उत्तर रेलवे वाणिज्य मुख्यालय पर रेलवे बोर्ड की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
डीसीएम/मुरादाबाद को निलंबित करके किया गया मुख्यालय में अटैच
सीसीएम को भी तत्काल हटाया गया, डीसीएम/लखनऊ का फिरोजपुर ट्रांसफर
डीसीएम/मुरादाबाद ने दी ‘रेलवे समाचार’ के संपादक को ‘देख लेने’ की धमकी
पुख्ता सबूतों के मद्देनजर सीसीएम/डीसीएम को अन्य रेलवे में ट्रांसफर करने की मांग
दस सालों से एक शहर-एक रेलवे में जमे अधिकारियों को तत्काल दर-बदर किया जाए
सुरेश त्रिपाठी
उत्तर रेलवे के तमाम वाणिज्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए गुरुवार, 14 दिसंबर का दिन सबसे खुशी का दिन साबित हुआ,क्योंकि इस दिन रेलवे बोर्ड की बहुप्रतीक्षित और अचानक की गई एक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के चलते उनके सबसे बड़े भ्रष्ट, बेगैरत और चरित्रहीन मुखिया को अत्यंत अनौपचारिक तरीके से तत्काल पद से हटा दिया गया. रेलवे बोर्ड ने अपनी यह औचक कार्रवाई इतनी गुप्त रखी थी कि इसकी भनक ट्रैफिक निदेशालय को भी नहीं लगने दी गई, क्योंकि यदि ऐसा होता, तो ट्रैफिक निदेशालय में बैठे उसके भेदियों से इस कार्रवाई की जानकारी निश्चित रूप से उसे मिल गई होती और तब यह अत्यंत चालाक मुखिया इस कार्रवाई से बच निकलने का मौका जरूर निकाल लेता. तथापि, इसने इस कार्रवाई से बचने के लिए अंत तक तमाम प्रयास किए, मगर सतर्क रेल प्रशासन ने उसे इसका कोई मौका नहीं दिया. रेलवे बोर्ड द्वारा उठाए गए इस कठोर कदम का पूरी भारतीय रेल में व्यापक प्रभाव हुआ है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार ‘रेलवे समाचार’ द्वारा ‘भयंकर पियक्कड़ डीसीएम को डीआरएम/सीसीएम का वरदहस्त?’ शीर्षक से 14 दिसंबर को ही प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए रेलवे बोर्ड से सुबह ही महाप्रबंधक/उ.रे. को यह संदेश दे दिया गया था कि आज कार्यालय खुलते ही रेलवे बोर्ड से आदेश आने के तुरंत बाद देवेश कुमार मिश्रा से सीसीएम का चार्ज लेकर मणि आनंद को सौंप दिया जाए. इससे पहले इन दोनों अधिकारियों के चार्ज लेने-देने और मिश्रा को पदमुक्त किए जाने के कागजात तैयार करके रखे जाएं. सूत्रों का कहना है कि महाप्रबंधक कार्यालय द्वारा रेलवे बोर्ड के उक्त आदेश का पूरी गोपनीयता और सतर्कता से अक्षरशः पालन किया गया. सुबह दफ्तर खुलते ही इसकी सारी तैयारियां कर ली गई थीं.
बताते हैं कि दोपहर बाद अचानक मणि आनंद और देवेश कुमार मिश्रा को महाप्रबंधक कार्यालय में बुलाया गया. महाप्रबंधक के सचिव ने सर्वप्रथम मिश्रा से चार्ज सौंपने और पदमुक्त होने के कागजात पर हस्ताक्षर करने को कहा. इस पर बताते हैं कि मिश्रा ने हस्ताक्षर करने से यह कहकर मना कर दिया कि पहले जीएम से मिलना चाहते हैं और यह कहते हुए वह उठकर जीएम के चैम्बर की तरफ चले गए. चैम्बर में जीएम के न मिलने पर वापस आकर यह कहते हुए वह बाहर जाने लगे कि जीएम अपने चैम्बर में नहीं हैं, जब आ जाएं, तो उन्हें बुला लिया जाए. जब तक सचिव द्वारा उन्हें रोका जाता, तब तक वह चैम्बर से बाहर जा चुके थे. तब उन्हें आरपीएफ की मदद से अंदर लाया गया और उन्हें कहा गया कि यदि वह जीएम से मिलना चाहते हैं, तो जीएम को अभी बुलाया जा रहा है.
