अहमदाबाद मंडल: जेई/सिगनल की विभागीय परीक्षा में गड़बड़ी
सीनियर डीएसटीई द्वारा चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई साजिश
अहमदाबाद : पश्चिम रेलवे, अहमदाबाद मंडल में दि. 20.01.2018 को जेई/सिगनल की विभागीय परीक्षा (एलडीसीई) ली गई थी. परंतु कुछ चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए इसमें बहुत बड़ी साजिश रची गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार दि. 20.01.2018 को अहमदाबाद मंडल में जेई/सिगनल की ली गई उक्त विभागीय परीक्षा का जो प्रथम प्रश्न पत्र प्रथम पाली में और दूसरा प्रश्न पत्र दूसरी पाली में दिए गए, वह दोनों ही के प्रश्न पत्र 100% एक समान हैं, जो कि दि. 20.12.2017 को पश्चिम रेलवे के ही रतलाम मंडल के 40% रैंकर कोटा के जेई/सिगनल में आए थे.
कर्मचारियों का कहना है कि यह कृत्य पूरी तरह से इस बात का इशारा करता है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा किन्हीं खास चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया. उनका कहना है कि एक माह के अंदर पश्चिम रेलवे के ही दो मंडलों में एक ही विभाग (संकेत एवं दूरसंचार) के एक ही पद जेई/सिगनल के प्रश्न पत्रों का हू-ब-हू मेल खाना महज एक इत्तिफाक नहीं हो सकता है, बल्कि यह कृत्य पश्चिम रेलवे के इस विभाग में हो रही बड़ी-बड़ी गड़बड़ियों की तरफ एक मजबूत इशारा करता है.
अतः मामले की गहराई से जांच के लिए “भारतीय रेलवे संकेत एवं दूरसंचार अनुरक्षक संघ” ने मांग की है कि दि. 20.01.2018 को हुई इस परीक्षा को रद्द करते हुए यह परीक्षा पुनः एक विशेष कमेटी की निगरानी में कराई जाए. संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि अहमदाबाद मंडल के वरिष्ठ संकेत एवं दूरसंचार अभियंता सुमित हंसराजानी के भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैये के खिलाफ़ भारतीय रेलवे संकेत एवं दूरसंचार अनुरक्षक संघ ने मोर्चा खोल रखा है.
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि अहमदाबाद मंडल में संकेत एवं दूरसंचार विभाग के अधिकारियों का दबदबा इतना ज्यादा है कि बिना किसी नियम का पालन किए वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंता और मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंता द्वारा मंडल के किसी भी कर्मचारी को तत्काल निलंबित कर दिया जाता है. उनका कहनाहै कि यदि उन्हें नियम की बात बताई जाती है तो वह उनके हुक्म की तामिल नहीं करने का आरोप लगाकर कर्मचारियों का उत्पीडन शुरू कर देते हैं.
भारतीय रेलवे संकेत एवं दूरसंचार अनुरक्षक संघ के महासचिव आलोक चंद्र प्रकाश ने अहमदाबाद कैट में उपरोक्त परीक्षा में की गई गड़बड़ी के विरुद्ध एक याचिका दाखिल करके न्याय की गुहार लगाई है. बताते हैं कि मंडल प्रशासन अब उन पर दबाव बना रहा है कि वह केस वापस ले लें. इसके लिए प्रभावित कर्मचारियों को भी तरह-तरह से प्रताड़ित और परेशान किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि वर्तमान वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंता, अहमदाबाद मंडल सुमित हंसराजानी का ट्रांसफर हाल ही में वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंता (समन्वय), मुंबई सेंट्रल मंडल के पद पर किया गया है. संघ पदाधिकारियों का कहना है कि अहमदाबाद मंडल में हंसराजानी के पांच साल के लंबे कार्यकाल के दौरान जितने कर्मचारियों का निलंबन हुआ है, वह सभी असंवैधानिक तथा गैरकानूनी तरीके से किए गए हैं.
गाड़ी के अचानक मार्ग परिवर्तन से यात्रियों को हुई भारी परेशानी
यात्रियों ने की गैर-जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
सूरत : गाड़ी सं. 19420 अहमदाबाद-चेन्नई एक्सप्रेस का रविवार, 8 अप्रैल को बिना कोई पूर्व सुचना दिए अचानक मार्ग बदल दिए जाने से मुंबई आने वाले हजारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. इस गाड़ी का चेन्नई जाने का रूट वाया वसई, पनवेल, पुणे होते हुए चेन्नई है. 8 अप्रैल को अचानक इस गाड़ी को सूरत से आगे का रूट परिवर्तन कर जलगांव मार्ग से निकाला गया.
ज्ञातव्य है कि सूरत से मुंबई आने वाले अधिकांश रेल यात्री इसी ट्रेन से वसई तक आते हैं सूरत से यह ट्रेन 13.40 को निकलती है और 16.50 पर वसई पहुंचती है. परंतु 8 अप्रैल को इस ट्रेन से यात्रा कर रहे हजारों रेलयात्री, जो मुंबई और इसके आसपास के थे, इस मार्ग परिवर्तन से अनभिज्ञ थे. पश्चिम रेलवे मुंबई सेंट्रल मंडल के परिचालन विभाग की अक्षम्य लापरवाही से यह यात्री वसई के बजाय जलगांव पहुंच गए.
गाड़ी के मार्ग परिवर्तन की सूचना यात्रियों को न तो रेल प्रशासन ने दी और न ही सूरत स्टेशन पर इसकी कोई घोषणा की गई थी. रेल यात्रियों के पास इसकी कोई जानकारी न होने का कारण उन्हें परिचालन विभाग की इस गंभीर लापरवाही का सामना करना पड़ा. वसई, विरार, बोरीवली के सभी यात्रियों को जलगांव जाकर नाशिक, मनमाड के रास्ते वापस मुंबई आना पड़ा. रेल प्रशासन की इस गलती से यात्रियों के समय और पैसे दोनों की बरबादी हुई.
रेल प्रशासन इस गलती के लिए किसे जिम्मेदार ठहराएगा? इस संदर्भ में एक यात्री राजन शर्मा द्वारा जानकारी मांगे जाने पर डीआरएम, मुंबई सेंट्रल ने 139 पर कॉल करके गाड़ी की स्थिति का पता करने का टका सा जवाब देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली. ‘रेलवे समाचार’ को मोबाइल पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि डीआरएम जैसे उच्च पदों पर विराजमान रेल अधिकारियों द्वारा अपने रेल यात्रियों के साथ इस तरह का व्यवहार अत्यंत अशोभनीय और गैर-जिम्मेदाराना है. यात्रियों ने मांग की है कि इस मामले की गंभीरता से जांच करके संबंधित अधिकारियों पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए.