प.म.रे.: राजनीतिक दबाव के सामने किंकर्तव्यविमूढ़ रेल प्रशासन

मंडल अधिकारियों की जांच कमेटी से भी नहीं निकला कोई समाधान

‘आरक्षित’ सीनियर डीसीएम को हटाने से डर रहा है प.म.रे. प्रशासन

भोपाल : पश्चिम मध्य रेलवे, भोपाल मंडल में सीनियर डीसीएम ने खानपान स्टालधारकों के साथ जो किया, वैसा पूरी भारतीय रेल के किसी भी मंडल में नहीं हुआ है. यहां तक कि पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा एवं जबलपुर मंडलों में भी वैसा नहीं हुआ. जबकि ऐसी मनमानी करने पर न सिर्फ सीनियर डीसीएम को तत्काल उनके पद से हटाया जाना चाहिए था, बल्कि उन्हें मेजर पेनाल्टी चार्जशीट देकर दंडित भी किया जाना चाहिए था. परंतु यदि ऐसा कुछ नहीं किया गया है, तो इसका एकमात्र कारण यही हो सकता है कि उसने यह सब राजनीतिक संरक्षण में किया है और इसीलिए प.म.रे. प्रशासन सीनियर डीसीएम को हटाने या उसके विरुद्ध कोई उचित कदम उठाने से डर रहा है.

ज्ञातव्य है कि उपरोक्त समस्त प्रकरण की जानकारी रेलवे बोर्ड तक को है. तथापि संबंधित खानपान स्टालधारकों को पिछले करीब छः महीनों से कहीं से भी न्याय नहीं मिल पाया है. जबकि सीनियर डीसीएम की इस मनमानी एवं भ्रष्टाचारपूर्ण कार्रवाई से न सिर्फ स्टालधारकों का व्यवसाय चौपट हुआ है, बल्कि इससे लगभग एक हजार वेंडर बेरोजगार हुए हैं, जिससे उनके करीब पांच हजार परिजन भुखमरी की समस्या से जूझने को मजबूर हैं. बताते हैं कि रेलवे बोर्ड के निर्देश पर डीआरएम/भोपाल द्वारा इस समस्या के समाधान के लिए जो कमेटी बनाई गई थी, उसमें भी सीनियर डीसीएम को रखा गया, जिससे समस्या आज भी जस की तस है. सूत्रों का कहना है कि कमेटी के एक सदस्य (सीनियर डीएफएम) का स्पष्ट कहना था कि वह अपने समकक्ष अधिकारी के विरुद्ध जाकर कोई रिपोर्ट नहीं दे सकते हैं.

‘रेलवे समाचार’ द्वारा इस मुद्दे पर “प.म.रे. वाणिज्य विभाग की मनमानी, जबरन हटाई खानपान स्टालों की ट्रालियां” शीर्षक से 6 दिसंबर 2017 को प्रकाशित खबर में विस्तृत जानकारी दी गई थी. रेलवे बोर्ड ने संबंधित खानपान स्टालधारकों से सीधे पत्र मंगवाया था और जांच करके मामले का समुचित समाधान करने का निर्देश डीआरएम/भोपाल को दिया था. एक तरफ जहां डीआरएम ने जांच कमेटी में सीनियर डीसीएम को शामिल करके सारे मामले का गुड़-गोबर कर दिया, वहीँ दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड और प.म.रे. मुख्यालय भी सीनियर डीसीएम के विरुद्ध कोई उचित कदम न उठाकर पूरे मामले में मूकदर्शक बना हुआ है. इसके अलावा कई बार समय मांगे जाने पर भी रेलवे बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों द्वारा आज तक स्टालधारकों को मिलने का समय नहीं दिया गया है.

जिस तरह केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के तमाम सांसदों/विधायकों ने विभिन्न सत्ताधारी राज्यों में निरंकुश उत्पात मचाया हुआ है, ठीक उसी तरह रेल मंत्रालय में भी सत्ताधारी पार्टी के कुछ सांसदों/विधायकों ने रेल अधिकारियों पर अपनी भारी दहशत बनाई हुई है, जिससे वह स्वतंत्र होकर कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं. उपरोक्त मामले में भी एक खास कैटरिंग कांट्रेक्टर को फेवर करने के लिए इटारसी/होशंगाबाद के एक सांसद का दबाव संबंधित रेल अधिकारियों पर बताया जा रहा है. बताते हैं कि इसी के चलते जीएम, सीओएम, सीसीएम और डीआरएम जैसे सभी वरिष्ठ रेल अधिकारी ‘आरक्षित’ श्रेणी के उक्त सीनियर डीसीएम को हटाने से डर रहे हैं.

एससी/एसटी ऐक्ट पर बिना पूर्व जांच और अनुमति के कोई गिरफ्तारी नहीं किए जाने के हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय का यह एक ज्वलंत उदहारण है कि आरक्षित श्रेणी के किसी जूनियर और भ्रष्ट सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के संबंध में भी कोई वाजिब निर्णय लेने में सामान्य श्रेणी के वरिष्ठ अधिकारी कितनी दहशत महसूस कर रहे हैं. इससे एक तरफ वह पीड़ितों के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं, तो दूसरी तरफ राजनीतिक दबाव के चलते उनके सभी स्थापित नीति-नियम-कानून मजाक बनकर रह गए हैं.

सोमवार, 16 अप्रैल को 63वें राष्ट्रीय रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर पूरे रेलवे बोर्ड सहित पूरी भारतीय रेल के सभी वरिष्ठ अधिकारी और रेलमंत्री भी भोपाल में रहेंगे. इनके साथ ही पश्चिम मध्य रेलवे के जीएम, सीओएम, सीसीएम भी भोपाल में उनकी अगवानी के लिए उपस्थित होंगे. ऐसे में यह देखना अत्यंत दिलचस्प होगा कि भारतीय रेल के ये सभी उच्च कर्णधार एक भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारी (सीनियर डीसीएम) का सामना कैसे करते हैं, क्या ऐसे मौके पर भी उनके चेहरों पर कोई झेंप परिलक्षित होगी?


चेयरमैन, रेलवे बोर्ड अश्वनी लोहानी ने ‘आजाद’ को दिखाई हरी झंडी

फोटो परिचय : भारतीय रेल ने देश की आजादी के समय के स्टीम इंजन ‘आजाद’ को एक बार फिर पटरी पर दौड़ाया. चेयरमैन, रेलवे बोर्ड अश्वनी लोहानी ने 11 अप्रैल को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भारतीय रेल के गौरव ‘आजाद’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस इंजन को विशेष तौर पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन तक ‘63वें राष्ट्रीय रेल सप्ताह एक्सप्रेस’ के रूप में चलाया गया. इस अवसर पर रेलवे बोर्ड और उत्तर रेलवे मुख्यालय एवं दिल्ली मंडल के सभी वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे.