्त एरिया को बाड़ से संरक्षित भी नहीं किया गया है. गाड़ी आने पर यात्रियों का आवागमन होता है, ऐसी स्थिति में होने वाली किसी भी दुर्घटना का जवाबदार कौन होगा? एफओबी पर गैस कटर होने के कारण गैस के सिलेंडर भी खुले में रखे हुए हैं, उन्हें भी सुरक्षित नहीं किया हुआ है.
एफओबी पर हजारों यात्रियों की आवाजाही हमेशा रहती है. सुरक्षा मानकों का उपयोग किए बिना गैस एवं व्यक्ति हर चीज असुरक्षित रूप से पड़ा हुआ है. कंस्ट्रक्शन वर्क्स एसएसई को बुलाकर पूछने पर उसने कहा कि आज उसका ट्रांसफर हो गया है और कल से वह दूसरी जगह ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहा है, फिर भी वह सदस्यों द्वारा बताई गई सूचना को ऑफिस रजिस्टर में दर्ज करके जाएगा. एसएसई का यह जवाब सर्वथा गैरजिम्मेदारी और लापरवाही वाला है. यह कोई एक दिन की बात नहीं है. प्रतिदिन चल रहे कार्यों में मानकों की उपेक्षा की जा रही है.
जेडआरयुसीसी सदस्यों का कहना है कि यहां जो भी मजदूर काम कर रहे हैं, उनके पास किसी भी प्रकार का स्वयं का अथवा रेलवे का कोई भी परिचय पत्र उपलब्ध नहीं है. जबकि यदि कोई यात्री का संबंधी बिना टिकट प्लेटफॉर्म पर आता है, उसे दंडित जुर्माना भरना पड़ता है. ऐसे में यह लोग किस अथॉरिटी पर रेल परिसर में आते हैं? उनका कहना है कि जिस ठेकेदार का यह काम है, उसका कोई सुपरवाइजर भी वहां पर उपलब्ध नहीं होता है. मजदूरों द्वारा सुपरवाइजर को फोन करके बुलाने पर सुपरवाइजर कहता है कि वह अभी बाहर है और कल साइट पर आएगा, आज तो किसी कीमत पर नहीं आ सकूंगा. जबकि ठेकेदार का कहीं अता-पता नहीं होता है.
इस प्रकार बिना किसी देखरेख के यह कार्य संपादित किया जा रहा है. न तो ठेकेदार कहीं पता है और न ही उसके किसी सुपरवाइजर का. और न ही रेलवे कंस्ट्रक्शन वर्क्स का कोई निरीक्षक वहां पर उपलब्ध होता है. ऐसे में यह जोखिमपूर्ण कार्य कैसे किया जा रहा है. सदस्यों का सवाल है कि क्या किसी अनहोनी घटना की प्रतीक्षा में यह कार्य किया जा रहा है कि जब कोई घटना होगी उसके बाद दुनियाभर की जांच शुरू की जाएगी? उन्होंने कहा कि यदि पहले से ही सुरक्षा मानकों का उपयोग सुनिश्चित किया जाए, तो ऐसी किसी संभावित घटनाओं का निवारण किया जा सकता है और किसी प्रकार की कोई घटना या हादसा न हो यह पहले से सुनिश्चित किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि घटना होने के बाद जांच का जो दिखावा होता है, कार्य किया जाता है, और घटना होने से पहले संरक्षा/सुरक्षा मानकों का उपहास किया जाता है, इसी वजह से हादसे होते हैं. उन्होंने महाप्रबंधक/प.रे. अनिल कुमार गुप्ता को अपने निरीक्षण के दौरान पाई गई कमियों से अवगत कराया है और उनसे आग्रह किया है कि यात्रियों के हित और सुरक्षा के लिए संबंधित विभाग को उचित निर्देश दें कि भविष्य में सुरक्षा के मानकों का उपहास न हो.