राजेश अग्रवाल को मिला न्याय, पी. के. मिश्रा का पूरा नहीं हुआ सपना

राजेश अग्रवाल बने मॉडर्न कोच फैक्ट्री, रायबरेली के महाप्रबंधक

पी. के. मिश्रा को पूर्व मध्य रेलवे का महाप्रबंधक बनाया गया

नई दिल्ली : राजेश अग्रवाल (आईआरएसएमई) को लालगंज (रायबरेली) स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) का महाप्रबंधक (जीएम) नियुक्त किया गया है. जीएम/एमसीएफ का पद महेश कुमार गुप्ता के मेंबर इंजीनियरिंग, रेलवे बोर्ड बन जाने के बाद 31 अक्टूबर 2017 से रिक्त था. श्री अग्रवाल फिलहाल पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर में प्रमुख मुख्य यांत्रिक अभियंता के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने गुरूवार, 18 जनवरी को अपना नया पदभार संभाल लिया है. इससे पहले श्री अग्रवाल मंडल रेलवे प्रबंधक, त्रिवेंद्रम, दक्षिण रेलवे, वरिष्ठ उप महाप्रबंधक, उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे, गुवाहाटी, कार्यकारी निदेशक/हेरीटेज, रेलवे बोर्ड, निदेशक, राष्ट्रीय रेल संग्रहालय, नई दिल्ली एवं यूनेस्को में विशेषज्ञ सलाहकार के पद पर कार्य कर चुके हैं. श्री अग्रवाल के जीएम/एमसीएफ का पदभार ग्रहण करने के अवसर पर एमसीएफ के सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया. बतौर सीआरबी अश्वनी लोहानी के रेलवे बोर्ड में आ जाने से श्री अग्रवाल ‘स्टोरकीपर’ के अन्याय का शिकार होने से बच गए. अब जीएम पद पर उनकी नियुक्ति हो जाने से उन्हें भी महेश कुमार गुप्ता की ही तरह पूरा न्याय मिला है.

इसी प्रकार पी. के. मिश्रा (आईआरएसई-1980) को पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर का नया महाप्रबंधक बनाया गया है. श्री मिश्रा ने अपना नया पदभार ग्रहण कर लिया है. यह पद डी. के. गायन के रेलवे बोर्ड में मेंबर स्टाफ बनने के बाद से पिछले लगभग तीन महीनों से खाली था. श्री मिश्रा वर्तमान में दक्षिण रेलवे के अपर महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत थे. आईआईटी/मद्रास से स्नातक श्री मिश्रा इससे पहले मंडल रेल प्रबंधक, चेन्नई, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/निर्माण, चीफ ट्रैक इंजीनियर एवं चीफ प्लानिंग एंड डेवलपमेंट इंजीनियर, दक्षिण रेलवे इत्यादि महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं. यानि श्री मिश्रा ने कुल मिलाकर अब तक की अपनी लगभग पूरी रेल सेवा दक्षिण रेलवे में ही की है. आर. के. कुलश्रेष्ठ की अनावश्यक पोस्टिंग के कारण श्री मिश्रा का दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक पद पर विराजमान होने का सपना पूरा नहीं हो पाया. हालांकि इससे दक्षिण रेलवे की माफिया यूनियन का कोई नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि श्री कुलश्रेष्ठ के रूप में उसे अपना एक पुराना और पालतू संरक्षक मिल गया है. दोनों वरिष्ठ रेल अधिकारियों ने रेलवे बोर्ड से नियुक्ति आदेश जारी होने के तत्काल बाद अपना नया पदभार संभाल लिया है.