बताते हैं कि दिल्ली मंडल में उस दिन ट्रैक पर कोई तोड़फोड़ की घटना होने के चलते जीएम कांफ्रेंस रूम में उत्तर रेलवे के सभी मंडलों के डीआरएम और संबंधित ब्रांच अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में व्यस्त थे. सचिव ने तत्काल वहां जाकर जीएम को स्थिति से अवगत कराया. तब जीएम कांफ्रेंस को बीच में ही छोड़कर बाहर आए और मिश्रा से कहा कि वह कागजात पर हस्ताक्षर करें. इस पर मिश्रा ने उन्हें कुछ समझाने की कोशिश की. तब जीएम ने उनसे कहा कि उन्हें उनकी कोई बात नहीं सुननी है, पहले वह हस्ताक्षर करें, फिर अपनी बात कहें. बताते हैं कि कोई चारा न देखकर मिश्रा ने कहा कि वह तो यह कहना चाहते थे कि उनके नाम की अंग्रेजी गलत है. इस पर उनके बताए अनुसार नाम की अंग्रेजी ठीक करके तत्काल दूसरा प्रिंट आउट निकाला गया. इसके बाद उन्होंने उस पर हस्ताक्षर किए, क्योंकि अब कहने के लिए उनके पास कुछ नहीं बचा था. इसके बाद जीएम ने उन्हें तत्काल मुख्यालय छोड़ देने का आदेश दे दिया.
उधर इसके साथ-साथ प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक (प्रिंसिपल सीओएम) द्वारा उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के मंडल वाणिज्य प्रबंधक (डीसीएम) अमिताभ कुमार का तबादला फिरोजपुर मंडल में किए जाने और तत्काल पदमुक्त करने का आदेश जारी किया जा चुका था. इससे पहले सीनियर डीसीएम के साथ फोन पर दो-तीन बार गाली-गलौज करके इस पूरी सर्जिकल स्ट्राइक का आधार बने मुरादाबाद मंडल के ‘पियक्कड़’ डीसीएम जे. एन. मीणा को महाप्रबंधक द्वारा निलंबित किए जाने के आदेश जारी किए जा चुके थे. निलंबन के साथ ही मीणा को वाणिज्य मुख्यालय, बड़ोदा हाउस, दिल्ली से अटैच कर दिया गया. यह समस्त कार्यवाही पूरी होने और मिश्रा के अपने चैम्बर में पहुंचने से पहले ही उनके तबादले की खबर पूरे मुख्यालय में फैल गई, जिससे सभी वाणिज्य अधिकारी और कर्मचारी खुशी मनाने लगे और उ. रे. वाणिज्य विभाग को भ्रष्टाचार तथा चरित्रहीनता के और ज्यादा गर्त में जाने से समय रहते बचा लेने के इस पुण्य-कार्य के लिए चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी) अश्वनी लोहानी को साधुवाद देने लगे.
‘रेलवे समाचार’ को अपने विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चैम्बर में पहुंचने के बाद भी मिश्रा अपनी भ्रष्ट हरकत से बाज नहीं आए. बताते हैं कि वह जाते-जाते अपनी खास अनुचर सीसीएम/कैटरिंग अर्चना श्रीवास्तव उर्फ ‘बबली’ को किसी भावी मुसीबत से बचाने के लिए स्टाफ मैटर (स्थापना) का समस्त चार्ज उससे लेकर सीसीएम/पीएस विवेक श्रीवास्तव उर्फ ‘बंटी’ को सौंप गए हैं. सूत्रों का कहना है कि सीसीएम/कैटरिंग और सीसीएम/पीएस दोनों ‘सगे मियां-बीवी’ हैं. इसके अलावा उत्तर रेलवे वाणिज्य विभाग में उनकी मुख्य पहचान मिश्रा के ‘प्रमुख वसूली एजेंट्स’ के रूप में रही है. इसीलिए वाणिज्य विभाग के कर्मचारियों ने दोनों का नामकरण ‘बंटी और बबली’ कर दिया है. कर्मचारियों ने ‘बबली’ को सबसे ज्यादा और हर तरीके से भ्रष्ट बताया है. कई अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि पूर्व सीसीएम द्वारा चार्ज छोड़ने और पदमुक्त होने के बाद गलत एवं अवैध तरीके से ‘बंटी’ को सौंपे जाने सहित अब समस्त स्टाफ मैटर की जांच होनी चाहिए, क्योंकि जब देवेश मिश्रा उर्फ ‘3K’ ने यहां सीसीएम का चार्ज लिया था, तब बताते हैं कि फोर्जरी करके पिछली तारीख में स्टाफ मैटर का यह चार्ज ‘बबली’ को सौंपा था. ऐसे में ‘3K’ के सभी कुकृत्य में बराबर के भागीदार रहे ‘बंटी और बबली’ को भी तत्काल उत्तर रेलवे से अन्य जोनल रेलवे में ट्रांसफर किए जाने की मांग कई कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने सीआरबी और मेंबर ट्रैफिक से की है.
सूत्रों का यह भी कहना है कि रेलवे बोर्ड अथवा सीआरबी द्वारा की गई यह औचक सर्जिकल स्ट्राइक सिर्फ ‘रेलवे समाचार’ की खबर का ही परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे लबाड़ियों के सरदार की तमाम काली-करतूतों का काला चिट्ठा भी था, जिसमें सिर्फ धन उगाही ही नहीं, बल्कि कई महिला कर्मचारियों के इस्तेमाल और उनकी आपूर्ति के अत्यंत शर्मनाक मामले सहित चार महीने बाद भी शराबी डीसीएम के विरुद्ध उचित अनुशासनिक कार्रवाई न करने का मामला भी इसमें शामिल था. सूत्रों का कहना है कि सीआरबी को जब इस बात का पता चला कि सीनियर डीसीएम/मुरादाबाद के साथ डीसीएम मीणा ने अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में दो-तीन बार फोन पर गाली-गलौज किया था. इसके अलावा जब-तब कार्यालय आने वाला यह डीसीएम हमेशा शराब के नशे में धुत्त होता था. इसके विरुद्ध कार्यालयीन एवं फील्ड में कार्यरत महिला स्टाफ के साथ गाली-गलौज और दुर्व्यवहार करने की भी शिकायतें थीं. इसके अतिरिक्त सीनियर डीसीएम ने मीणा द्वारा की गई गाली-गलौज की रिकॉर्डिंग सीडी के रूप में सितंबर के पहले हप्ते में डीआरएम/मुरादाबाद और ‘3K’ सीसीएम को सौंपी थी, मगर इन दोनों अधिकारियों ने उस पर मीणा के खिलाफ कोई कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा था.
बताते हैं कि महिला कर्मियों के कथित इस्तेमाल और उनकी आपूर्ति केंद्रीय गृह-मंत्रालय सहित कुछ अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों एवं मंत्रियों के व्यक्तिगत स्टाफ में शामिल लोगों को की जाती थी? इसके अलावा यह तो सर्वविदित ही है कि सीसीएम की पोस्टिंग केंद्रीय गृहमंत्री की सिफारिश पर तत्कालीन रेलमंत्री ने की थी. तथापि, इस शातिर अधिकारी ने प्रधानमंत्री के मुख्य सुरक्षा सलाहकार और एक विशेष सचिव की सिफारिश का भी मायाजाल अपने कुछ बदनाम दलालों के माध्यम से इसलिए फैलाया हुआ था कि जिससे कोई उनसे ‘कंफर्म’ करने न जा सके. हालांकि बताते हैं कि मेंबर ट्रैफिक इस महाभ्रष्ट अधिकारी की सीसीएम/उ.रे. के पद पर पोस्टिंग के लिए कतई तैयार नहीं थे. यही वजह थी कि वह इसके खिलाफ रेलवे बोर्ड को प्राप्त हुई सभी संबंधित शिकायतों के साथ संसद सत्र के दौरान समय मांगकर वहीं जाकर पूर्व रेलमंत्री को सारी हकीकत से अवगत कराते हुए यह भी कहा था कि यदि फिर भी इसकी पोस्टिंग की जाती है, तो किसी भी बदनामी के लिए वह उत्तरदायी नहीं होंगे. बताते हैं कि इस पर पूर्व रेलमंत्री ने उनसे कहा था कि वरिष्ठ मंत्री की सिफारिश है, इसलिए वह उन्हें मना भी नहीं कर सकते हैं, पोस्टिंग तो देनी ही पड़ेगी, मगर इसके ऊपर गहरी नजर रखी जाए.
