एडीजी/पीआर को नहीं है रेलवे की वेबसाइट की कोई जानकारी
एडीजी/पीआर को नहीं है रेलमंत्री की छवि की कोई चिंता
रेलवे की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो रहीं प्रेस विज्ञप्ति एवं फोटो
ट्वीटर हैंडल बंद करने संबंधी खबर पर पत्रकार को रेलवे बीट से हटवाया गया
महीनों/वर्षों तक नहीं बदले जाते हैं जीएम/एजीएम और विभाग प्रमुखों के नाम
सुरेश त्रिपाठी
भारतीय रेल की अपनी एक महत्वपूर्ण वेबसाइट (www.indianrailways.gov.in) है, जिस पर इसकी विभिन्न दैनंदिन गतिविधियों की जानकारी सर्वसामान्य सहित मीडिया को भी उपलब्ध होती है. मीडिया के दृष्टिकोण से खासतौर पर यह वेबसाइट अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि विशेष रूप से रेलवे बीट कवर करने वाले पत्रकारों को इस वेबसाइट पर रेलवे की प्रेस विज्ञप्तियों सहित संबंधित फोटोग्राफ्स भी आसानी से मुहैया होते रहे हैं.
परंतु पिछले कई महीनों से यह दोनों चीजें इस वेबसाइट पर मीडिया पर्सन को उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. इससे उन्हें रेलवे बीट से संबंधित फोटो और प्रेस विज्ञप्तियों के लिए पीआईबी की वेबसाइट पर जाकर खाक छाननी पड़ती है, जहां अमूमन उन्हें रेलवे की ताजा प्रेस विज्ञप्ति तो किसी तरह मिल भी जाती है, मगर उससे संबंधित फोटोग्राफ्स फिर भी नहीं मिल पाते हैं.
भारतीय रेल की इस अत्यंत महत्वपूर्ण वेबसाइट के बारे में रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) की अतिरिक्त महानिदेशक, जनसंपर्क (एडीजी/पीआर) सुश्री शेफाली सरन को कोई भी जानकारी नहीं है. इस वेबसाइट पर रेलवे बोर्ड के मेंबर्स और रेलमंत्री की बैठकों के फोटोग्राफ्स और तत्संबंधी प्रेस विज्ञप्तियां आखिर अपलोड क्यों नहीं की जा रही हैं, इस बारे में अधिकृत जानकारी के लिए जब ‘रेलवे समाचार’ ने सुश्री सरन से उनके मोबाइल पर संपर्क किया और पूछा, तो सबसे पहले तो उन्हें यही समझ में नहीं आ रहा था कि उनसे पूछा क्या जा रहा है.
तत्पश्चात उन्हें जब ‘शुद्ध हिंदी’ में बात समझाई गई, तो उनका एकदम सपाट उत्तर था कि उन्हें भारतीय रेल की ऐसी किसी वेबसाइट की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ पीआईबी की वेबसाइट के बारे में पता है, बाकी वह किसी अन्य वेबसाइट के बारे में कुछ नहीं जानती हैं. उनका आगे कहना था कि जिसको रेलवे की प्रेस रिलीज और फोटोग्राफ्स चाहिए, वह पीआईबी की साइट से ले ले. उनसे जब यह कहा गया कि रेलवे की साइट पर यह दोनों चीजें पहले की तरह क्यों नहीं उपलब्ध होनी चाहिए, इस पर उनका कोई जवाब नहीं था.
अब जहां तक पीआईबी की साइट की बात है, तो सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि वहां रेलवे की दैनंदिन विज्ञप्तियां भले ही उपलब्ध हो जाएं, मगर उनसे संबंधित फोटो फिर भी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. इसके अलावा रेलमंत्री के सभी कार्यक्रमों से संबंधित फोटो भी वहां उपलब्ध नहीं होते हैं. इसके साथ ही रेलवे बोर्ड स्तर पर सीआरबी और बोर्ड मेंबर्स की महत्वपूर्ण बैठकों के फोटो भी अब मीडिया को उपलब्ध नहीं होते हैं. जबकि रेल मंत्रालय की एडीजी/पीआर शेफाली सरन के बात करने का अंदाज कुछ ऐसा था, जैसे कि मीडिया को ही यह सारी गरज है.
