भयंकर पियक्कड़ डीसीएम को डीआरएम/सीसीएम का वरदहस्त?
बुरी तरह नशे में धुत्त डीसीएम ने सीनियर डीसीएम के साथ फोन पर की बदतमीजी
प्रशासन यदि प्रशासनिक शुचिता और नेक-नीयती नहीं दिखा रहा, तो दोष किसका है?
अमित जेतली, ब्यूरो प्रमुख
उत्तर रेलवे, मुरादाबाद मंडल के मंडल वाणिज्य प्रबंधक (डीसीएम) मीणा द्वारा शराब के नशे में धुत्त होकर सीनियर डीसीएम विवेक शर्मा के साथ की गई बदतमीजीपूर्ण बातचीत का एक ऑडियो रेल अधिकारियों के बीच सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है. इस ऑडियो को सुनने के बाद पता चलता है कि आज भी भारतीय रेल की प्रशासनिक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया है. बेईमान और भ्रष्ट अधिकारियों को वरिष्ठों का पूरा वरदहस्त प्राप्त है और ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों को उनकी एसीआर खराब कर देने की धमकी दी जाती है. पूरी व्यवस्था में भ्रष्ट और बेईमान अधिकारी फ्रंट लाइन में मलाईदार पदों पर विराजमान हैं, जबकि कार्यक्षम, कार्यदक्ष, ईमानदार और बेहतर छवि वाले अधिकारियों को पीछे ढ़केलकर रखा गया है.
सर्वप्रथम यहां अपने स्रोतों से ‘रेलवे समाचार’ को प्राप्त इस ऑडियो में शराबखोर डीसीएम मीणा की सीनियर डीसीएम विवेक शर्मा के साथ हुई बातचीत का ब्यौरा प्रस्तुत है-
शर्मा- कहां हैं डीसीएम साहब..
मीणा- सर, मैं थोड़ा बाहर हूँ..
शर्मा- आज ऑफिस नहीं आए हैं..
मीणा- नहीं.. ऑफिस तो आए नहीं मेरे कू..
शर्मा- क्यों..
मीणा- आपका आदेश है.. बाहर रहे…
शर्मा- मैंने कौन सा आदेश दिया है..
मीणा- नहीं.. आपने बोला है.. डीआरएम ने कहा है मेरे कू.. बाहर क्या करना है मेरे को..
शर्मा- नहीं, मैंने कब आदेश दिया है, बाहर रहो..?
मीणा- जी..
शर्मा- कब..?
मीणा- अभी हूँ..
शर्मा- अरे.. मैंने तो ऐसे कोई आदेश नहीं दिए कि आप बाहर रहो.. अपनी मर्जी से कहां रह रहे हो..
मीणा- सर, मैं आपको कह रहा हूँ न.. सीसीएम साहेब ने मेरे कू आदेश दिया है..
शर्मा- किसने..?
मीणा- सीसीएम साहब ने..
शर्मा- सीसीएम साहब ने..!
मीणा- येस..
शर्मा- कब..?
मीणा- हो रहा है..
शर्मा- क्या हो रहा है..?
मीणा- कह रखा है मेरे कू..
शर्मा- क्या कह रखा है..?
मीणा- अरे यार.. जो तुमसे बने कर लो.. कर लो.. कुछ नहीं कर पाओगे आप.. (एकदम गुस्से और लड़खड़ाती आवाज में)
शर्मा- आज आप कहां हो.. यह पूछना मेरा हक बनता है.. सीनियर डीसीएम को पता होना चाहिए कि उसका डीसीएम कहां है..?
मीणा- सर्र.. सर्र.. इतनी बात कर्रहे हो आप.. सर्र… मैं.. आप्प.. थोड़ी देर में.. बात करता हूँ.. पांच मिनट..
शर्मा- हूँ..
मीणा- आपने कभी पूछा.. कि मेरे को.. कौन मिटिंग हो र्र्ही है.. कौन क्या हाय.. ये साला दुबे.. मेरे को बहनचो.. मेरे को भैंचो.. मेरे को चैलेंज कर्र्रा हाय.. ये भैन.. चैलेंज कर्र्राह.. मेरे को..
शर्मा- अरे भई, क्या चाहिए तुम्हें.. तुम ये बताओ कि तुम आज हो कहां..
मीणा- (कुछ बुबुदाने और बड़बड़ाने लगता है..)