सूत्रों का कहना है कि इसी ‘गहरी नजर’ की बदौलत महिला कर्मियों की आपूर्ति के लिए तमाम हवाई यात्राओं एवं होटलों की बुकिंग के रिकॉर्ड सहित इसकी सभी काली-करतूतों की खुपिया जानकारी रेलवे बोर्ड को मिल रही थी. बताते हैं कि इस दरम्यान रेलवे बोर्ड ने जब-जब’3K’ सीसीएम को हटाने अथवा कोई कार्रवाई करने का मन बनाया, तब-तब उसे अपने भेदियों से पूर्व सूचना मिल गई और वह अपने बचाव में पहले ही सतर्क कदम उठा लेता था, जिससे रेलवे बोर्ड को चुप बैठना पड़ता था. सूत्रों का कहना है कि यही वजह थी कि इस बार सीआरबी ने ट्रैफिक निदेशालय को भी अपनी सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल नहीं किया और जैसे ही रेलमंत्री रेल भवन पहुंचे, वैसे ही उन्हें विश्वास में लेकर सारी सच्चाई से अवगत कराया गया तथा सीसीएम को पद से तत्काल हटाने और पदमुक्त करने का आदेश उ. रे. मुख्यालय को फैक्स किया गया.
हालांकि उत्तर रेलवे के कई वरिष्ठ वाणिज्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों का मानना है कि बड़े लंबे अर्से बाद इस तरह की कोई सटीक कार्रवाई हुई है. इसके साथ ही इस कार्रवाई को वह काफी हद तक पर्याप्त भी मान रहे हैं. तथापि, उनका यह भी मानना है कि जिस तरह की घटिया करतूतों और चरित्रहीनता के सबूत प्राप्त हुए हैं, उनके मद्देनजर सीसीएम और डीसीएम को रेल सेवा से तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए था. उनका कहना है कि यदि किन्हीं कारणों के चलते फिलहाल बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई संभव नहीं थी, तो कम से कम ‘3K’ सीसीएम को दिल्ली से बाहर ट्रांसफर किया जाना चाहिए था, जिससे कि वह इस रेलवे से बाहर रहकर तमाम राजनीतिक षड़यंत्र करते हुए जांच और यहां के कर्मचारियों/अधिकारियों को प्रभावित नहीं कर पाते. इसके अलावा डीसीएम को मंडल से मंडल में ट्रांसफर करने की कोई तुक नहीं थी, वह भी समान पद पर तो कतई पदस्थ नहीं किया जाना चाहिए था. उसे भी अन्य रेलवे मुख्यालय में भेजा जाना चाहिए था. उनका मानना है कि दोनों मामलों में रेलवे बोर्ड को यह कार्यवाही अब भी करने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए. उल्लेखनीय है कि ‘3K’ सीसीएम देवेश मिश्रा के विरुद्ध पूर्व वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारी और वर्तमान आरसीटी मेंबर कैप्टन जे. पी. सिंह ने आईपीसी की धारा 167 के तहत अपराधिक मानहानि का मुकदमा दिल्ली की एक अदालत में दर्ज करवाया है, जिसकी सुनवाई 4 फरवरी को शुरू होने वाली है.