उदहारण के लिए रेलमंत्री ने मुंबई से सटे ठाणे शहर में ‘सरकारी उपवास’ पर होने के बावजूद गुरूवार, 12 अप्रैल को खानपान उद्योग की कुछ सुपरिचित कंपनियों और इस उद्योग से जुड़े कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ बैठक की. इसकी प्रेस रिलीज तो पीआईबी साइट पर मिल गई, परंतु इससे संबंधित फोटो फिर भी कहीं नहीं मिले. वास्तव में रेलवे बोर्ड के 11 अप्रैल के 63वें रेल सप्ताह के अलावा वहां अन्य कोई फोटो उपलब्ध नहीं हैं.
इस संबंध में रेलवे बोर्ड, जनसंपर्क विभाग के एक अन्य अधिकारी से जब ‘रेलवे समाचार’ ने संपर्क किया और उनसे भी उपरोक्त सवाल किया, तो उनका कहना था कि उन्हें इस बारे में कुछ ज्ञात नहीं है, क्योंकि यह देखना ‘मैडम’ (शेफाली सरन) का काम है, तथापि उनका कहना था कि वह रेलवे की वेबसाइट पर यह दोनों चीजें जल्दी ही अपलोड करवाना शुरू कर देंगे. परंतु यह काम अब तक शुरू नहीं हुआ है. बोर्ड के एक अन्य अधिकारी का कहना था कि यदि एडीजी/पीआर अपने ‘लुक’ की ही तरह यदि ‘रेलवे के लुक’ पर भी थोड़ा सा ध्यान दें, तो रेलवे की नकारात्मक छवि को काफी हद तक सुधारा जा सकता है.
इसके साथ ही विभिन्न जोनल रेलों के तमाम विभाग प्रमुख और जीएम/एजीएम इत्यादि वरिष्ठ अधिकारी महीनों पहले बदल चुके हैं, परंतु रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) यानि भारतीय रेल की वेबसाइट पर इन तमाम जोनल अधिकारियों के नाम नहीं बदले गए हैं. जोनल अधिकारियों का कहना है कि यह काम रेल भवन में बैठे एसएंडटी अधिकारियों का है और इसकी देखरेख करना सेक्रेटरी/रे.बो. का काम है. परंतु इनकी लापरवाही के कारण बोर्ड की वेबसाइट न तो कभी समय पर अपडेट नहीं होती है और न ही इसके लिए जिम्मेदार संबंधित अधिकारियों पर कोई कार्रवाई की जाती है.
एक तरफ रेलमंत्री पीयूष गोयल खबरों में बने रहने के लिए तमाम ऊलजलूल बयानबाजी करते रहते हैं, दूसरी तरफ उनके अपने मंत्रालय की वेबसाइट पर उनकी ही प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी द्वारा उनके कार्यक्रमों से संबंधित कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई जा रही है. रेलमंत्री अपनी तथाकथित स्वच्छ छवि को लेकर कितने सतर्क हैं, यह इस बात से साबित होता है कि दिल्ली से प्रकाशित एक प्रमुख हिंदी दैनिक द्वारा हाल ही में रेलवे के सभी ट्वीटर हैंडल बंद कर देने और ट्वीटर पर किसी भी यात्री शिकायत का कोई जवाब नहीं दिए जाने के रेलमंत्री द्वारा दिए गए कथित आदेश की खबर प्रमुखता से प्रकाशित करने पर उक्त खबर लिखने वाले पत्रकार को कथित तौर पर रेलमंत्री के इशारे और एडीजी/पीआर के दबाव में रेलवे बीट से हटा दिया गया.
मीडिया क्षेत्र के कुछ बड़े जानकारों का कहना है कि एक तरफ मंत्रालयों की वेबसाइट पर फोटो और प्रेस विज्ञप्तियां मुहैया नहीं कराई जा रही हैं, तो दूसरी तरफ अपनी बिना पर विश्वसनीय खबर प्रकाशित करने वाले पत्रकारों को उनके संपादकों/मालिकों से कहकर और उन्हें उनकी बीट से हटवाकर तथा खबरों को रोककर प्रेस की आजादी पर कुठाराघात भी किया जा रहा है. जबकि कई पालतू लोगों को रेलमंत्री की दैनंदिन गतिविधियों की एडवांस जानकारी देकर और प्रशिक्षण के नाम पर मुफ्त घुमक्कड़ी करवाकर उपकृत किया जा रहा है, यह कहां तक उचित है?