शर्मा- पहले ये बताओ.. कहां हो.. मैं जो पूछ रहा हूँ.. उसका जवाब दीजिए.. (थोड़ी तेज आवाज में)
मीणा- यार.. क्या बात कर्रहे हो आप.. (लड़खड़ाती आवाज और गुस्से में)
शर्मा- मैं जो पूछ रहा हूँ उसका जवाब दीजिए.. ऑफिस क्यों नहीं आए हो आज.. (तेज आवाज में)
मीणा- क्या है.. मैं हूँ.. (नशे में धुत्त लड़खड़ाती आवाज)
शर्मा- ऑफिस में क्यों नहीं आए हो आज.. (तेज आवाज में)
मीणा- क्यों.. ऑफिस में आना जरूरी है क्याss.. (भरपूर लड़खड़ाती आवाज में)
शर्मा- नहीं आना होता है ऑफिस..? (थोड़ा गुस्से में)
मीणा- क्या.. ब्बात कर्र्रा रहे हो यार्र.. तुम्हें.. (तेज लड़खड़ाती आवाज और गुस्से में)
शर्मा- तुम्हें ऑफिस में आना नहीं होता.. (तेज आवाज में)
मीणा- नोह..
शर्मा- नहीं आना होता ऑफिस..?
मीणा- यास.. मेरे को टैम नईं.. मेरे को टैम नईं.. (लड़खड़ाती आवाज में)
शर्मा- अच्छा तुम हो कहां, तुम फिर ये बताओ..
मीणा- मैं कुछ भी हूँ.. कहां भी हूँ.. उससे तुमको क्या.. (तिरस्कार के स्वर में)
शर्मा- तुम ये बताओ कि तुम हो कहां..?
मीणा- मैं जहां जा र्र्हा भी हूँ.. तुझे बता दूंगा.. सीसीएम से पूछ लो.. डीआरएम से पूछ लो.. ओके.. (कॉल समाप्त कर देता है).
डीसीएम मीणा की धुत्त नशे में और सीनियर डीसीएम शर्मा की होशोहवास में हुई उपरोक्त बातचीत से तो यह भी स्पष्ट हो जाता है कि डीसीएम मीणा को डीआरएम और सीसीएम दोनों का पूरा वरदहस्त प्राप्त है. इसके अलावा यह भी जानकारी मिली है कि डीसीएम मीणा पुराने ‘पियक्कड़’ हैं. वह विगत में बतौर एसीएम जब उत्तर रेलवे वाणिज्य मुख्यालय, बड़ोदा हाउस में पदस्थ थे, तब एक दिन गाजियाबाद से मेरठ जा रहे थे. वह शराब के नशे में इतनी बुरी तरह धुत्त थे कि मेरठ उतरने के बजाय हरिद्वार पहुंच गए. तब भी उन्हें होश नहीं आया था. यही नहीं, वहां गाड़ी जब साइडिंग में चली गई, तब किसी सफाई वाले ने उन्हें देखा और स्टेशन पर लेकर आया, तब पता चला कि सड़ीगली अवस्था में बुरी तरह गंध मरता और फटीचर सा दिखने वाला यह कोई अधिकारी है.
मुरादाबाद मंडल का न सिर्फ समस्त वाणिज्य स्टाफ बल्कि सभी अधिकारी भी डीसीएम मीणा की हरकतों और उन्हें प्राप्त डीआरएम के वरदहस्त से बुरी तरह त्रस्त हैं. डीसीएम मीणा अक्सर कार्यालय से गायब रहते हैं. उनके मातहत स्टाफ का कहना है कि मीणा साहब रोजाना न तो कार्यालय आते हैं और न ही कोई काम करते हैं. सीनियर डीसीएम द्वारा जब कॉल करके पूछा जाता है, तो वह डीआरएम या सीसीएम का नाम लेकर उनके काम से बाहर रहने का कोई न कोई बहाना बना देते हैं. स्टाफ से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीसीएम मीणा की इन्हीं हरकतों के चलते सीनियर डीसीएम ने गत वर्ष की उनकी एसीआर डाउनग्रेड कर दी थी.