अधिकारियों का कहना है कि जो कार्रवाई सीसीएम के विरुद्ध हुई है, वैसी ही कार्रवाई डीआरएम/मुरादाबाद के खिलाफ भी होनी चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार में शामिल होने के चलते उन्होंने भी उद्दंड डीसीएम के विरुद्ध चार महीनों के दौरान कोई कार्यवाही करना जरूरी नहीं समझा. बताते हैं कि डीआरएम जब-जब मुख्यालय आते थे, तब-तब सीनियर डीसीएम के खिलाफ प्रिंसिपल सीओएम और प्रिसिपल सीसीएम के कान भरकर जाते थे. सूत्रों का कहना है कि डीआरएम यूनियन के एक भ्रष्ट मंडल पदाधिकारी को टिकट बुकिंग सुविधा केंद्र दिलाना चाहते थे, मगर संबंधित एक ईमानदार डीसीआई ने उसके विरुद्ध रिपोर्ट दी थी, जिससे वह उक्त टिकट बुकिंग सुविधा केंद्र अपने भ्रष्ट यूनियन पदाधिकारी को नहीं दिला सके थे. परंतु इससे चिढ़कर उन्होंने उक्त डीसीआई को ट्रांसफर करने के लिए सीनियर डीसीएम पर दबाव डाला था. बताते हैं कि उक्त भ्रष्ट यूनियन पदाधिकारी के विरुद्ध हाल ही में सीबीआई की कार्रवाई हुई है.
बताते हैं कि जब तक, मजबूरी में ही सही, सीनियर डीसीएम द्वारा डीआरएम के आदेश पर अमल किया जाता, तब तक तत्कालीन ‘महान जीएम आर. के. कुलश्रेष्ठ’ का मुरादाबाद दौरा हो गया. डीआरएम ने उनसे शिकायत कर दी कि सीनियर डीसीएम उनके कहने पर भी डीसीआई को नहीं हटा रहा है. बताते हैं कि आर. के. कुलश्रेष्ठ ने तब जीएम पद की तमाम गरिमा को ताक पर रखकर डीआरएम की उपस्थिति में ही सीनियर डीसीएम को बुलाकर डांट लगाई और उक्त डीसीआई को तत्काल ट्रांसफर करने को कहा था. यही कारण है कि कर्म और धर्म से बेईमान ऐसे ही चोरकट लोगों के चलते आज रेलवे में ईमानदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों का न सिर्फ काम करना मुहाल हो गया है, बल्कि भयानक भ्रष्टाचार और बदगुमानी के कारण भारतीय रेल की अंदरूनी आर्थिक हालत भी बदतर हो गई है. इसीलिए लिए सीआरबी को जब तब यह कहते सुना जाता है कि पिछले कुछ सालों में यहां बहुत गंध पैदा हो गई है, इसे साफ करने में थोड़ा समय लगेगा.
मुरादाबाद में एडीआरएम से सीधे वहीं डीआरएम बन जाने से लगातार चार साल से मंडल में रहने के कारण डीआरएम महोदय भ्रष्टाचार में गर्त तक डूब चुके हैं. यूनियन पदाधिकारियों की चापलूसी और उनके निर्देशानुसार काम करने में डीआरएम/मुरादाबाद पूर्व जीएम/उ.रे. आर. के. कुलश्रेष्ठ से भी ‘श्रेष्ठ’ बताए जाते हैं. इसकी तमाम रिपोर्ट्स रेलवे बोर्ड को पता हैं, इसलिए डीआरएम महोदय को भी तत्काल शिफ्ट किया जाना ही प्रशासनिक हित में होगा. इसके साथ ही मुरादाबाद मंडल के पूर्व डीआरएम के विरुद्ध भी विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए, जो कि आज तक डीसीएम मीणा द्वारा एसीआर के मामले में दिए गए जवाब की कॉपी उनके पास भेजे जाने की रट लगाए हुए हैं, जिससे कि वह इस बदतमीज और शराबी डीसीएम की एसीआर ठीक कर सकें. धन की लालसा में जब यह वरिष्ठ रेल अधिकारी ऐसे उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, तब आज धन की बदौलत ही अधिकारी बन रहे तृतीयपंथी रेलकर्मियों से ईमानदारी की उम्मीद करना बेमानी है.
