डीजी/आरपीएफ मेहरबान, तो हेड कांस्टेबल पहलवान
डीजी के दबाव में हेड कांस्टेबल को जबलपुर में पुनर्स्थापित किया गया
डीजी/आरपीएफ की मनमानी के सामने नत-मस्तक है समस्त रेल प्रशासन
जबलपुर : कहावत है कि ‘ऊपर वाला मेहरबान, तो गधा पहलवान’. इसी तर्ज पर ‘डीजी/आरपीएफ मेहरबान, तो हेड कांस्टेबल पहलवान’ की नई कहावत पश्चिम मध्य रेलवे आरपीएफ में गढ़ी गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन से गद्दारी करके डीजी/आरपीएफ की गोद में बैठकर एसोसिएशन के खिलाफ जबलपुर हाई कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराने वाले हेड कांस्टेबल संतोष कुमार त्रिपाठी को डीजी/आरपीएफ के दबाव में जबलपुर मंडल में ही पुनर्स्थापित किया गया है. जबकि सूत्रों का कहना है कि पश्चिम मध्य रेलवे आरपीएफ प्रशासन उसकी मनमानियों और कई अन्य अमान्य गतिविधियों के कारण उसे जबलपुर मंडल में पुनर्स्थापित करने के पक्ष में कतई नहीं था.
उक्त हेड कांस्टेबल की विगत तमाम गलत गतिविधियों के मद्देनजर उसे जबलपुर मंडल में पुनर्स्थापित किए जाने से पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल सहित भोपाल एवं कोटा मंडल के समस्त आरपीएफ कर्मियों में भारी रोष व्याप्त हो गया है. इन आरपीएफ कर्मियों का कहना है कि जिस तेजी से इस दुश्चरित्र और भ्रष्ट हेड कांस्टेबल को जबलपुर मंडल में पुनर्स्थापित किए जाने की प्रक्रिया पूरी की गई है, उससे साफ जाहिर है कि सब कुछ डीजी/आरपीएफ के दबाव और निर्देश पर किया गया है. उनका कहना है कि अब तक किसी भी वास्तविक पीड़ित आरपीएफ कर्मी की समस्या का इतनी विकट तेजी से डीजी/आरपीएफ द्वारा समाधान नहीं किया गया है, जितनी तेजी से उक्त हेड कांस्टेबल को पुनर्स्थापित किए जाने की फाइल दौड़ाई गई है.
उल्लेखनीय है कि जबलपुर मंडल में उक्त हेड कांस्टेबल की कई गैर-अनुशासनिक गतिविधियों के चलते पश्चिम मध्य रेलवे आरपीएफ प्रशासन द्वारा उसे दो-तीन चार्जशीट दी गई थीं. इन्हीं चार्जशीटों के दंड स्वरूप उसका इंटर रेलवे ट्रांसफर अहमदाबाद मंडल, पश्चिम रेलवे में किया गया था. जहां पोस्ट पर ही बैठकर उसकी शराबखोरी और सीनियर कमांडेंट के साथ उसके द्वारा की गई बदतमीजी के कारण उसका ट्रांसफर भावनगर मंडल में कर दिया गया था. इसके बाद उसके दुर्व्यवहार एवं पुरानी चार्जशीटों और उक्त ताजा घटनाक्रम के साथ ही बिना पूर्व अनुमति एवं प्रशासन को सूचित किए बिना ही ड्यूटी से गायब रहने के मद्देनजर पश्चिम रेलवे आरपीएफ प्रशासन ने उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. इससे पहले उसके विरुद्ध ऐसी ही कई शिकायतों के कारण नवंबर 2016 के अंतिम सप्ताह में चित्रकूट में हुई सीईसी/जीसी की बैठक के दौरान सर्वसम्मति से एसोसिएशन से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था.
तत्पश्चात ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन और खासतौर पर इसके राष्ट्रीय महामंत्री यू. एस. झा को नेस्तनाबूद करने पर उतारू डीजी/आरपीएफ को उक्त हेड कांस्टेबल अपने काम का लगा. इसलिए उन्होंने उसे अपनी गोद में बैठाकर और जबलपुर मंडल में अटैच करके उससे एसोसिएशन और यू.एस.झा के विरुद्ध जबलपुर हाई कोर्ट में मुकदमा दायर कराया. इस मुकदमे के खर्च के लिए डीजी/आरपीएफ के इशारे पर जबलपुर, भोपाल एवं कोटा तीनों मंडलों के सभी आरपीएफ इंस्पेक्टरों से जबरदस्त वसूली की गई. यहां तक बताते हैं कि तीनों मंडलों के सभी अधिकारियों से भी यह वसूली की गई थी. बताते हैं कि डीजी/आरपीएफ का लाड़ला होने के नाते उक्त हेड कांस्टेबल की इतनी दहशत हो गई थी कि वह कभी अपनी पोस्ट पर उपस्थित नहीं होकर सतना स्थित अपने घर पर ही पड़े रहकर वहीँ से वसूली का आदेश देता था. ज्ञातव्य है कि डीजी/आरपीएफ के निर्देश पर उसे पहले जबलपुर और बाद में सतना आरपीएफ पोस्ट से अटैच कर दिया गया था.
अब जब जबलपुर हाई कोर्ट ने बिना किसी आदेश के उसका मुकादमा खारिज कर दिया, और इसी बीच उसका तीन महीने का विस्तारित कार्यकाल भी समाप्त हो गया, तो हाल ही में उसे अंतिम तौर पर बर्खास्त कर दिया गया था. इस बार डीजी/आरपीएफ उस पर इस कदर मेहरबान हुए कि उन्होंने उक्त हेड कांस्टेबल को न सिर्फ फौरन नौकरी पर बहाल कर दिया, बल्कि उसे पश्चिम रेलवे, भावनगर मंडल से सीधे पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर मंडल में पुनर्स्थापित करने का अंतर्निहित आदेश दे दिया. डरे-सहमे आरपीएफ कर्मियों का कहना है कि डीजी/आरपीएफ की शह पर मुकदमा दायर करने के बाद जल्द ही यू. एस. झा की जगह लेने की बात कहकर जिस तरह उसके द्वारा आरपीएफ इंस्पेक्टरों (आईपीएफ) एवं अधिकारियों की झूठी शिकायतें करके उनसे भारी वसूली की गई थी, वही अवैध गतिविधि अब पुनः शुरू होने की आशंका है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जबलपुर मंडल के लगभग समस्त आरपीएफ कर्मी और भोपाल मंडल के आधे से ज्यादा आरपीएफ कर्मी जबलपुर, कटनी, सतना, मैहर, रीवा और भिंड-मुरैना इत्यादि के ही स्थानीय रहिवासी होने के नाते उक्त हेड कांस्टेबल के अंधभक्त हैं. जबलपुर मंडल में ही पुनर्स्थापित उक्त हेड कांस्टेबल को डीजी/आरपीएफ का अंध-समर्थन प्राप्त होने के कारण इन दोनों मंडलों के सभी आरपीएफ अधिकारियों सहित सभी आरपीएफ इंस्पेक्टर और अन्य आरपीएफ कर्मी बुरी तरह डरे-सहमे हुए हैं. उनका कहना है कि डीजी/आरपीएफ के नाम पर उक्त हेड कांस्टेबल द्वारा अब पुनः उनसे वसूली शुरू की जाएगी और अनावश्यक रूप से उन्हें प्रताड़ित एवं अपमानित भी होना पड़ सकता है. उनका यह भी कहना है कि डीजी/आरपीएफ की मनमानी के सामने समस्त रेल प्रशासन (रेलवे बोर्ड) नत-मस्तक हो गया है.