झांसी-माणिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइन के दोहरीकरण/विद्युतीकरण को हरी झंडी
कुल लंबाई 425 किमी., कुल लागत 4955.72 करोड़ रुपए, 2022-23 तक होगी पूरी
इलाहाबाद ब्यूरो : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने 4955.72 करोड़ रुपए की कुल लागत पर 425 किमी. लंबी झांसी-माणिकपुर और भीमसेन-खैरार रेल लाइन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण परियोजनाओं को हरी झंडी प्रदान कर दी है. इस परियोजना के 2022-23 तक पूरी होने की संभावना है.
इस परियोजना के पूरी होने पर अनुरक्षण ब्लॉकों के लिए बेहतर उपलब्धता और समयपालन में सुधार होगा तथा बेहतर संरक्षा मुहैया होगी. यह मार्ग डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के लिए महत्वपूर्ण फीडर मार्ग होगा. इस परियोजना से खजुराहो, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है, तक कनेक्टिविटी में सुधार होगा. इस परियोजना से निर्माण के दौरान लगभग 102 लाख कार्य दिवस का प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा.
इन दोनों परियोजनाओं में उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, बांदा, चित्रकूट धाम और मध्य प्रदेश का छतरपुर जिला कवर होगा. झांसी-खैरार, खैरार-माणिकपुर और खैरार-भीमसेन की मौजूदा लाइन क्षमता उपयोगिता क्रमशः 126%, 160% और 107% है, जिससे इस खंड में भीषण संकुचन होता है और गाड़ियों की गति अत्यंत धीमी होती है.
इस दोहरीकरण परियोजना से विपरीत दिशा में गाड़ियों की क्रॉसिंग के लिए ठहराव दिए बिना झांसी, कानपुर और इलाहाबाद से आने-जाने वाली गाड़ियों का आवागमन सुगम होगा. इससे झांसी-सतना और कानपुर-सतना मार्ग पर यात्री गाड़ियों के समयपालन और सुगम चालन में सुधार होगा. इस परियोजना से अनुरक्षण ब्लॉकों के लिए बेहतर उपलब्धता और संरक्षा व्यवस्था मुहैया हो सकेगी.
यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि डीएफसी (समर्पित माल गलियारा) की कनेक्टिविटी भीमसेन स्टेशन के समीप है. इस प्रकार यह मार्ग डीएफसी के लिए फीडर मार्ग के रूप में कार्य करेगा और गुड्स, विशेष रूप से कृषि उत्पादों के उपभोक्ता क्षेत्रों तथा निर्यात के लिए बंदरगाहों तक सुगम संचालन से आर्थिक और औद्योगिक विकास में सहायक होगा. सीमेंट के सुगम संचालन से सतना में सीमेंट क्लस्टर और अवसंरचना सेक्टर को भी पर्याप्त रूप से लाभ होगा.
इस परियोजना से अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल खजुराहो तक कनेक्टिविटी में सुधार होगा. इससे क्षेत्र में पर्यटन के माध्यम से आर्थिक सम्पन्नता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप गाड़ियां तीव्र गति से चलेंगी, कार्बन उत्सर्जन में कटौती होगी और स्थायी पर्यावरण को प्रोत्साहन मिलेगा. इसके अलावा, इससे ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी होगी, जिसके परिणामस्वरूप रेलों के लिए ऊर्जा लागत में बचत होगी और देश के विदेशी विनिमय में बचत होगी.