डिप्टी सीई/सी/मालदा ने किया फ्रॉड? ठेकेदार ने दर्ज कराई एफआईआर
कमीशनखोर अधिकारी की कांट्रेक्टर के साथ मिलकर रेलवे टेंडर में सहभागिता !
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, अजीमगंज, मालदा मंडल, निर्माण संगठन में भारी गड़बड़झाला
मालदा टाउन : पूर्व रेलवे के मालदा मंडल में अजीमगंज वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम करने के लिए डिप्टी चीफ इंजीनियर, कंस्ट्रक्शन और सब-कांट्रेक्टर अर्णव इंटरप्राइजेज के प्रोप्राइटर में सहमति बनी. मुख्य कांट्रेक्टर ए. बी. कंस्ट्रक्शन, जिसे यह कांट्रेक्ट आवंटित हुआ था, ने डिप्टी चीफ इंजीनियर, कंस्ट्रक्शन (डिप्टी सीई/सी) के कहने पर इस कांट्रेक्ट को अर्णव इंटरप्राइजेज को सब्लेट किया था. तय यह हुआ था कि बैंक गारंटी मनी डिप्टी सीई/सी देंगे और इसके बदले वह मुनाफे में 10% के हिस्सेदार होंगे. परंतु काम शुरू होने के बाद उन्होंने अपना पैसा रोक लिया और ए. बी. कंस्ट्रक्शन के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा कर दिया. इस पर 13 सितंबर 2018 को अर्णव इंटरप्राइजेज की ओर से इंग्लिश बाजार थाना, मालदा में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई गई है. अर्णव इंटरप्राइजेज की लिखित शिकायत सहित एफआईआर की प्रति ‘रेल समाचार’ के पास सुरक्षित है.
शिकायत के अनुसार डिप्टी सीई/सी/मालदा विनोद कुमार पासवान ने अर्णव इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर देवेंद्र विक्रम सिंह को हर प्रकार से आश्वस्त करते हुए उन्हें काम शुरू करने को कहा. शिकायत में स्पष्ट कहा गया है कि बैंक गारंटी मनी देकर विनोद कुमार पासवान 10% के हिस्सेदार होंगे और काम देवेंद्र सिंह कराएंगे तथा बिल का भुगतान ए. बी. कंस्ट्रक्शन के माध्यम से अर्णव इंटरप्राइजेज को ट्रांसफर किया जाएगा. यहीं से षड्यंत्र का खेल शुरू हुआ. विनोद कुमार पासवान ने दिमाग का भरपूर उपयोग किया और ए. बी. कंस्ट्रक्शन के साथ मिलकर फर्जीवाड़े का चक्रव्यूह रचा. इसका शिकार अर्णव इंटरप्राइजेज के प्रोप्राइटर देवेंद्र विक्रम सिंह हुए.
वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम शुरू हुआ और जब 60% तक काम पूरा हो गया, तथा बड़े-बड़े बिल बनने लगे, तो आरोप है कि डिप्टी सीई/सी ने ए. बी. कंस्ट्रक्शन के प्रोप्राइटर हिमाद्री दत्ता से कहकर अर्णव का भुगतान रोक दिया. डिप्टी सीई/सी ने कहा कि उन्हें पैसों की जरूरत है, बाद में हिसाब कर लेंगे. इस पर देवेंद्र विक्रम सिंह ने उनसे कहा कि काम करने और लेबर को भुगतान करने के लिए उनके पास फंड नहीं है. इस कारण उन्होंने काम बंद कर दिया. इसके बाद डिप्टी सीई/सी पासवान ने 20 लाख रुपये लेकर सिंगल लिमिटेड टेंडर (एसएलटी) एस. एस. कंस्ट्रक्शन को दे दिया. यह 20 लाख रुपये डिप्टी सीई/सी पासवान को ए. बी. कंस्ट्रक्शन ने बैंक के माध्यम से दिया. इस कारण वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम अधर में लटक गया है. इस प्रकार सब-कांट्रेक्टर देवेंद्र विक्रम सिंह का लगभग डेढ़ करोड़ रुपया फंस गया. आरोप है कि इसमें से 77 लाख रुपये का घोटाला विनोद कुमार पासवान और हिमाद्री दत्ता ने मिलकर किया. इस मामले में देवेंद्र विक्रम सिंह ने एफआईआर दर्ज करा दी है.
अर्णव इंटरप्राइजेज के देवेंद्र विक्रम सिंह ने अपनी लिखित शिकायत में कहा है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के टेंडर नं. 43/2014-15 का काम करने के लिए उनके करीबी रिस्तेदार के माध्यम से डिप्टी सीई/सी विनोद कुमार पासवान ने उनसे संपर्क किया था. उन्होंने कहा कि डिप्टी सीई/सी के कहने पर ए. बी. कंस्ट्रक्शन के हिमाद्री दत्ता ने उन्हें यह टेंडर सब्लेट कर दिया. इसके लिए उन्होंने उनके नाम एक पावर ऑफ अटार्नी बनाई थी और रेलवे की तरफ से उन्हें यह काम करने के लिए लिखित अथॉरिटी भी दी गई थी. तय हुआ था कि रेलवे का भुगतान ए. बी. कंस्ट्रक्शन के खाते में होगा और उसके खाते से बिल अर्णव इंटरप्राइजेज के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा. इसके अलावा 2% कमीशन डिप्टी सीई/सी को दिया जाएगा. देवेंद्र सिंह का कहना है कि यह सब बातें मुंहजबानी तय हुई थीं.