ज्ञातव्य है कि निलंबित डीसीएम मीणा ने मोबाइल नंबर +91 97605 34960 से कॉल करके ‘रेलवे समाचार’ के संपादक को यह कहते हुए ‘जान से मारने और देख लेने’ की धमकी दी है कि ‘तूने मेरे खिलाफ छापा है न, अब कोर्ट में हम तुझे देख लेंगे.’ जो अधिकारी अपने महकमे से बाहर के लोगों और पत्रकारों को भी इस तरह धमका सकता है, वह अपने महकमे के लोगों के साथ कितनी बदतमीजी से पेश आता होगा? इससे उसके बदमिजाज होने का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है. इसका संज्ञान सीआरबी और रेलमंत्री सहित प्रधानमंत्री कार्यालय को भी तत्काल लेना चाहिए. विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार संपादक को फोन करके धमकाने की सलाह डीसीएम मीणा को निवर्तमान सीसीएम और उसके गुर्गो द्वारा दी गई है. उल्लेखनीय है कि निवर्तमान सीसीएम अपने ही मातहत ईमानदार अधिकारियों के खिलाफ वर्ग विशेष के ऐसे ही लोगों से झूठी एवं जातिगत शिकायतें करवाने और उन्हें परेशान करने के लिए कुख्यात रहे हैं.
यह भी पता चला है कि पदमुक्त होने के बाद पिछले दो दिनों में निवर्तमान सीसीएम और उनके दलालों एवं गुर्गो ने केंद्रीय गृहमंत्री से संपर्क साधने के अथक प्रयास किए हैं, मगर अब तक वह अपने इस प्रयास में असफल रहे हैं, क्योंकि गृह मंत्रालय में उन्हें घुसने नहीं दिया गया है. इसके अलावा एक दलाल के माध्यम से दिल्ली के एक भाजपा विधायक से भी इन लोगों ने संपर्क किया था और उसके माध्यम से यह केंद्रीय वित्तमंत्री तक अपनी पहुंच बनाने का प्रयास कर रहे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले दो दिनों में इनकी बैठकें ग्रेटर नोयडा, राजेंद्र नगर और पहाड़गंज की कुछ बदनाम जगहों पर हुई हैं. इनकी ऐसी ही एक बैठक में मुरादाबाद के सीनियर डीओएम के भी शामिल होने की जानकारी ‘रेलवे समाचार’ को अपने सूत्रों से प्राप्त हुई है. सूत्रों का कहना है कि सीनियर डीओएम को मुरादाबाद में ही सीनियर डीसीएम बनाए जाने के आश्वासन पर उनसे जो बड़ी धनराशि उगाही गई थी, उसे लेने/मांगने के लिए वह आए हुए थे.
भारतीय रेल में उपरोक्त कुटिल एवं कुत्सित दृश्य सिर्फ उत्तर रेलवे में ही परिलक्षित नहीं है. भ्रष्टाचार और चरित्रहीनता का इससे भी ज्यादा भयंकर परिदृश्य दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे और दक्षिण रेलवे सहित कुछ अन्य जोनल रेलों के वाणिज्य विभाग का हो रहा है. इससे पहले दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के पूर्व जीएम और रायपुर मंडल के पूर्व डीआरएम के खिलाफ भी चरित्रहीनता की ऐसी ही तमाम शिकायतें रही हैं, मगर जहां जीएम को सुखपूर्वक रिटायर हो जाने दिया गया, वहीं डीआरएम, जिसने विशाखा कमेटी की मुख्य महिला सदस्य को बुरी तरह उत्पीड़ित किया था, जो कि उसकी चरित्रहीनता की शिकायतों की जांच कर रही थी, को बर्खास्त करके घर भेजे जाने के बजाय आराम से निवर्तमान होने के बाद दूसरी पोस्टिंग दे दी गई, वहां भी उसकी यही हरकतें पूर्ववत जारी हैं. ऐसे में यदि रेल प्रशासन इस गंदगी को साफ करने के लिए उत्तर रेलवे जैसी ही त्वरित और कड़ी कार्रवाई करने के लिए जितनी जल्दी कारगर कदम उठाएगा, उतनी ही जल्दी इस गंदगी को साफ किया जा सकेगा. इसके लिए सबसे कारगर तरीका यही हो सकता है कि एक शहर-एक रेलवे में पिछले 10 सालों से जमे हुए सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से दर-बदर किए जाने का काफी समय से लंबित कदम तुरंत उठाया जाना चाहिए.