बताते हैं कि पूर्व डीआरएम ने सीनियर डीसीएम श्री शर्मा को डीसीएम मीणा की एसीआर ठीक करने को कहा, तो उन्होंने उनकी तमाम हरकतों का हवाला देकर और यह कहकर मना कर दिया था कि हम तो ठीक नहीं करेंगे, वह (डीआरएम) चाहें तो ठीक कर दें. उल्लेखनीय है कि वर्तमान डीआरएम ए. के. सिंघल इससे पहले मुरादाबाद में ही एडीआरएम थे. पहली बात यह कि यदि वह पहले से वहीं थे, तो उन्हें उसी जगह पर डीआरएम नहीं बनाया जाना चाहिए था, और यदि बनाया गया है, तो उनसे ईमानदारी की उम्मीद करना बेकार है, क्योंकि जो अधिकारी मंच से किसी यूनियन नेता की तारीफ में उसकी चापलूसी करते हुए सार्वजनिक रूप से यह कहे कि ‘उस नेता ने उसके घर पर जिस दिन अपनी जूठन गिराई थी, उसी दिन वह धन्य हो गया था.’ ऐसे अधिकारी से ईमानदारी की अपेक्षा शायद कोई मूर्ख भी नहीं कर सकता है, यदि रेल प्रशासन करता है, तो इसका मतलब यही है कि उसमें भी नैतिकता और शुचिता खत्म हो चुकी है.
मंडल के कई वाणिज्य कर्मचारियों का कहना था कि डीसीएम साहब खुलेआम कहते हैं कि डीआरएम और सीसीएम साहब ने उन्हें अपना ‘एजेंट’ बना रखा है, वह जो भी वसूली करते हैं, उसे उन तक पहुंचाते हैं. स्टाफ ने बताया कि दो दिन पहले डीसीएम साहब ने कहा था कि ‘सीनियर डीसीएम का ट्रांसफर दो-तीन दिन में हो जाएगा. इसको यहां रहने नहीं दूंगा, साला बहुत नक्शेबाजी करता है.’ स्टाफ का यह भी कहना था कि मंडल का कोई भी वाणिज्य डिपो ऐसा नहीं है, जहां खुद जाकर डीसीएम द्वारा वसूली न की जाती हो?
इस संदर्भ में जब ‘रेलवे समाचार’ ने बड़ोदा हाउस स्थित अपने सूत्रों से पूछताछ कि तो पता चला कि न सिर्फ सीनियर डीसीएम/मुरादाबाद, बल्कि सीनियर डीसीएम/लखनऊ और सीनियर डीसीएम/दिल्ली भी सीसीएम की ट्रांसफर की हिट-लिस्ट में हैं. इन तीनों अधिकारियों के ट्रांसफर की एडवाइस सीओएम को भेजी जा चुकी है, क्योंकि उक्त तीनों मंडलों के ‘कलेक्शन एजेंट्स’ ने वाणिज्य मुख्यालय को बताया है कि इन तीनों सीनियर डीसीएम के कारण उनकी वसूली गतिविधियां सुचारु रूप से नहीं चल पा रही हैं. हाल ही में फिरोजपुर मंडल के टिकट चेकिंग स्टाफ द्वारा टीटीई रेस्ट हाउस के सामानों की बोगस खरीद में हुई करोड़ों की हेराफेरी का कच्चा चिट्ठा वहां के एक डीसीएम की उपस्थिति में खुद सीसीएम के सामने खोला गया है.
उपरोक्त तमाम स्थितियां इस बात की गवाह हैं कि उत्तर रेलवे के वाणिज्य विभाग में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. सभी मंडलों के लगभग सभी वाणिज्य अधिकारी हर वक्त इस बात को लेकर सशंकित रहते हैं कि पता नहीं कब उनके तबादले का आदेश आ जाए. इसके अलावा हर मंडल में एक-एक, दो-दो ‘कलेक्शन एजेंट्’ नियुक्त हैं, जिनसे वसूली के लिए या तो मुख्यालय से वाणिज्य निरीक्षकों को समय-समय पर भेजा जाता है अथवा उसे पहुंचाने वह खुद दिल्ली पहुंचा जाते हैं. यह एक खुली हकीकत है और इस हकीकत से उत्तर रेलवे मुख्यालय के सभी ट्रैफिक/कमर्शियल अधिकारी और रेलवे बोर्ड के संपूर्ण ट्रैफिक निदेशालय सहित खुद मेंबर ट्रैफिक भी बखूबी वाकिफ हैं. तथापि, रेल प्रशासन यदि प्रशासनिक शुचिता के मद्देनजर अपनी नेक-नीयती नहीं दिखा रहा है, तो दोष किसका है?
प्रस्तुति : सुरेश त्रिपाठी