देवेंद्र विक्रम सिंह ने शिकायत में कहा है कि उपरोक्त सहमति के आधार पर उन्होंने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए प्लांट, मशीनरी और अन्य सहायक औजारों सहित सीमेंट, सरिया, ईंट, गिट्टी इत्यादि आवश्यक सामग्री की खरीद की. उन्होंने कहा है कि इस प्रकार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का करीब 95% काम पूरा हो गया, मगर ए. बी. कंस्ट्रक्शन द्वारा उन्हें कोई भुगतान नहीं किया गया. इसके लिए उनके द्वारा जब-जब ए. बी. कंस्ट्रक्शन के मालिक हिमाद्री दत्ता से संपर्क किया जाता था, तब-तब वह कोई न कोई बहाना बनाकर भुगतान करने से टाल देते थे. इस तरह डिप्टी सीई/सी और ए. बी. कंस्ट्रक्शन ने मिलकर उनका लगभग डेढ़ करोड़ रुपया हड़प लिया है.
देवेंद्र विक्रम सिंह ने शिकायत में कहा है कि वह जब भी इस भुगतान के लिए कहते हैं, तब हिमाद्री दत्ता और विनोद कुमार पासवान उन्हें जान से मरवा देने की धमकी देते हुए यह पैसा भूल जाने को कहते हैं. इसके लिए उन्होंने पुलिस में दोनों के विरुद्ध शिकायत दर्ज करके पूरे मामले की गहराई से जांच करने की मांग की है. उनका कहना है कि उन्होंने इस मामले के संबंध में पूर्व रेलवे निर्माण संगठन मुख्यालय में पूर्व एवं वर्तमान सीई/सी-3 को भी बताकर भुगतान करवाने में उनकी मदद करने की गुहार लगाई थी, मगर दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ नहीं किया. संपर्क किए जाने पर ‘रेल समाचार’ से सीधे बात करते हुए अर्णव इंटरप्राइजेज के प्रोप्राइटर देवेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि पूरे कार्य के दौरान उन्होंने करीब 32 लाख रुपया बतौर कमीशन विनोद कुमार पासवान को दिया है. उन्होंने यह भी बताया कि वह किस्तों में जब-जब यह पैसा देने के लिए विनोद कुमार पासवान के कार्यालय में जाते थे, तब-तब वह उन्हें ही अपने कार्यालय के किसी एक आदमी के साथ उक्त पैसा ‘एस. प्रिया’ के नाम वाले बैंक खाते में जमा करने के लिए भेज देते थे.
उपरोक्त तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बारे में ‘रेल समाचार’ द्वारा मोबाइल पर संपर्क किए जाने परडिप्टी सीई/सी/मालदा विनोद कुमार पासवानका कहना था कि अर्णव इंटरप्राइजेज का उनसे कोई लेना-देना नहीं है. उनका कहना था कि उसका जो भी लेना-देना है वह ए. बी. कंस्ट्रक्शन के साथ है. तथापि उनका यह भी कहना था कि अर्णव इंटरप्राइजेज ने कोई काम ही नहीं किया है. यह कहने पर कि अर्णव इंटरप्राइजेज का कहना है कि उसने 95% काम पूरा कर दिया है, इस पर पासवान का कहना था कि यह सब उसकी पैसा ऐंठने की चाल है. उनसे जब यह कहा गया कि अर्णव इंटरप्राइजेज के देवेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने करीब 32 लाख रुपया उनकी पत्नी (एस. प्रिया) के खाते में जमा कराया है. इस पर पासवान का कहना था कि वह बकवास कर रहा है.
तमाम कोशिशों के बावजूद ए. बी. कंस्ट्रक्शन के मालिक हिमाद्री दत्ता ने कॉल रेस्पोंड नहीं की. संदर्भ के साथ भेजे गए एसएमएस का भी उन्होंने कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा. इस मामले में पूर्व रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, निर्माण से जब संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि उन्हें इस बारे कोई जानकारी नहीं है. जब ‘रेल समाचार’ ने उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी, तो उनका कहना था कि वह पूरे मामले की छानबीन कराएंगे और उचित कार्रवाई करेंगे.
बहरहाल, जिस प्रकार कई कमीशनखोर इंजीनियरिंग अधिकारी ठेकेदारों के साथ मिलकर रेलवे में ठेकेदारी करके रेलवे को ही करोड़ों का चूना लगा रहे हैं, उसी प्रकार यही काम इस मामले में डिप्टी सीई/सी/मालदा ने भी बड़ी चालाकी से किया है, मगर अब वह इससे मुकर रहे हैं, जो कि स्वाभाविक है. बताते हैं कि अजीमगंज डबलिंग वर्क में भी ऐसा ही कुछ गड़बड़ घोटाला चल रहा है. कहते हैं कि कोई भी चोर तब तक अपना गुनाह कबूल नहीं करता है, जब तक कि पुलिस द्वारा उसे कड़ी शारीरिक प्रताड़ना नहीं दी जाती है. ठीक उसी प्रकार इस मामले में भी पुलिस और विभागीय जांच की कड़ी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है.