प. रे. अधिकारी विश्रामगृह में ड्राइवर के गेस्ट की आकस्मिक मौत
ईडीपीजी/एमआर के पीपीएस ने अपने ड्राइवर के गेस्ट के लिए बुक कराया था कमरा
मुंबई : पश्चिम रेलवे के चर्चगेट स्थित अधिकारी विश्रामगृह(ओआरएच) में ठहरे हुए एक व्यक्ति की आकस्मिक मौत का मामला सामने आया है. यह घटना गुरूवार, 29 मार्च की बताई गई है. हालांकि इस महत्वपूर्ण घटना की जानकारी संबंधित अधिकारियों द्वारा छिपाने का भरसक प्रयास किया गया, मगर ‘रेलवे समाचार’ को अपने सूत्रों से इसकी खबर अगले दिन शुक्रवार, 30 मार्च को मिली. पहले तो खबर की पुष्टि करने को कोई अधिकारी तैयार नहीं था. मगर जब ‘रेलवे समाचार’ ने अपने सूत्रों के हवाले से उक्त मौत की पूरी जानकारी निकाल ली, तब संबंधित अधिकारियों ने अंततः माना कि ऐसी घटना हुई है.
अपने विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेलवे समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार मृतक गेस्ट का नाम गगन कुमार था. इसके अलावा उसके बारे में एनी कोई अधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाई है. सूत्रों ने बताया कि वह रेलमंत्री के कार्यकारी अधिकारी/जन-शिकायतें (ईडी/पीजी) नरेंद्र ए. पाटिल के पीपीएस के ड्राइवर का गेस्ट था. उसके लिए चर्चगेट ओआरएच में ईडी/पीजी के पीपीएस ने अपने गेस्ट के तौर पर कमरा (नंबर 5) बुक कराया था. अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि कि है कि उक्त कमरा नकद भुगतान पर बुक किया गया था, जो कि किसी भी अधिकारी के नाम पर उसके गेस्ट के लिए बुक किया जा सकता है.
जानकारों के अनुसार ओआरएच में अधिकारी के नाम पर कमरा बुक किया जाता है, मगर कई बार अधिकारी अपने नाम पर अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार या मित्र के लिए भी नकद भुगतान पर कमरा बुक कराते हैं. उनका यह भी कहना है कि शायद अब तक की यह पहली ऐसी घटना है, जब किसी अधिकारी के गेस्ट की ओआरएच में ठहरने के दौरान अचानक मौत हुई है. तथापि पश्चिम रेलवे के संबंधित अधिकारी यह नहीं बता पाए, अथवा बताना नहीं चाहते थे, कि आखिर उक्त गेस्ट की आकस्मिक मौत का कारण क्या था? सूत्रों का कहना है कि मौत की पुष्टि के लिए रेलवे के बजाय निजी डॉक्टर को बुलाया गया था.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया है. मृतक गगन कुमार की मृत देह का पोस्टमार्टम जीटी हास्पिटल में कराया गया था. सूत्रों का कहना है कि पोस्टमार्टम में मृतक के शराब पीने की पुष्टि हुई है. उनका यह भी कहना है कि कमरे की तलाशी के दौरान पुलिस को वहां से शराब की खाली बोतलें भी मिली थीं. हालांकि संबंधित अधिकारियों ने इन सब तथ्यों की पुष्टि नहीं की है. तथापि अनधिकारिक रूप से उन्होंने यह अवश्य स्वीकार किया है कि ओआरएच में किसी गेस्ट या अधिकारी का शराब पीना कोई नई बात नहीं है.
जानकारों का कहना है कि यह एक सामान्य घटना है, जो कि किसी के साथ भी घटित हो सकती है. इसमें असामान्य अथवा छिपाने जैसा कुछ नहीं था. तथापि यदि पश्चिम रेलवे के अधिकारियों ने इस घटना को छिपाने का प्रयास किया है, तो इसमें अवश्य कुछ न कुछ ‘असामान्य’ हो सकता है. उनका कहना है कि अब यदि रेलवे बोर्ड में कार्यरत पीपीएस के ड्राइवरों के ‘गेस्ट’ के लिए भी ओआरएच में कमरे बुक किए जाने लगे हैं, तो इस मामले में देखने वाली खास बात यही है कि रेलवे में अधिकारियों का स्तर कितना नीचे आ गया है?
प्रोटोकॉल में विवादास्पद रेलकर्मी को पुनः लिया गया
पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक कार्यालय द्वारा एक अत्यंत विवादास्पद रेलकर्मी को पुनः प्रोटोकॉल में लिए जाने से महाप्रबंधक कार्यालय में कार्यरत लगभग सभी रेलकर्मियों ने भारी नाराजगी व्यक्त की है. कर्मचारियों का कहना है कि उक्त रेलकर्मी (बुकिंग क्लर्क) को इससे पहले उसकी कथित गलत चारित्रिक गतिविधियों के चलते ही प्रोटोकॉल से हटाया गया था. इसके अलावा बताते हैं कि सीबीआई कांड में फंसे पूर्व महाप्रबंधक के मामले की जांच के दौरान उक्त रेलकर्मी की संदिग्ध चारित्रिक गतिविधियों के चलते उसे पुनः कभी महाप्रबंधक कार्यालय में नहीं रखे जाने की ताकीद सीबीआई ने भी की थी. नाराज रेलकर्मियों का कहना है कि रेल प्रशासन ने उसे उसके मूल कार्य-पद पर भेजने के बजाय महाप्रबंधक कार्यालय में ही बनाए रखा था और अब मामला पुराना पड़ते देखकर अथवा उसकी चापलूसी से प्रभावित होकर उसे पुनः प्रोटोकॉल में ले लिया गया है.
इस पर महाप्रबंधक कार्यालय में कार्यरत तमाम रेलकर्मियों ने भारी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि उक्त विवादास्पद रेलकर्मी को श्रीमती जीएम के नाम पर फिर से प्रोटोकॉल में लिया गया है, जबकि श्रीमती जीएम ने न तो कभी ऐसा कोई आदेश दिया था और न ही उन्हें किसी प्रकार के प्रोटोकॉल की जरूरत पड़ती है. ‘रेलवे समाचार’ का मानना है कि यह एक गंभीर आरोप है. पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक को खुद इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए इसकी छानबीन करनी चाहिए और उक्त विवादास्पद रेलकर्मी को उसके मूल कैडर में वापस भेजकर महाप्रबंधक कार्यालय के वातावरण को इस तरह की दुश्चारित्रिक एवं भ्रष्ट गतिविधियों से दूषित नहीं होने देना चाहिए.