पश्चिम रेलवे, लोअर परेल वर्कशॉप में कमीशन का खेल

भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक हैं लंबित फाइलें-विलंबित निर्णय

मुंबई : पश्चिम रेलवे के लोअर परेल वर्कशॉप में ठेकेदारों से कमीशन वसूलने और कार्य की गुणवत्ता के साथ समझौता करने का खेल लंबे समय से चल रहा है. इसी बीच गत सप्ताह 22 मई को वर्कशॉप के दो अधिकारियों द्वारा एक ठेकेदार से कमीशन की सौदेबाजी करते हुए दो ऑडियो रिकॉर्डिंग ‘रेलवे समाचार’ को अपने विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम प्राप्त हुईं. इन ऑडियो रिकॉर्डिंग्स के बारे में दरयाफ्त करने पर पता चला कि यह रिकॉर्डिंग्स स्वयं ठेकेदार द्वारा ही की गई हैं, जो कि उसकी किसी लापरवाही के कारण वर्कशॉप के कुछ कर्मचारियों के बीच वायरल हो गईं थीं अथवा उसने खुद जानबूझकर इन्हें कुछ कर्मचारियों के साथ शेयर किया था.

प्राप्त जानकारी के अनुसार तुशांत खंडारे नामक ठेकेदार लोअर परेल वर्कशॉप में ब्लास्टिंग/पेंटिंग का काम कर रहा है. हालांकि उसका यह काम करोड़ों की लागत वाला नहीं है. इस काम के लिए उससे सबसे पहले वर्कशॉप मैनेजर प्रीतपाल सिंह ने उसके काम का पूरा गणित लगाते हुए कुल 27 हजार रुपये के कमीशन की गणना की और बाद में उनका यह सौदा 20 हजार में पट गया. इसके बाद टेंडर डीलिंग क्लर्क (एसएसई/एस्टीमेट) प्रवीन कुडे ने भी इसी तरह की गणना करके अपने कमीशन का सौदा पूरे एक लाख में पटाया. दोनों की इस सौदेबाजी को उक्त दोनों ऑडियो रिकॉर्डिंग्स में स्पष्ट सुना जा सकता है.

यह दोनों ऑडियो रिकॉर्डिंग्स प्राप्त होने के बाद ‘रेलवे समाचार’ ने सबसे पहले ठेकेदार तुशांत खंडारे से इनकी पुष्टि करने के लिए उन्हें कॉल किया. बातचीत के दौरान तुशांत खंडारे ने स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया कि उक्त दोनों ऑडियो रिकॉर्डिंग्स उन्होंने ही की हैं. तथापि मामले की गंभीरता का अंदाजा होते ही वह इसकी खबर न बनाए जाने का अनुरोध करने लगा. इसके तत्काल बाद ‘रेलवे समाचार’ ने चीफ वर्कशॉप मैनेजर (सीडब्ल्यूएम) मीणा से उनके मोबाइल पर बात की और उन्हें ऑडियो रिकॉर्डिंग्स का हवाला देकर उनसे पूछा कि क्या उन्हें इन दोनों रिकॉर्डिंग्स के बारे में कोई जानकारी है, यदि हां, तो उन्होंने इस संदर्भ में अब तक क्या कार्रवाई की है? इस सवाल के जवाब में श्री मीणा ने कहा कि दोनों मामलों की विभागीय जांच की जा रही है. तथापि जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उक्त दोनों संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध अन्यत्र शिफ्टिंग की भी कोई योजना है, इस पर उनका कहना था कि उक्त कार्यवाही भी चल रही है.

इसके बाद ‘रेलवे समाचार’ ने लोअर परेल कैरिज वर्कशॉप के चीफ इंस्पेक्शन ऑफिसर (सीआईओ) प्रीतपाल सिंह (सीनियर स्केल अधिकारी) से संपर्क करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की. श्री सिंह ने यह तो स्वीकार किया कि ‘काम को लेकर ठेकेदारों से उनकी बातचीत होती रहती है, मगर उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बातचीत का संदर्भ कुछ और है. यदि यह बात सामने मिलकर की जाए, तो ज्यादा ठीक होगा, क्योंकि वह मोबाइल पर ज्यादा बात नहीं कर सकते हैं.’ हालांकि जब उनसे यह कहा गया कि संबंधित ठेकेदार ने यह स्वीकार किया है कि उक्त लेनदेन की बातचीत को उसने खुद रिकॉर्ड किया है, इस पर उन्होंने कोई टिपण्णी करने से मना कर दिया.

तत्श्चत ‘रेलवे समाचार’ ने डीलिंग क्लर्क (एसएसई/एस्टीमेट) प्रवीन कुडे से संपर्क किया. श्री कुडे पहले तो ऐसी किसी ऑडियो रिकॉर्डिंग से मना करते रहे. बाद में जब उन्हें बताया गया कि ठेकेदार तुशांत खंडारे ने स्वयं उनकी बातचीत रिकॉर्ड की है और इस बात को खुद उन्होंने स्वीकार भी किया है कि वह उनसे कमीशन के ही संदर्भ में बात कर रहे थे. तब वह यह समझाने की कोशिश करने लगे कि उक्त रिकॉर्डिंग को यदि किसी मराठी के जानकार व्यक्ति से समझा जाए, तो उसमें वह क्या कह रहे हैं और उनकी बातचीत का क्या संदर्भ है, यह स्पष्ट हो जाएगा. यानि उनका कहने का तात्पर्य यह था कि वह ऑडियो में ठेकेदार से कमीशन की बात नहीं कर रहे थे, बल्कि उनकी उक्त बातचीत का संदर्भ कुछ और था.

बहरहाल, इस पूरे प्रकरण को जब ‘रेलवे समाचार’ ने पश्चिम रेलवे के प्रमुख मुख्य यांत्रिक अभियंता (प्रिंसिपल सीएमई) श्री अग्रवाल के संज्ञान में लाकर उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की, तो श्री अग्रवाल का कहना था कि यह मामला उनकी जानकारी में नहीं आया है. यदि ‘रेलवे समाचार’ उक्त दोनों ऑडियो रिकॉर्डिंग उन्हें उपलब्ध करवाता है, तो वह इसकी जांच विजिलेंस से करने को कहेंगे. (‘रेलवे समाचार’ ने इस बातचीत के दौरान ही दोनों ऑडियो रिकॉर्डिंग्स उन्हें व्हाट्सऐप पर फॉरवर्ड कर दीं थीं). उल्लेखनीय है कि प्रिंसिपल सीएमई श्री अग्रवाल पश्चिम रेलवे के मैकेनिकल कर्मचारियों एवं तमाम ठेकेदारों के बीच एक स्ट्रेट फॉरवर्ड एवं ईमानदार अधिकारी के रूप में जाना जाता है.

इसके अलावा ‘रेलवे समाचार’ द्वारा सीएमई श्री अग्रवाल के संज्ञान में यह बात भी लाई गई कि लोअर परेल वर्कशॉप के डिप्टी सीईई यादव की भी कुछ ऐसी ही गतिविधियों की जानकारी मिल रही है, यदि शीघ्र ही कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया, तो उनकी भी ऐसी ही कुछ गतिविधियां सार्वजनिक हो सकती हैं, जिससे रेलवे की बदनामी के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा. इस पर आश्चर्यचकित श्री अग्रवाल ने कहा कि यादव को तो वहां से हटाने के प्रस्ताव को वह करीब दो महीने पहले ही अपनी संस्तुति दे चुके हैं, अब तक उन्हें वहां से चला जाना चाहिए था, वह देखेंगे कि वास्तव में क्या हुआ है और अब तक यादव को क्यों नहीं शिफ्ट किया गया है.

इसके बाद ‘रेलवे समाचार’ को पश्चिम रेलवे मख्यालय स्थित अपने सूत्रों से पता चला कि पूर्व प्रिंसिपल सीईई ने यादव के ट्रांसफर की फाइल प्रिंसिपल सीएमई की संस्तुति मिलने के तुरंत बाद अंतिम संस्तुति के लिए जीएम के पास भेज दी थी. इसी बीच उनका तबादला हो गया. सूत्रों का कहना है कि करीब दो महीने तक उक्त फाइल जीएम के पास पेंडिंग रही. इसी बीच प्रिंसिपल सीईई के पद पर पी. एन. राय के ज्वाइन करने पर जीएम ने यादव के ट्रांसफर की उक्त फाइल बिना कोई निर्णय लिए श्री राय को लौटा दी. बताते हैं कि अब उक्त फाइल श्री राय के पास करीब एक महीने से पड़ी है और यादव के ट्रांसफर पर अब तक कोई उचित निर्णय नहीं लिया जा सका है.

उल्लेखनीय है कि सरकारी दफ्तरों में एक उचित समय-सीमा के बाद फाइल अटकने का मतलब सीधे-सीधे भ्रष्टाचार से जोड़कर निकाला जाता है. पता चला है कि डिप्टी सीईई यादव के बारे में भी उनकी कमीशनखोरी और कदाचारपूर्ण गतिविधियों की कुछ पुख्ता जानकारी वर्कशॉप के कुछ कर्मचारियों एवं ठेकेदारों के पास उपलब्ध है, जिसे वह शीघ्र ही प्रिंसिपल सीईई, प्रिसिपल सीएमई और जीएम को सौंपने वाले हैं. इसके अलावा अत्यंत संवेदनशील एसएसई/एस्टीमेट के पद पर करीब छः साल से जमे प्रवीन कुडे को समयानुसार नहीं हटाए जाने पर भी प्रिंसिपल सीएमई ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हर साल ऐसे पदों पर बैठे कर्मचारियों की रिपोर्ट सीडब्ल्यूएम से ली जाती है, फिर उसे क्यों नहीं हटाया गया, यह देखना होगा.

फिलहाल प्राप्त ताजा जानकारी के अनुसार प्रिंसिपल सीएमई ने दोनों ऑडियो रिकॉर्डिंग्स विजिलेंस को भेजकर इस कमीशनखोरी मामले की गहराई से जांच करने का आदेश दिया है. तथापि सीडब्ल्यूएम की तरफ से एसएसई/एस्टीमेट कुडे को और प्रिंसिपल सीईई की तरफ से डिप्टी सीईई यादव को हटाने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. इससे वर्कशॉप के समस्त कर्मचारियों और ठेकेदारों के बीच एक अविश्वास का वातावरण पसरा हुआ है. उन्होंने आपस में मोबाइल पर कोई भी बातचीत करना बंद कर दिया है. इससे वर्कशॉप का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. कुछ कर्मचारियों का कहना था कि वर्कशॉप में संवेदनशील पदों पर बैठे कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों एवं सामान की खरीद में कमीशनखोरी कोई नई बात नहीं है, यह तब तक जारी रहेगी, जब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रशासन द्वारा कड़े कदम नहीं उठाए जाएंगे और समयानुसार इनके तबादलों पर अमल नहीं किया जाएगा.