नव-निर्मित रेल आवासों में पड़ीं दरारें, जिम्मेदार अधिकारी को रेलमंत्री पुरस्कार

आवासों के निर्माण में इस्तेमाल किया गया घटिया मटीरियल, ठेकेदार की चांदी

कोटा : पश्चिम मध्य रेलवे, कोटा मंडल के अंतर्गत गंगापुर सिटी में हाल ही में नए बने रेल आवासों में दरारें आने का गंभीर मामला सामने आया है. पिछले महीने ही निरीक्षण दौरे के दौरान पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधक से इन नव-निर्मित आवासों का उदघाटन कराया गया था. कुछ रेल कर्मचारियों ने इस मामले की शिकायत रेलवे बोर्ड और सीबीआई को भी की है, जिसकी प्रति ‘रेलवे समाचार’ के पास मौजूद है. हालांकि संबंधित अधिकारियों का कहना है कि उक्त आवासों का निर्माण कार्य नियमानुसार किया गया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब तीन साल पहले गंगापुर सिटी में दो मंजिला 40 आवास बनाने के लिए कोटा मंडल ने करीब पौने चार करोड़ रुपये का टेंडर निकाला था, लेकिन बाद में इनके डिजाइन में फेरबदल करके दो मंजिलों के बजाय ठेकेदार से एक मंजिला आवास ही बनवाए गए. इनकी डिजाइन के अलावा इन आवासों के निर्माण में लगने वाले आइटमों के शेड्यूल में भी कुछ बदलाव किए जाने बात कही जा रही है.

इन नए बने एक मंजिला आवासों में दरारें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं. यह दरारें बाहर प्लास्टर में दिखाई दे रही हैं. जानकारों का कहना है कि दीवारों में लगाए गए मटीरियल में गडबड़ी होने के कारण ही दीवारों में दरारें पड़ी हैं. कर्मचारियों ने बताया कि कॉलोनी का पूरा निर्माण किए बिना ही अधिकारियों ने 9 मार्च को दौरे पर आए जीएम से इन आवासों का उदघाटन भी करवा लिया.

बताते हैं कि इससे पहले भी करीब तीन करोड़ रुपए की लागत से यहां 30 रेलवे आवास बनाए गए थे. कर्मचारियों ने इन आवासों में भी दरारें आने की सूचना दी है. कर्मचारियों ने बताया कि इन आवासों को भी दो मंजिला बनाया जाना था. लेकिन इनके डिजाइन में फेरबदल करके इन आवासों को भी एक मंजिला बनाया गया है. इसके अलावा अधिकारियों द्वारा इन आवासों में नियम विरुद्ध तरीके से निर्धारित से कई गुना अधिक सरिया और अन्य आइटम लगाने की बात भी कही जा रही है.

जानकारों का कहना है कि किसी भी निर्माण कार्य का टेंडर होने के बाद उसकी डिजाइन बदलने के निर्णय को उचित नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि ठेकेदार आवासों में लगने वाले शेड्यूल आइटम के खर्चों का अनुमान लगाकर ही दरें डालते हैं. उनका कहना है कि निर्माण में लगने वाले मटीरियल के अनुसार एक और दो मंजिला आवासों की लागत भी अलग-अलग होती है. इसलिए इनकी दरें भी ठेकेदार अलग-अलग डालते हैं. इसलिए टेंडर होने के बाद डिजाइन बदलना नियम विरुद्ध है.

इस संबंध में वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (समन्वय) मनीष गुप्ता का कहना है कि उक्त आवासों के निर्माण का सारा कार्य नियमानुसार हुआ है. उनका कहना है कि गंगापुर सिटी में पानी की कमी है. ऊपर पानी चढ़ने की समस्या के कारण एक मंजिल अवास बनाए गए हैं. रेलवे की योजना है कि मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम कर भविष्य में इनके ऊपर ही दूसरी मंजिल बनाई जाए. गुप्ता ने बताया कि जीएम से उदघाटन सिर्फ 18 आवासों का ही कराया गया था. यह आवास कर्मचारियों को सौंप भी दिए गए हैं. 20 आवास और तैयार हो गए हैं, उन्हें भी जल्दी ही कर्मचारियों को सौंप दिया जाएगा.

मनीष गुप्ता को रेलमंत्री अवार्ड

वरिष्ठ मंडल इंजीनियर (समन्वय) मनीष गुप्ता को रेलमंत्री अवार्ड देने की घोषणा की गई है. गुप्ता यह अवार्ड 15 अप्रैल को भोपाल में होने वाले राष्टीय पुरस्कार वितरण समारोह में रेलमंत्री के हाथों प्राप्त करेंगे. कर्मचारियों का कहना है कि तमाम निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ियों के उजागर होने के बावजूद भी यदि मनीष गुप्ता को रेलमंत्री के हाथों पुरस्कृत करवाया जा रहा है, तो रेल प्रशासन के लिए यह अत्यंत शर्मनाक बात है.

एक अधिकारी के पास तीन ड्राइवर !

इंजीनियरिंग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा सरकारी गाड़ी चलाने के लिए अपने पास तीन ड्राइवर रखने का मामला भी सामने आया है. काम होने या नहीं होने की स्थिति में हर समय इन ड्राइवरों को बंगले और ऑफिस में ड्यूटी पर तैनात रहना पड़ता है. सूत्रों का कहना है कि यह ड्राइवर लंबे समय से अधिकारी के पास तैनात हैं. इनमें से कुछ ड्राइवर उक्त अधिकारी की पत्नी और बच्चों को भी घूमाने का काम करते हैं. कर्मचारियों के बीच इस बात की चर्चा है.